कथावाचक मोरारी बापू की कुटिया में पक्षियां भी बोलती हैं राम-राम Gorakhpur News
भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली एवं अंतरराष्ट्रीय पर्यटक केंद्र कुशीनगर राम कथा कहने आए प्रख्यात कथावाचक मोरारी बापू की कुटिया को पूरी तरह से प्राकृतिक वातावरण दिया गया है। इसके बाहर विभिन्न प्रजाति के खिले फूलों के गमले सजाएं गए हैं।
राजेंद्र शर्मा, गोरखपुर : भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली एवं अंतरराष्ट्रीय पर्यटक केंद्र कुशीनगर राम कथा कहने आए प्रख्यात कथावाचक मोरारी बापू की कुटिया को पूरी तरह से प्राकृतिक वातावरण दिया गया है। इसके बाहर विभिन्न प्रजाति के खिले फूलों के गमले सजाएं गए हैं तो परिसर में लगे पेड़-पौधों पर बापू के साथ आई विभिन्न प्रजाति के प्रशिक्षित पक्षियां राम धुन गा रही हैं। बापू जहां-जहां भी कथा के दौरान प्रवास करते हैं, वहां-वहां उनकी यह प्रिय पक्षियां जाती हैं। इनमें तोता, मैना और गौरेया शामिल हैं। इन्हें विशेष तरह से प्रशिक्षित किया गया है। परिसर में किसी के भी आगमन की आहट पाते ही यह हे राम, सीताराम की रट लगाकर उनका स्वागत करती हैं।
गो सेवा भी करेंगे बापू
गो सेवा को अपने दिनचर्या में शामिल करने वाले संत मोरारी बापू कुशीनगर में भी गो सेवा करेंगे। इसके लिए गोरखपुर से चार गायें मंगाई गई हैं। सुबह स्नान-ध्यान के बाद बापू इनको गुड़ और चना व अन्य चारा खिलाएंगे। गायों के रहने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। जानकारों के अनुसार बापू जहां भी कथा के लिए जाते हैं, गायें निश्चित रूप से उनके साथ रहती हैं।
बुद्ध स्थली पहुंचते ही भाव-विभोर हुए बापू, नवाया शीश
मानस मर्मज्ञ प्रख्यात राम कथावाचक मोरारी बापू कुशीनगर पहुंचे तो सबसे पहले बुद्ध प्रतिमा के समक्ष शीश नवाकर प्रणाम किया। इस दौरान वह पूरी तरह से भाव-विभोर दिखे। महापरिनिर्वाण स्थली पहुंचने की आत्मिक खुशी की झलक उनके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी। गोरखपुर से कुशीनगर पहुंचा बापू का काफिला महापरिनिर्वाण पथ होकर विश्राम स्थल पहुंचा। प्रवेश द्वार पर स्थित बुद्ध प्रतिमा के समक्ष उनके वाहन की गति धीमी हुई। उन्होंने वाहन में बैठे-बैठे ही हाथ जोड़ शीश नवाकर भगवान बुद्ध को प्रणाम किया। पुनः महापरिनिर्वाण मंदिर के समक्ष पहुंचते ही वाहन धीमा कराकर बुद्ध की पाचवीं सदी की शयनमुद्रा वाली प्रतिमा को प्रणाम किया।
बुद्ध व राम को एक साथ सुनना सुखद संयोग
बापू का बुद्ध के प्रति अगाध प्रेम जगजाहिर है। बुद्ध के प्रथम उपदेश स्थल सारनाथ, ज्ञान प्राप्त स्थल बोधगया के बाद निर्वाणस्थली कुशीनगर में रामकथा के लिए आगमन इसका द्योतक है। वह कथाओं में बुद्ध का अर्थ बौद्धिक रूप से जागृत पुरुष होना बताते रहे हैं। श्रद्धालु मर्यादा पुरुषोत्तम राम व बुद्ध की कथा एक साथ सुनना सुखद संयोग बता रहे हैं।
बनारस से आया है पंडाल, लाइट और गुजरात से साउंड सिस्टम
मोरारी बापू की कथा के लिए बनारस से टेंट व लाइट आया है तो गुजरात से आया साउंड सिस्टम पंडाल में लगाया गया है। यह साउंड सिस्टम यूट्यूब के संगीत नी दुनिया चैनल का है। पंडाल पूरी तरह से वाटर प्रूफ तो वातानुकूलित भी है। श्रोताओं को कथा श्रवण के दौरान जरा भी ठंड महसूस नहीं होगी। लाइट में शोभादार झालरें पंडाल की अलग ही शोभा बढ़ा रही हैं।