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यहां अभी से सूखने लगे ताल-पोखरे, मई और जून में क्‍या होगा Gorakhpur News

लगातार चार माह से बारिश न होने और मौसम में गरमाहट की वजह से कुशीनगर जिले में ताल-पोखरे सूखने लगे हैं। अगर इंतजाम नहीं किए गए तो बेजुबानों के समक्ष पेयजल का संकट खड़ा होगा। जंगली जानवरों व पशु-पक्षियां अपनी प्यास बुझाने कहां जाएंगे।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Sun, 21 Mar 2021 01:30 PM (IST)Updated: Sun, 21 Mar 2021 01:30 PM (IST)
यहां अभी से सूखने लगे ताल-पोखरे, मई और जून में क्‍या होगा   Gorakhpur News
खजुरिया गांव में सूखा पड़ा पोखरा। जागरण

गोरखपुर, जेएनएन : लगातार चार माह से बारिश न होने और मौसम में गरमाहट की वजह से कुशीनगर जिले में ताल-पोखरे सूखने लगे हैं। अगर इंतजाम नहीं किए गए तो बेजुबानों के समक्ष पेयजल का संकट खड़ा होगा। जंगली जानवरों व पशु-पक्षियां अपनी प्यास बुझाने कहां जाएंगे। पिछले साल लाकडाउन की वजह से पोखरियों की खोदाई नहीं कराई गई। इस वजह से वर्षा के पानी का पर्याप्त संचय नहीं हो सका। जल संरक्षण की बात हर साल उठती है। जगह-जगह गोष्ठियां होती हैं, जागरूकता रैली भी निकाली जाती है। प्रशासन के साथ स्वयंसेवी संगठनों से जुड़े लोग भी कदमताल करते दिखते हैं, लेकिन परिकल्पना धरातल पर नहीं उतर पाती।

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ग्रामीण इलाकों की पोखरियां फरवरी में ही सूख गईं

अगर सुनियोजित तरीके से सम्मलित प्रयास होते तो ताल-पोखरों को संरक्षित कर वर्षा के जल का पर्याप्त संचय कर लिया जाता। इससे भू-गर्भ जलस्तर भी ऊपर उठता और बेजुबानों को पेयजल के लिए संकट नहीं झेलनी पड़ती। ग्रामीण इलाकों की पोखरियां फरवरी में ही सूख गई हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मई व जून में जब भीषण गर्मी पड़ेगी तो क्या हालत होगी।

क्या कहते हैं ग्रामीण

विशुनपुरा के विजय यादव ने कहा कि ताल-पोखरों के संरक्षण को लेकर अधिकारी गंभीर नहीं है। पोखरी व तालाब जल संचय के लिए प्रमुख स्रोत हैं। इनकी खोदाई होती तो अस्तित्व भी बचा रहता और जल संरक्षण का उद्देश्य भी पूरा होता। कोटवा बाजार के शेषनाथ यादव ने कहा कि ग्रामीण इलाकों की अधिकांश पोखरियां अतिक्रमण की शिकार हैं। इसको लेकर प्रशासन संजीदा नहीं दिख रहा। अतिक्रमण हटवाकर खोदाई कराना आवश्यक है। नरचोचवा धर्मपुर के अभिषेक तिवारी ने कहा कि ताल-पोखरों में पानी रहने पर जंगली जानवरों व पशु-पक्षियों को पेयजल की दिक्कत नहीं होती। इस साल तो काफी पहले ही ताल-पोखरे सूख गए हैं। खजुरिया के गोविंद मिश्र कहते हैं कि वर्षा के जल को संरक्षित नहीं किया गया तो भू-गर्भ जलस्तर गिरता रहेगा और हम सभी के लिए पानी की दिक्कत खड़ी होगी।

पोखरों की खोदाई कराकर दिया जाएगा जल संरक्षण को बढ़ावा

मनरेगा के जिला समन्वयक प्रेमप्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि मनरेगा योजना के तहत पिछले साल भी कुछ पोखरियों की खोदाई हुई थी। ग्राम पंचायतों से कार्ययोजना मांगी गई है, पोखरों की खोदाई कराकर जल संरक्षण को बढ़ावा दिया जाएगा। जिन गांवों में ताल-पोखरे सूख रहे हैं, उनमें पम्पिंग गसेट से पानी भरवाया जाएगा।


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