ध्वस्त हुई सिंचाई की व्यवस्था, किसानों की समस्याओं का नहीं हो रहा समाधान Kushinagar News
कुशीनगर जनपद मे नहरों की हालत खराब हो गई है। इससे किसानों की समस्या बढ़ गई है।
गोरखपुर, जेएनएन। कुशीनगर जनपद के नहरों में धूल उड़ रहा है। माइनर झाड़-झंखाड़ से अटे पड़े हैं। सरकारी नलकूपों की स्थिति दयनीय है। पक्की नालियां टूटी पड़ी हैं। सिंचाई के संकट से जूझ रहे किसानों के होश उड़े हैं। गेहूं की फसलें पानी बगैर बदरंग हो रही हैं। खराब पड़े पंपिंग सेट को बनवाने व कर्ज लेकर नया पं¨पग सेट खरीदने को विवश किसान सिंचाई के सरकारी संसाधनों के प्रति बरती जा रही उदासीनता से चिंतित हैं। सिंचाई के प्रमुख संसाधनों में शुमार नहर, सरकारी नलकूप किसानों का दर्द बढ़ा रहे हैं। चौरिया माइनर पांच वर्ष तो कुशीनगर रजवाहा दो वर्ष से सूखी है। इसी तरह पचार रजवाहा तीन वर्ष तो अमडीहा माइनर में आठ वर्ष से पानी नहीं आ रहा है।
दिखावा बन रहे सरकारी नलकूप
तमकुहीराज के बसडीला पांडेय का सरकारी नलकूप दिखावा बन रहा है। नालियां टूट गई है। बार-बार मोटर जलने से किसान परेशान हैं। यहां न तो फ्यूज लगा है न ही कट आउट। रवींद्र नगर धूस का सरकारी नलकूप किसानों को संतृप्त नहीं कर पा रहा है।
समस्या किसानों की जुबानी
हरिलाल प्रजापति कहते हैं कि सिंचाई के संसाधनों के प्रति उपेक्षा से किसानों की कमर टूट रही है। किसान उपेक्षित महसूस कर रहा है। सतीश तिवारी कहते हैं कि माइनरों की दशा बदतर हो गई है। न तो इनकी सफाई होती न ही कभी पानी छोड़ा जाता। वर्षों से यह बदहाल हैं। सत्य प्रकाश मिश्र कहते हैं कि नलकूपों के प्रति उपेक्षा किसानों पर भारी पड़ रहा है। सिंचाई के लिए हाय तौबा मच रही है। श्रीकांत राव कहते हैं कि नहरों में समय से पानी नहीं आने से किसान फसलों को पंपिंग सेट से सिंचाई करने को विवश हो रहे हैं।
कहां-कहां पानी नहीं पहुंच रहा है। इसके लिए होने वाली जनपदीय बैठक में जिम्मेदार अफसरों से हिसाब लिया जाएगा और लापरवाही मिलने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई भी होगी। - डा. अनिल कुमार सिंह, जिलाधिकारी, कुशीनगर