बिजली निगम के अफसरों और कर्मियों का आंदोलन जारी, निजीकरण को बताया गलत Gorakhpur News
बिजलीकर्मियों ने संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले तीन सितंबर से रोजाना एक घंटे के प्रदर्शन का एलान कर दिया है। उसी क्रम में गुरुवार को भी इनका आंदोलन जारी रहा।
गोरखपुर, जेएनएन। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रस्तावित निजीकरण के खिलाफ अफसर और कर्मचारी सोशल मीडिया पर भी लड़ाई लड़ रहे हैं। फेसबुक, वाट्सएप पर लोगों की राय भी मांग रहे हैं। ज्यादातर लोग असहमति जता रहे हैं तो कुछ का कहना है कि निजीकरण से उपभोक्ताओं की बात सुनी जाएगी। जब रुपये देने हैं तो अच्छी सुविधा भी मिलनी चाहिए। हालांकि बिजली अधिकारी और कर्मचारी इससे हताश नहीं है। वह निजीकरण के खिलाफ अभियान जारी रखे हुए हैं।
तीन जाेन में बांटने की तैयारी
घाटे में चल रहे पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के जानकारों का कहना है कि तीन जोन में बांटकर बिजली वितरण, अनुरक्षण और बिल वसूली का काम निजी कंपनियों को देने की योजना है। गोरखपुर व बस्ती मंडल को एक जोन बनाया जाएगा। निजीकरण के खिलाफ 18 अगस्त को एक घंटे का प्रदर्शन कर कर्मियों व अफसरों ने प्रबंधन को चेतावनी दी कि बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा। बिजलीकर्मियों ने संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले तीन सितंबर से रोजाना एक घंटे के प्रदर्शन का एलान कर दिया है।
ऐसे दे रहे हैं तर्क
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक ऐश्वर्य सिंह कहते हैं कि वर्ष 2000 में जब राज्य विद्युत परिषद का विघटन किया गया था तब पूरे प्रदेश में घाटा सिर्फ 77 करोड़ रुपये था। निगम बनने के बाद सरकार की गलत नीतियों के कारण घाटा 95 हजार करोड़ तक पहुंच गया है। ग्रेटर नोएडा में निजीकरण और आगरा को फ्रेंचाइजी के हवाले करना भी घाटे का सौदा बन गया है।
बता रहे निजीकरण के नुकसान
राज्य विद्युत परिषद प्राविधिक कर्मचारी संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष बृजेश त्रिपाठी ने कहा कि निजीकरण आंदोलन से नागरिकों को जोड़ा जा रहा है क्योंकि आखिर में उन्हें ही ज्यादा बिल और खराब सेवा की मार झेलनी पड़ेगी। हम लोग इसके फायदे और नुकसान के बारे में भी जानकारी दे रहे हैं। ताकि उपभोक्ताओं को असलियत की जानकारी हो सके।