मौसम तो देे रहा साथ, मगर यूरिया संकट से परेशान हैं किसान
सिंचाई का मौसम जब से शुरू हुआ सिद्धार्थनगर कभी ऐसा अवसर नहीं आया जब समितियों पर किसानों को आसानी से खाद मिल गई हो। इधर बूंदाबांदी के बाद घना कोहरा जैसा मौसम गेहूं की फसल के लाभप्रद है लेकिन यूरिया की कमी की वजह से परेशान हैं।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। सिंचाई का मौसम जब से शुरू हुआ, सिद्धार्थनगर कभी ऐसा अवसर नहीं आया, जब समितियों पर किसानों को आसानी से खाद मिल गई हो। इधर बूंदाबांदी के बाद घना कोहरा जैसा मौसम गेहूं की फसल के लाभप्रद है। ऐसे समय में खेतों में यूरिया अगर पड़ जाए तो फिर पौधों का विकास तेजी से होने लगता है। मौसम साथ दे रहा है तो यूरिया संकट किसानों के लिए परेशानियां पैदा कर रहा है। खाद की स्थिति यह है कि ब्लाक क्षेत्र की अधिकांश साधन सहकारी समितियों पर ताला लटक रहा है। किसान यूरिया के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। प्राइवेट दुकानों पर जाते हैं तो वहां छले जाते हैं, क्योंकि दुकानदार मनमाना दाम वसूल रहे हैं।
इटवा विकास खंड में संचालित हैं 11 समितियां
विकास खंड क्षेत्र में इटवा, कमिया सेमरा, संग्रामपुर, सेमरी, पचपेड़वा, मल्हवार बुजुर्ग, कठेला शर्की, मुड़िला बख्शी, मेंहदानी, इनरीग्रांट, जिगना कुल 11 साधन सहकारी समिति संचालित हैं। बोआई और सिंचाई के समय में पहले डीएपी और उसके बाद यूरिया संकट बना रहा। इधर समितियों पर खाद आई भी तो भीड़ इतनी अधिक हो जाती थी कि पूरी यूरिया बंट जाती थी और आधे से अधिक किसानाें को निराश वापस लौटना पड़ता था। कई दिनों से खाद नहीं आई है, जिसके कारण अधिकतर समितियां बंद हैं। खेतों में यूरिया डालने की जरूरत है, पर समिति किसान जाते भी हैं तो मायूस होकर लौटते हैं।
क्या बोले किसान
किसानों में रमेश चंद्र व राम बिलास ने कहा कि कई दिनों यूरिया के लिए परेशान हैं। समितियों पर ताला लटकने के कारण पता भी नहीं चल पाता है कि खाद कब आएगी। महबूब, असलम, राजा धराम, अवध राम, पल्टू ने कहा कि बाजार में यूरिया मिलती है तो 45 किलो की बोरी के 350 और 400 रुपये वसूल किए जाते हैं, जबकि इसका मूल्य 266.50 रुपया है।
जिले में उपलब्ध नहीं है यूरिया
इटवा के सहायक विकास अधिकारी कोआपरेटिव सभाजीत यादव ने बताया कि कठेला में खाद थी, जिसका वितरण आज किया गया है। शेष समितियों पर यूरिया नहीं है। जिले पर भी उपलब्ध नहीं है। जिम्मेदार अधिकारियों से बातचीत हुई है। रैक लगने वाला है, जैसे ही जिले पर उपलब्ध होती है वैसे ही समितियों पर मंगाकर किसानों में इसका वितरण कराया जाएगा।