खेलते रह गए पबजी, जालसाजों ने खाली कर दिया एकाउंट Gorakhpur News
जालसाजों ने कुछ व्यक्तियों को यह कहकर भी झांसे में लिया है कि उनका केवाईसी(नो योर कस्टमर) भी कहा कि बैंक में उनका केवाईसी अपडेट नहीं है। उन्हें भरोसे में लेने के लिए यह भी कहा गया कि वह किसी से अपने एटीएम की पिन शेयर ना करें।
गोरखपुर, जेएनएन। गोलघर के एक व्यापारी ने पबजी खेलने के दौरान मोबाइल में एनीडेस्क नाम का एक एप्लीकेशन स्टाल किया और कोड की जानकारी फोन पर जालसाजों को दे दी। जालसाजों ने उनके खाते से 20 हजार रुपये की ठगी कर ली।
एनीडेस्क व टीम व्यूवर एप्लीकेशन के माध्यम से जालसाजों के हाथों शिकार होने वाले यह पहले व्यक्ति नहीं हैं। साइबर थाने में ऐसे करीब दर्जन भर प्रार्थना पत्र पड़े हुए हैं। किसी के पास केवीआई के नाम पर जालसाजों का फोन आया तो किसी के पास कोविड की जानकारी देने के उद्देश्य से। जालसाजों ने कुछ व्यक्तियों को यह कहकर भी झांसे में लिया है कि उनका केवाईसी(नो योर कस्टमर) भी कहा कि बैंक में उनका केवाईसी अपडेट नहीं है। उन्हें भरोसे में लेने के लिए यह भी कहा गया कि वह किसी से अपने एटीएम की पिन शेयर ना करें। उन्हें टीम व्यूवर व एनीडेस्क एप्लीकेशन के जरिये उनका मोबाइल रिमोट पर लिया गया और उनसे कहा गया कि वह खुद ही अपना केवाईसी अपडेट कर लें। इसके लिए उन्हें गूगल पे व मोबाइल बैंकिंग एप के जरिये न्यूनतम ट्रांजेक्शन करना होगा। व्यक्ति के ऐसा करते जालसाज के पास पूरी जानकारी एकत्रित हो जा रही है और जालसाज उससे ठगी कर रही हैं।
जानिए कैसे खाली कर रहे खाता
एनीडेस्क, टीम व्यूवर एप स्टाल करने के बाद जैसे ही कोड की जानकारी जालसाजों को दी जाती है। मोबाइल स्क्रीन जालसाजों के मोबाइल पर दिखने लगती है। इसके साथ जैसे ही गूगल पे अथवा बैंकिंग एप के जरिये न्यूनतम ट्रांजेक्शन किया जाता है। जालसाज को पिन व पासवर्ड की जानकारी हो जाती है और वह इन्हीं साफ्टवेयर का प्रयोग करके खाते से रुपये निकाल लेते हैं। साइबर थाना के उपनिरीक्षक उपेंद्र सिंह का कहना है कि किसी के भी कहने पर मोबाइल पर किसी तरह का एप ना स्टाल किया जाए। किसी के साथ ही अपना एटीएम पिनकोड, ओटीपी आदि शेयर ना की जाए। कुछ भी धोखाधड़ी होने पर अपने बैंक व पुलिस को तत्काल इसकी जानकारी दी जाए।