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चिड़ियाघर में बढ़ जाती है वन्यजीवों की आयु, जंगल में दूषित मांस खाने से रहता है बीमार होने का खतरा

गोरखपुर चिडियाघर में शेर बाघ तेंदुआ दरियाई घोडा सहित कई तरह के वन्‍यजीव रखे गए हैं। चिडियाघर के निदेशक डा. एच राजामोहन बताते हैं कि जंगल की तुलना में चिडियाघर में वन्‍यजीवों की औसत आयु चार से छह साल बढ जाती है।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Published: Mon, 13 Sep 2021 12:15 PM (IST)Updated: Mon, 13 Sep 2021 12:15 PM (IST)
चिड़ियाघर में बढ़ जाती है वन्यजीवों की आयु, जंगल में दूषित मांस खाने से रहता है बीमार होने का खतरा
गोरखपुर चिडियाघर में अपने बाडे में बाघिन मरियम। जागरण

गोरखपुर,जितेन्द्र पाण्डेय। जंगल की तुलना में चिड़ियाघर में वन्यजीवों की औसत आयु चार से पांच वर्ष बढ़ जाती है। इसकी वजह है चिड़ियाघरों में जानवरों की उचित देखरेख, बेहतर भोजन व वातावरण है। शहीद अशफाक उल्‍ला खां प्राणि उद्यान (चिडियाघर) में वन्‍यजीवों के बाडे के सामने बाकायदा बोर्ड पर भी लिखकर यह चिडियाघर प्रशासन ने यह दावा भी किया है। बोर्ड पर एक तरफ जंगल में औसत आयु होगी तो दूसरी तरफ वन्यजीवों की चिड़ियाघर की आयु लिखी होती है। चिड़ियाघर की आयु व जंगल की आयु के बीच में करीब चार से पांच वर्षों का अंतर होता है।

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चिडियाघर में चार से छह साल बढ जाती है शेरनी उम्र

शेर, बाघ, तेंदुआ, चीता की जंगल की आयु 12 से 14 वर्ष होती है, लेकिन यही वन्यजीव यदि चिड़ियाघरों में रहते हैं तो उनकी आयु 16 से करीब 20 वर्ष होती है। गोरखपुर चिड़ियाघर में मौजूद मरियम (शेरनी) हो चुकी है। चिड़ियाघर प्रशासन का मानना है कि जंगल में इस आयु तक मरियम शायद ही जी पाती, लेकिन यहां वह पूरी तरह स्वस्थ है। इसकी वजह है उसकी उचित देखरेख, बेहतर भोजन और समय-समय पर स्वास्थ्य परीक्षण है।

जंगल में उम्र होने की हैं कई वजहें

चिड़ियाघर प्रशासन का मानना है कि जंगल में वन्यजीव की आयु कम होने के पीछे कई वजहें हैं। शेर, चीता, तेदुंआ, बाघ औसतन जंगल में 19 बार की कोशिश के अपने शिकार को मार गिराने में सफल होते हैं। इस चक्कर में उन्हें कई-कई दिनों तक भूखा रहना पडता है। कई बार शिकार के दौरान वह घायल भी हो जाते हैं। उन्हें जंगल में कोई उपचार भी नहीं मिलता है। जानवर का शिकार कर लेते हैं तो उसे कई दिनों तक खाते रहते हैं। कई बार तो जानवरों का मांस बासी हो जाता है। उसमें कीड़े पड़ जाते हैं और वन्यजीव उसे खाते रहते हैं। खराब भोजन करने से वह बीमार हो जाते हैं और इससे उनकी आयु घटती है।

बीमार जानवरों का मांस वन्‍यजीवों को बना देता है बीमार

चिड़ियाघर के पशु चिकित्सक डा.योगेश प्रताप सिंह का कहना है कि कई बार तो वन्यजीव जिस जानवर का शिकार करते हैं, वह पहले से बीमार होते हैं। खराब मांस खाने से उनके शरीर में टेप वर्म जैसे कीड़े प्रवेश कर जाते हैं और जानवर की आयु घटती है।

चिड़ियाघर में निरंतर होती है वन्‍यजीवों की निगरानी

चिड़ियाघर के निदेशक डा.एच राजा मोहन बताते हैं कि प्राणि उद्यान में वन्यजीवों को ताजा और संतुलित भोजन दिया जाता है। उनकी निरंतर निगरानी भी की जाती है। हर 15वें दिन पर जानवरों का स्वास्थ्य परीक्षण होता है। बीमार होने पर समय पर उपचार मिलता है। इससे चिड़ियाघर में वन्यजीवों की आयु औसतन चार से पांच वर्ष बढ़ जाती है। चिड़ियाघर प्रशासन बोर्ड पर लिखकर भी यह दावा करता है।


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