Air Pollution in Gorakhpur: पांच दिन में ही दोगुना हो गया वायु प्रदूषण का लेवल, छाई धुंध की चादर
दीपावली पर आतिशबाजी का प्रभाव गोरखपुर में अब भी दिख रहा है। आसमान धुंध की पट्टी छाई हुई है। सिर्फ पांच दिनों के भीतर शहर की वायु शुद्धता सूचकांक (एक्युआई) करीब दो गुने तक पहुंच गया है। रविवार को शहर का एक्यूआई 332 रहा।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। दीपावली पर हुई धुआंधार आतिशबाजी का प्रभाव अभी भी शहर पर दिख रहा है। रविवार दिन बादल स्पष्ट रूप से लोगों को नहीं नजर आया। बीच में एक धुंध(स्माग) की पट्टी छाई हुई है। सिर्फ पांच दिनों के भीतर शहर की वायु शुद्धता सूचकांक (एक्युआई) करीब दो गुने तक पहुंच गया है। रविवार को शहर का एक्यूआई 332 रहा। इसके चलते अधिकांश लोगों को आंखों में जलन व सांस लेने में तकलीफ हो रही है।
बीते वर्ष की तुलना में अत्यधिक खराब हुई शहर की हवा
मौसम विशेषज्ञ व पर्यावरण के जानकार वायु प्रदूषण की यह स्थिति देखकर लोगों को सलाह दे रहे हैं कि वह इस समय वाहनों का उपयोग कम से कम करें। बाहर कचरा न फेंके और न जलाएं। दीपावली पर जमकर आतिशबाजी का नतीजा है कि जिले का वायु प्रदूषण बहुत बढ़ गया है। रविवार सुबह का तापमान सिर्फ 15 डिग्री सेल्सियस रहा। तापमान कम होने से चारो तरफ आसमान में स्माग की एक लेयर छा गई है। इसके चलते तमाम लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। बीते दो नवंबर को धनतेरस के दिन तक शहर की एक्युआई 192 रही। शनिवार को शहर की एक्युआई 331 रही।
लगातार बढ़ रहा प्रदूषण
रविवार को भी इसके स्तर में कोई गिरावट नहीं आई। एक्युआई का लेवल 0 से 50 के बीच के लिए सेहत के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। लेकिन दीपावली पर शहर में लोगों की आवाजाही बढ़ी। खरीदारी के लिए अधिकांश लोग शहर की तरफ आये। इसके साथ लोगों ने जमकर आतिशबाजी भी। वातावरण में नमी अधिक है। पिछले दो दिनों से हवा की गति भी कम है। इसके चलते एक्युआई के स्तर में कमी नहीं आ रही है। बता दें पिछले वर्ष कोरोना के चलते सड़क पर लोगों का निकलना कम था। लोगों न पटाखे भी कम जलाए। मौसम विशेषज्ञ कैलाश पाण्डेय का मानना है कि शहर के चलते गोरखपुर में लोगों आना जाना तो लगा ही रहेगा, लेकिन थोड़ा ध्यान दें तो इसके स्तर में कमी लाई जा सकती है। बता दें पिछले साल दीपावली तीसरे दिन शहर की एक्युआई 170 थी। लेकिन रविवार को शहर की एक्युआई 332 रही।
पराली जलाने पर भी बढ़ रहा प्रदूषण
प्रदूषण के लिए सिर्फ पटाखे व वाहनों का बड़े पैमाने पर प्रयोग ही प्रमुख वजह नहीं हैं, बल्कि दीपावली बाद से तमाम किसानों ने खेतों में पराली जलाना शुरू कर दिया है। दो दिन पहले बांसगांव में कुछ लोगों ने करीब डेढ़ एकड़ फसल अवशेष जला दिया। शनिवार रात में भी कैंपियरगंज इलाके में भी कुछ व्यक्तियों ने खेत में फसल अवशेष जलाया है। बांसगांव में कृषि विभाग ने कुछ किसानों को नोटिस भी भेजा है, लेकिन अन्य स्थानों पर लोग प्रतिबंध के बावजूद पराली जला रहे हैं। जिला कृषि अधिकारी देवेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि इस पर पूरी तरह नजर रखी जा रही है। पराली जलाने पर यदि कोई पकड़ा जाएगा तो उसके विरुद्ध कार्रवाई भी होगी।
जानिए एक्युआई लेवल की स्थिति
0-50- अच्छा
51-100- संतोषजनक
101-200- सांस लेने में थोड़ी कठिनाई, बच्चे व बुजुर्ग के लिए सावधानी अपनाने की जरूरत
201-300- सांस लेने में तकलीफ देह स्थिति
301-400- अत्यंत खराब स्थिति
401 से ऊपर- हर किसी के लिए भयावह स्थिति
वायु प्रदूषण के रोकथाम के लिए यह करें उपाय
परिवहन का सिर्फ जरूरत के अनुसार करें उपयोग
प्लास्टिक बैग का प्रयोग न करें
बिजली का कम उपयोग करें
चिमनी के लिए फिल्टर का उपयोग
कूड़ा बाहर न फेंके और न ही जलाएं
सौर्य ऊर्जा का प्रयोग करें।