Move to Jagran APP

गोरखपुर में डराने वाली हो गई है टीबी मरीजों की संख्‍या, पांच साल में दोगुनी हुई तादाद Gorakhpur News

हर साल मरीजों की संख्या में इजाफा ही हुआ है। सर्वाधिक मरीज मलिन बस्तियों में मिले हैं जबकि औद्योगिक क्षेत्र और घनी आबादी में इनकी संख्या लगभग बराबर है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Sat, 22 Feb 2020 12:14 PM (IST)Updated: Sat, 22 Feb 2020 12:14 PM (IST)
गोरखपुर में डराने वाली हो गई है टीबी मरीजों की संख्‍या, पांच साल में दोगुनी हुई तादाद Gorakhpur News
गोरखपुर में डराने वाली हो गई है टीबी मरीजों की संख्‍या, पांच साल में दोगुनी हुई तादाद Gorakhpur News

 गोरखपुर, जेएनएन। टीबी (ट्यूबरकुलोसिस) के समूल नाश की कवायदों और दावों की पोल खुल गई है। पिछले पांच साल में मरीजों की दोगुनी हुई तादाद इसका प्रमाण है। गंदगी, प्रदूषण, कुपोषण और संक्रमण से होने वाली इस बीमारी ने स्व'छ भारत मिशन जैसे कई और अभियानों की असलीयत भी उजागर कर दी है।

loksabha election banner

हर साल मरीजों की संख्‍या में इजाफा

वर्ष 2017 को छोड़ दें तो 2014 से 2019 के बीच हर साल मरीजों की संख्या में इजाफा ही हुआ है। सर्वाधिक मरीज मलिन बस्तियों में मिले हैं, जबकि औद्योगिक क्षेत्र और घनी आबादी में इनकी संख्या लगभग बराबर है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग इस आंकड़े को सकारात्मक बताता है। उसका कहना है कि सघन अभियान का ही नतीजा है कि ऐसे-ऐसे मरीज ढूंढ लिए गए जो अब तक सामने नहीं आ सके थे। पंजीकृत रोगियों को पौष्टिक आहार के लिए 500 रुपये प्रति माह भी दिए जाते हैं।

टीबी मरीजों की संख्या

वर्ष               संख्या

2014            4149,

2015            4592,

2016            7574,

2017             5163,

2018             7065,

2019             11435,

2020 (अब तक) 989

यहां पर मिलते हैं सर्वाधिक मरीज

मलिन बस्ती            40 फीसद,

औद्योगिक क्षेत्र         20 फीसद,

घनी आबादी           20 फीसद,

ईंट-भट्टा               5 फीसद,

वृद्धाश्रम               3 फीसद,

जेल                   2 फीसद,

अन्य                  10 फीसद

इस टीबी के इतने मरीज

सामान्य टीबी                11435,

मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस            272,

एक्सटेंसिव ड्रग रेजिस्टेंस       78,

टोटल ड्रग रेजिस्टेंस            00,

टीबी के कारण

आसपास फैली गंदगी, वातावरण में प्रदूषण, बीमारी का संक्रमण, व्यक्तियों में कुपोषण, व्यक्तिगत स्वच्‍छता की कमी, संक्रामक व्यक्ति का सानिध्य ही इसके कारण हैं।

टीवी के लक्षण

दो हफ्ते से अधिक पुरानी खांसी, शाम को पसीने के साथ बुखार आना, भूख न लगना, दिन-प्रतिदिन वजन कम होना और खांसी के समय बलगम के साथ खून आना इस रोग के लक्षण हैं।

यह बरतें एहतियात

कई दिनों तक खांसी आने पर डॉक्टर को दिखाएं, टीबी की पुष्टि होने पर मुंह को रुमाल से ढंककर रखें, व्यक्तिगत और आसपास की सफाई पर विशेष ध्यान दें, बलगम को राख में रखकर बाद में गड्ढे में दबा दें और

टीबी मरीज के पास जाते समय मास्क लगाए रखें।

निश्‍शुल्‍क इलाज के साथ मिल रही आर्थिक सहायता

टीबी के समूल उन्मूलन के लिए गांव-गांव रोगियों को खोजने का अभियान चलाया जा रहा है। इसके चलते कई नए मरीज सामने आए हैं। निश्शुल्क इलाज के साथ उन्हें आर्थिक सहायता भी दी जा रही है।

-डॉ. रामेश्वर मिश्रा, जिला क्षय रोग अधिकारी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.