गोरक्ष नगरी में भी गूंजे थे पंडित जसराज के अलाप Gorakhpur news
शास्त्रीय गायक पद्विभूषण पंडित जसराज का आलाप गोरखपुर में भी गूंजा था। गोरखपुर में पहली बार उनका आगमन 1961 में हुआ था।
गोरखपुर, जेएनएन। मेवाती घराने के मशहूर शास्त्रीय गायक पद्विभूषण पंडित जसराज के निधन की खबर जैसे ही शहर के संगीत से जुड़े से लोगों तक पहुंची तो शोक की लहर दौड़ गई। लोग उनसे जुड़े संस्मरणों को ताजा कर श्रद्धांजलि देने लगे। यह सौभाग्य की बात है कि गोरखपुर के लोगों को पंडित जसराज के अलाप सुनने को मिले थे, एक बार नहीं बल्कि दो-दो बार। पहली बार उनका आगमन 1961 में हुआ था, जब पूर्वाेत्तर रेलवे ने उन्हें एक कार्यक्रम में प्रस्तुति के लिए आमंत्रित किया गया। दूसरी बार वह आकाशवाणी के बुलावे पर 1992 में गोरखपुर आए थे। संगीत विशेषज्ञ डाॅ. शरद मणि त्रिपाठी को दोनों ही बार उनका सानिध्य मिला था जबकि आकाशवाणी के उद्घोषक सर्वेश दुबे 1992 में बतौर संचालक उनके मंच पर थे।
राग दरबारी कांगड़ा गाकर लूट ली थी महफिल
डाॅ. शरद मणि बताते हैं कि उन्हें दोनों ही कार्यक्रम में पंडित जसराज के साथ मंच से तानपूरे पर संगत देने का अवसर मिला था। 1961 के एक वाकये का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि मंच पर आने से पहले ग्रीन रूम में रियाज करने के बाद पंडित जसराज ने उनसे गोरखपुर के संगीत प्रेमियों का मिजाज पूछा था। जब डाॅ. मणि ने उन्हें बताया कि यहां के श्रोता शास्त्रीय संगीत के प्रेमी हैं तो पंडित जी ने राग दरबारी कांगड़ा गाने की सलाह भी ली थी। इस राग में उन्होंने अजब तेरी दुनिया मालिक सुनाकर महफिल लूट ली।
तुम्हारी जुबां पर तो सरस्वती का वास है
आकाशवाणी के मशहूर उद्घोषक सर्वेश दुबे अपने संस्मरणों को साझा करते हुए बताते हैं कि उन्हें पंडित जसराज के कार्यक्रम में मंच संचालन का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। वह कहते हैं कि देवतुल्य मोहक व्यक्तित्व के स्वामी थे पंडित जी। सर्वेश बताते हैं कि पंडित जसराज ने मंच से उनके संचालन और आवाज की प्रशंसा की थी। सर्वेश के मुताबिक जब वह संचालन कर रहे थे तो पंडित जी अनवरत उनकी आवाज की तारीफ कर रहे थे और कह रहे थे तुम्हारी जुबां पर तो सरस्वती का वास है। यह यूं ही बना रहे, ईश्वर से यही प्रार्थना है।