Gorakhpur Serial Blast: आतंकियों की दहशत से मुकर गए कई गवाह, सहयोगियों को नहीं तलाश पाई पुलिस
गोरखपुर के गोलघर सीरियल ब्लास्ट के 23 में से ज्यादातर गवाह पुलिस की तफ्तीश या कोर्ट में जाते-जाते मुकर गए। आंतकी तारिक को सजा होने के बाद भी एक घायल को छोड़कर कोई बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा।
गोरखपुर, जेएनएन। गोलघर सीरियल ब्लास्ट के बाद पूर्वी उत्तर प्रदेश दहल गया था। इस घटना से इतनी दहशत हो गई थी कि आतंकी के डर से गवाहों के टूटने का सिलसिला शुरू हो गया। 23 में से ज्यादातर गवाह पुलिस की तफ्तीश या कोर्ट में जाते-जाते मुकर गए। आंतकी तारिक को सजा होने के बाद भी एक घायल को छोड़कर कोई बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा। यही कारण रहा कि मुख्य आरोपित तारिक काजमी को उम्रकैद की सजा हुई लेकिन उसके सहयोगियों का पुलिस पता भी नहीं लगा सकी।
घटना से पहले आइएम आतंकी सैफ ने तीन बार की थी रेकी
आतंकी से पूछताछ और तफ्तीश के आधार पर पुलिस को चला कि 22 मई, 2007 की शाम सीरियल ब्लास्ट कर गोरखपुर को दहलाने और सुर्खियां बटोरने वाले आतंकी हर ब्लास्ट पर गदगद हो रहे थे। धमाके से पहले आजमगढ़ जाने के लिए बस में सवार हूजी और आइएम के आतंकियों को पल-पल की जानकारी मिल रही थी। घटना से पहले आइएम आतंकी सैफ ने यहां तीन बार रेकी की थी। सलमान ने अपना नाम छोटू रखा था जबकि तारिक पूरे आपरेशन को लीड कर रहा था। सलमान ने ही समीर के नाम से ब्लास्ट के लिए साइकिल खरीदी थी।
साइकिल में टांगे गए थे बम
पादरी बाजार के विवेक कुमार के मुताबिक वह बैग खरीदने गोलघर गये थे। शाम सात बजे पहला बिस्फोट जलकल बिल्डिंग के पास ट्रांसफार्मर के पास खड़ी साइकिल में टंगे टिफिन बम में हुआ। जिसमें दो लोग घायल हुए। इसके बाद पांच मिनट के अंतराल पर ही दो और धमाके हुए। लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि क्या और कैसे हो रहा है। पुलिस इसे सामान्य विस्फोट बता रही थी जबकि तीनों जगह साइकिल क्षतिग्रस्त हुयी थी। संयोग ठीक रहा कि दूसरे बिस्फोट के समय पेट्रोल पंप के आसपास आग नहीं लगी वरना बड़ी तबाही होती। धमाकों की गूंज से गोरखपुर के साथ ही पूरे प्रदेश में सनसनी फैल गई। पुलिस के अधिकारी बम निरोधी दस्ता के साथ गोलघर की तरफ दौड़े। घायलों को तत्काल अस्पताल पहुंया। तत्कालीन एसएसपी आरके राय अपने सहयोगी पुलिस अफसरों के साथ जांच-पड़ताल में जुट गये। कुछ ही देर में पुलिस अधिकारियों ने तीनों स्थानों से क्षतिग्रस्त साइकिलों के परखच्चे इकट्ठा करा लिये। टिफिन के ढक्कन भी मिले।
तारिक काजमी है मास्टरमाइंड
पुलिस अफसरों और सुरक्षा एजेंसियों की जांच-पड़ताल में मालूम हुआ कि धमाकों में टिफिन बम का इस्तेमाल किया गया। इसी बिस्फोट के बाद पहली बार हूजी और आइएम आतंकियों की सांठगांठ का पता चला था। सोमवार को सीरियल ब्लास्ट के सूत्रधार तारिक काजमी को गोरखपुर की अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। ब्लास्ट में आजमगढ़ के आतंकी सलमान उर्फ छोटू और आतिफ मुख्तार उर्फ राजू के अलावा सैफ का नाम आया था। जांच में आतिफ मुख्तार उर्फ राजू को पुलिस ने छोड़ दिया। एक साल बाद 2008 में दिल्ली बाटला हाउस कांड में आतिफ मुख्तार के मारे जाने के बाद उसके हूजी और आइएम से संबंधों का पता चला। बाटला हाउस कांड के दौरान पकड़े गये आतंकियों से सलमान उर्फ छोटू समेत कई आतंकियों के नाम प्रकाश में आये थे। सलमान को एटीएस ने 2010 में बढऩी बार्डर से गिरफ्तार किया था। उस वक्त वह पाकिस्तान के करांची से विमान को हाइजैक करने की ट्रेनिंग लेकर नेपाल सीमा से भारत में दाखिल हुआ था।