गोरखपुर में अगले दो साल में खत्म हो जाएगा चकबंदी विभाग का काम
एसओसी मातादीन मौर्य का कहना है कि पिछले दो वित्तीय वर्ष में 36 गांवों की चकबंदी प्रक्रिया पूरी की गई है। कई कारणों के कारण चकबंदी की प्रक्रिया थोड़ी प्रभावित होती है लेकिन अगले दो साल में सभी गांवों में प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गांवों में जमीन के विवाद को न्यूनतम करने, मूलभूत सुविधाओं के लिए भूमि उपलब्ध कराने, सभी की जमीन तक रास्ते की उपलब्धता के उद्देश्य से होने वाली चकबंदी दो साल बाद नजर नहीं आएगी। इस समय 86 गांवों में चल रही चकबंदी की प्रक्रिया को अगले दो वित्तीय वर्षों में यानी मार्च 2024 तक पूरा कर लेना होगा। जिले में अगले दो साल में चकबंदी विभाग का काम पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा। अब किसी नए गांव को इस प्रक्रिया में शामिल करने की संभावना न के बराबर है। जिन 86 गांव चकबंदी की प्रक्रिया चल रही है इनमें सात ऐसे हैं जिनमें दिसंबर 2021 तक प्रक्रिया को पूरा की जा चुकी है। लक्ष्य है कि मार्च 2022 तक कुछ और गांवों में इस प्रक्रिया को अंतिम रूप प्रदान कर दिया जाए।
18 गांवों में 20 साल से चल रही है चकबंदी की प्रक्रिया
जिलाधिकारी विजय किरन आनंद ने कुछ दिन पहले चकबंदी के प्रगति की समीक्षा की थी। उस दौरान सामने आया कि जिले में अभी भी 18 गांव ऐसे हैं, जहां 20 साल से चकबंदी की प्रक्रिया चल रही है लेकिन उसे पूरा नहीं किया जा सका है। छह ऐसे गांव हैं, जहां 15 से 20 वर्षों से प्रक्रिया चल रही है। 14 वर्ष पूरा हो जाने के बाद भी चकबंदी पूरी न हो पाने वाला एक गांव है। एसओसी मातादीन मौर्य का कहना है कि पिछले दो वित्तीय वर्ष में 36 गांवों की चकबंदी प्रक्रिया पूरी की गई है। कई कारणों के कारण चकबंदी की प्रक्रिया थोड़ी प्रभावित होती है लेकिन अगले दो साल में सभी गांवों में प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। जिले के छह गांवों में चकबंदी प्रक्रिया शुरू हुई थी लेकिन कुछ लोग हाईकोर्ट चले गए, जिससे प्रक्रिया लंबित है।
आधारभूत सुविधाओं से संतृप्त हो रहे गांव
नए गांवों को चकबंदी में शामिल करने के लिए आवेदन आ रहे हैं लेकिन फिलहाल किसी गांव को शामिल नहीं किया जा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि प्रशासन सभी गांवों में स्कूल, पंचायत भवन जैसी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित पा रहा है। ऐसे में इन सुविधाओं के लिए जमीन निकालने को चकबंदी की जरूरत महसूस नहीं हो रही।
विवाद भी है कारण
चकबंदी प्रक्रिया को लेकर पहले गांव के सभी लोग तैयार होते थे लेकिन एक बड़ा वर्ग अब इसके लिए तैयार नहीं होता। जब चकबंदी होती है तो पांच प्रतिशत भूमि कम भी होती है, जमीन के बढ़ते मूल्य के कारण लोग एक इंच जमीन कम करने को तैयार नहीं। कुछ लोगों की ओर से चकबंदी को लेकर दबाव बनाया जा रहा है लेकिन प्रशासन अब किसी नए गांव को शामिल करने के मूड में नहीं। इस तैयारी को देखते हुए माना जा रहा है कि दो साल बाद चकबंदी विभाग के पास कोई काम नहीं रहेगा।
दो साल में समाप्त हो जाएगा चकबंदी का काम
जिलाधिकारी विजय किरन आनंद ने बताया कि जिले में चकबंदी की प्रक्रिया जिन गांवों में लंबित है, उसे दो साल में पूरा करने को कहा गया है। दो साल बाद चकबंदी विभाग का काम समाप्त हो जाएगा। नियमित रूप से समीक्षा कर प्रक्रिया कसे जल्द से जल्द पूरा करने को कहा जा रहा है।