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सजायाफ्ता कैदी ने बदल दी जिला जेल की तस्वीर, जानें-क्‍या है रमेश पटवा की खूबी Gorakhpur News

सिद्धार्थनगर जिला कारागार में आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक कैदी ने अपनी चित्रकारी से जेल की तस्वीर बदल दी है। कैदी का नाम रमेश पटवा है।

By Edited By: Published: Mon, 03 Feb 2020 10:00 AM (IST)Updated: Mon, 03 Feb 2020 10:00 AM (IST)
सजायाफ्ता कैदी ने बदल दी जिला जेल की तस्वीर, जानें-क्‍या है रमेश पटवा की खूबी Gorakhpur News
सजायाफ्ता कैदी ने बदल दी जिला जेल की तस्वीर, जानें-क्‍या है रमेश पटवा की खूबी Gorakhpur News

गोरखपुर,जेएनएन। सिद्धार्थनगर जिला कारागार में आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक कैदी ने अपनी चित्रकारी से जेल की तस्वीर ही बदल दी है। कैदी का नाम रमेश पटवा है। उसे दहेज हत्‍या में आजीवन कारावास की सजा हुई है।

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चिकित्‍सक का सहयोगी रहा है रमेश पटवा

बताते हैं कि जेल में आने से पहले वह एक निजी चिकित्सक के सहयोगी के रूप में कार्यरत था। सजा काटने के दौरान पहले खाली वक्त व्यतीत करने के लिए जिला जेल के अस्पताल के चिकित्सक का भी उसने सहयोग किया। इसी दौरान एक चित्रकार कैदी के संपर्क में आ गया। चित्रकारी का ऐसा शौक हुआ कि जेल की दीवारों पर देवी-देवताओं के साथ प्राकृतिक चित्रों को उकेरना शुरू कर दिया। इससे जेल की दीवारों पर तमाम तरह कि चित्र बना डाली। 

शोहरतगढ़ थाना व कस्बा निवासी रमेश पटवा हरफनमौला प्रवृत्ति का रहा है। छात्र जीवन में उसने फार्मेसी का कोर्स किया। घर में दवा की दुकान खोलने के बाद वहीं पर एक निजी चिकित्सक के यहां नौकरी भी करता रहा। इसके बाद कस्बा निवासी मित्र विशाल वर्मा से आभूषण बनाने की गुण भी सीख लिया। 2011 में उसने अपनी पत्‍नी की हत्‍या कर दी। इसलिए उसे 2013 में आजीवन कारावास की सजा हो गई। जब वह जेल पहुंचा तो यहां बस्ती निवासी विचाराधीन कैदी फिरोज से उसकी मुलाकात हुई। फिरोज को जेल में रंगरोगन का काम करने की जिम्मेदारी मिली थी। एक बैरक में रहने के कारण फिरोज से अच्छी मित्रता हो गई। यहीं से पहली बार उसने तूलिका पकड़ने का ढंग सीखा। पहले ब्रश चलाने की रमेश पटवा ने जानकारी ली। आज जेल की कोई ऐसी दीवार नहीं हैं, जहां रमेश पटवा की चित्रकारी नहीं दिखाई देती है।

यह मेरे अपराध का प्रायश्‍चित

रमेश कहता हैं कि रोजाना सुबह ईश्वर की पूजा करता हूं। उसके बाद दीवारों पर उनके चित्रों को उकेरता हूं। यह मेरे अपराध का प्रायश्चित है। पल भर में स्केच करके बन जाती है। रमेश पटवा की अंगुलियां अब चित्रकारी की कला में चलती नहीं बल्कि थिरकती है। खाली समय में एक पन्ना सादा कागज व पेंसिल से वह पल भर में साथी कैदियों की फोटो स्केच करके बना देता है। सभी कैदी उसकी कलाकारी के मुरीद हो गए हैं।

जेल प्रशासन कराता है रंग व तूलिका की व्यवस्था

दीवारों पर चित्रकारी करने के लिए जेल प्रशासन रमेश पटवा को रंग व तूलिका उपलब्ध कराता है। सबका मानना है कि दीवारों पर चित्रकारी होने से जेल आकर्षक हो गई हैं। देवी देवताओं के चित्र होने से सभी में सार्थक ऊर्जा का संचार होने लगा है। कैदियों को उनके अभिरुचि के कार्य सौंपे जाते हें।

चिकित्‍सक के सहयोग में भी लगा रहता है रमेश पटवा

सह जेल अधीक्षक राकेश का कहना है कि रमेश पटवा रोजाना सुबह जेल अस्पताल में चिकित्सक के सहयोग में रहता है। दिन के खाली समय वह दीवारों पर चित्रकारी करता रहता है। रुचि देख जेल प्रशासन चित्रकारी से संबंधित सभी सामान उपलब्ध कराता है। दीवारों पर चित्रकारी होने से आकर्षक हो गई है।


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