गोरखपुर चिडिय़ाघर के सैनिटाइजेशन की प्रक्रिया शुरू, शीघ्र होगा लोकार्पण Gorakhpur News
गोरखपुर के चिडिय़ाघर के लोकार्पण की तैयारियों के बीच बाड़ों के सैनिटाइजेशन का काम शुरू कर दिया गया है। चिडिय़ाघर के निर्देशक डा. एच राजा मोहन और पशु चिकित्सक डा. योगेश प्रताप सिंह की देखरेख में सैनिटाइजेशन काम शुरू हुआ।
गोरखपुर, जेएनएन। शहीद अशफाक उल्लाह खां प्राणी उद्यान (चिडिय़ाघर) के लोकार्पण की तैयारियों के बीच बाड़ों के सैनिटाइजेशन का काम शुरू कर दिया गया है। चिडिय़ाघर के निर्देशक डा. एच राजा मोहन और पशु चिकित्सक डा. योगेश प्रताप सिंह की देखरेख में सैनिटाइजेशन काम शुरू हुआ। बाड़ों की साफ-सफाई करने के बाद पहले चरण में बाड़ों के अंदर फ्लेम गन से हीट ट्रीटमेंट (टार्चिंग) किया जा रहा है। यह पक्रिया पूरी होने के बाद रासायनिक छिड़काव कर बाड़ों को वह्य व अंतर परजीवी किटों से मुक्त किया जाएगा।
चुंबक की मदद से लोहे के टुकड़े निकाले गए
राजकीय निर्माण निगम ने 25 दिसंबर को कुछ बाड़ों को वन विभाग के सुपुर्द कर दिया था। उन्हीं बाड़ों के सैनिटाइजेशन का काम शुरू हुआ है। इससे पहले चिडिय़ाघर परिसर में मिट्टी भराई के दौरान ही चूने की कई लेयर डाली गई थी। कार्यदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम के सुपुर्द करने के बाद चिडिय़ाघर के अधिकारियों ने बाड़ों की सफाई शुरू करा दी थी। निर्माण के समय बाड़ों के अंदर रह गए पालीथिन, पत्थर व लोहे के टुकड़ों और कीलों को पहले मजदूरों से चुनवाकर निकलवाया गया। इसके बाद चुंबक की मदद से लोहे के टुकड़े निकाले गए।
हीट ट्रीटमेंट के बाद बाड़ों को सील किया जाएगा
हीट ट्रीटमेंट का काम पूरा होने के बाद बाड़ों को पूरी तरह से सील कर दिया जाएगा। किसी को भी बाड़ों के अंदर जाने की इजाजत नहीं होगी। एक सप्ताह बाद सभी बाड़ों को रासायनिक छिड़काव कर बाड़ों को सैनिटाइज किया जाएगा। अलग-अलग रसायनों से बाड़ों को सैनिटाइज करने की यह प्रक्रिया कई चरण में पूरी होगी। एक-एक सप्ताह के अंतराल पर सैनिटाइजेशन किया जाएगा। चिडिय़ाघर के डाक्टर योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि मिट्टी के अंदर और वातावरण में कई ऐसे परजीवी होते हैं जो वन्यजीवों के सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं। उन परजीवियों को पूरी तरह से खत्म करने के लिए बाड़ों को सैनिटाइज किया जा रहा है।
बाड़ों के सैनिटाइजेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। कई चरणों में सैनिटाइजेशन का काम होना है। इसकी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही बाड़ों में वन्यजीव रखे जाएंगे। - डा. एच राजा मोहन, निदेशक, अशफाक उल्लाह खां प्राणी उद्यान