लॉकडाउन में सरकार की मनमानी से गई कई लोगों की जान : नगीना साहनी Gorakhpur News
समाजवादी पार्टी गोरखपुर के जिलाध्यक्ष नगीना प्रसाद साहनी ने कहा लॉकडाउन में अधिकारियों की गलती के कारण कई लोगों ने अपनी जान गवां दी।
गोरखपुर, जेएनएन। समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष नगीना प्रसाद साहनी ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान कुव्यवस्था, सरकार की मनमानी और सरकार की गलत नीतियों के कारण लोग रोजी रोटी से वंचित हो रहे हैं। इस कारण लोग अपनी जान गवां रहे हैं।
अधिकारियों की लापरवाही से गई लोगों की जान
मीडिया से रूबरू सपा जिलाध्यक्ष ने सरकार पर निशाना साधा, कहा कि पूरे लॉकडाउन के दौरान अधिकारी भी मनमानी करते रहे। अत्यंत जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं को भी लॉकडाउन में बंद कर दिया गया जिस कारण बहुत से लोगों की मौत दवा व चिकित्सीय परामर्श के अभाव में हो गई। इसकी पूरी जिम्मेदारी भाजपा सरकार की है। किसान सहित समाज के तमाम वर्गो के लोग अवसाद में हैं। कर्ज के बोझ से लदे लोगों को भविष्य में भी अंधेरा छा गया है। भूख से लोगों की मौत की खबरें बहुत ही दु:खद है। भाजपा सरकार की गलत नीतियों के चलते देश की अर्थव्यवस्था बहुत बुरे दौर से गुजर रही है। लोगों के पास काम धंधा नहीं रह गया है।
20 लाख करोड़ के पैकेज से किसको कितना मिलेगा, बताए सरकार
मंहगाई बढ़ती जा रही है। नौकरियां घटती जा रही हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि भाजपा सरकार द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ के पैकेज में कितना गरीबों, किसानों, दिहाड़ी कर्मियों, प्रवासी मजदूरों, छोटे और खुदरा व्यापारी, ठेले-पटरी वाले और अन्य मजबूर लोगों को मिलेगा इसकी जानकारी सरकार क्यों नहीं दे रही है। पूरे प्रदेश में काम की आस में मजदूरों की आंखे पथरा रही हैं लेकिन सरकार को उनकी फिक्र नहीं। मेहनतकश का पेट रोटी से भरेगा न कि सिर्फ बैठकों से व बयानों से। श्रमिकों के सामने गहरा अंधेरा है। वे कहां जाएं? सरकार सिर्फ बयानों में रोजगार बांट रही हैं। कोविड-19 संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा हैं। कोरोना संक्रमितों की संख्या बढती जा रही है सरकार को बताना चाहिए कि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए केन्द्र के 20 लाख करोड़ महा पैकेज से मिले धन को कहां खर्च किया जा रहा है ?
भुखमरी की चपेट में है बड़ी आबादी
सपा जिलाध्यक्ष नगीना प्रसाद साहनी ने कहा कि कोरोना के मुकाबले के नाम पर सरकारें गरीबी को नहीं, मजदूरों, श्रमिकों , बेरोजगारों, किसानों और गरीबों को मिटा देने पर तुली है। सरकार की कारपोरेट समर्थक नीति के कारण देश पहले से ही महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, कालाबाजारी और आर्थिक मंदी से जूझ रहा था। किसान रो रहा था। अनियोजित और अचानक किए गए लाकडाउन से बहुत लोग बेरोजगार हो गए। किसान खेत में अपना उत्पाद नष्ट करने को मजबूर है। रोज कमाने-खाने वाली बड़ी आबादी भुखमरी की चपेट में है ? छोटे-मोटे रोजगार कर खुश रहने वालों की भी हालत चिंताजनक हो गई है। रेल से कटकर, वाहनों से कुचलकर और रास्तों में भूख प्यास से मरने वाले लोगों के परिवारों को सरकार द्वारा मदद मिलनी चाहिए।
आर्थिक तंगी को लेकर आए दिन खुदकुशी की खबरें आ रही हैं और सरकार मौन है। अभी भी बहुत लोगों की नौकरी खतरे में है। सरकार को ठोस उपाय करने की जरूरत है। इस संकट से बचाने के लिए कंपनियों को वेतन भुगतान और छटनी न करने की शर्त पर ब्याज मुक्त कर्ज, टैक्स में छूट जैसे ठोस कदम उठाने की तत्काल आवश्यकता है।