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तेज हुआ रामगढ़ताल से जलकुंभी निकालने का काम, चार माह में जलकुंभी मुक्‍त बनाने की योजना

रामगढ़ताल में जलकुंभी फैलने की समस्या आम हो गई है। पहले इस ताल की देखरेख जल निगम करता। बाद में इसे जीडीए को हस्तांतरित कर दिया गया। जीडीए के पास अधिकार जाने के बाद प्राधिकरण ने जलकुंभी निकालने का काम शुरू किया।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Published: Mon, 14 Jun 2021 02:29 PM (IST)Updated: Mon, 14 Jun 2021 02:29 PM (IST)
तेज हुआ रामगढ़ताल से जलकुंभी निकालने का काम, चार माह में जलकुंभी मुक्‍त बनाने की योजना
जलकुंभी से पटा रामगढ़ ताल का दृश्‍य, जागरण।

गोरखपुर, जेएनएन। रामगढ़ ताल की खूबसूरती पर दाग लगाने वाली जलकुंभी को जल्द ही ताल से निकाल दिया जाएगा। गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने जिस फर्म को यह जिम्मेदारी दी है, उसकी ओर से तेजी से जलकुंभी निकालने का काम शुरू कर दिया गया है। अनुबंध के मुताबिक फर्म को चार महीने में जलकुंभी ताल से निकाल देनी होगी।

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एबीएस कंस्ट्रक्शन को जलकुंभी निकालने का मिला जिम्मा

रामगढ़ताल में जलकुंभी फैलने की समस्या आम हो गई है। पहले इस ताल की देखरेख जल निगम करता। बाद में इसे जीडीए को हस्तांतरित कर दिया गया। जीडीए के पास अधिकार जाने के बाद प्राधिकरण ने जलकुंभी निकालने का काम शुरू किया। पर, मजदूर लगाकर मैनुअल तरीके से ही जलकुंभी निकाली जा पा रही थी। यदि तेज वहा बही तो किनारों से बहकर जलकुंभी पूरे ताल में फैल जाती थी और ताल में होने वाली सभी गतिविधियों को भी ठप करना पड़ता था। जिसके चलते यहां आने वाले पर्यटकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था। बार-बार जलकुंभी बढऩे की समस्या को देखते हुए जीडीए ने प्रोफेशनल फर्मों से आवेदन आमंत्रित किया था। वित्तीय एवं तकनीकी बोली में बेहतर प्रदर्शन करने वाली फर्म एबीएस कंस्ट्रक्शन को जलकुंभी निकालने का जिम्मा मिला।

इस तरह से करनी है सफाई

फर्म को पहले महीने में ही ताल के 50 फीसद हिस्से से जलकुंभी निकाल देनी है। दूसरे महीने में 25 फीसद जलकुंभी निकालनी होगी। शेष 25 फीसद जलकुंभी निकालने के लिए दो महीने का समय और मिलेगा। यानी चार महीने में ताल को पूरी तरह से साफ कर देना है। जलकुंभी की सफाई पर 1.29 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। सफाई के लिए कई मशीन लगाई गई है। ताल में ब्लाक बनाकर सफाई कराई जा रही है, जिससे हवा के कारण साफ स्थान पर दोबारा जलकुंभी न फैल सके। ताल में जहां-जहां से पानी गिरता है, वहां जाली भी लगाई जाएगी। जलकुंभी निकालने के बाद फिलहाल उसे जीडीए की ही खाली पड़ी जमीन पर एकत्रित किया जा रहा है। ताल साफ होने के बाद एकत्रित जलकुंभी का निस्तारण किया जाएगा। जीडीए सचिव राम सिंह गौतम का कहना है कि जलकुंभी निकालने का अधिकार पाने वाली फर्म सफाई के काम में जुटी है। जीडीए की ओर से इस काम की निगरानी भी की जा रही है। तय समय में ताल को पूरी तरह से साफ कर लिया जाएगा।


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