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पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पूर्वोत्‍तर रेलवे का किया था उदघाटन, 14 अप्रैल 1952 को पड़ी थी नींव Gorakhpur News

उद्भव से पहले पूर्वोत्तर रेलवे का नाम तिरहुत रेलवे था। बाद में इसे अवध- तिरहुत कर दिया गया। देश के पूरब और उत्तर क्षेत्र में रेलवे के विकास के चलते अवध-तिरहुत रेलवे का नाम पूर्वोत्तर रेलवे कर दिया गया।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Published: Wed, 14 Apr 2021 02:03 PM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 06:19 PM (IST)
पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पूर्वोत्‍तर रेलवे का किया था उदघाटन, 14 अप्रैल 1952 को पड़ी थी नींव Gorakhpur News
रेलवे के संबंध में प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो, जेएनएन।

गोरखपुर, जेएनएन। ठीक 68 साल पूर्व 14 अप्रैल 1952 को पूर्वोत्तर रेलवे की नींव पड़ी थी। आज ही के दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दिल्ली में उद्घाटन किया था। हालांकि, अस्तित्व में आने के बाद 7660 किमी के क्षेत्र में फैला यह रेलवे दो और भागों में बंट गया। पूर्वोत्तर सीमांत और पूर्व मध्य रेलवे दो नए जोन बने। दो भाग अलग होने के बाद इस रेलवे का क्षेत्रफल कम जरूर हो गया, लेकिन इसके विकास की रफ्तार कभी धीमी नहीं पड़ी। यह रेलवे पूर्वांचल ही नहीं बिहार और उत्तराखंड में यातायात का प्रमुख साधन बना हुआ है।

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सीमांत और पूर्व मध्य रेलवे बने नए जोन

उद्भव से पहले पूर्वोत्तर रेलवे का नाम तिरहुत रेलवे था। बाद में इसे अवध- तिरहुत कर दिया गया। देश के पूरब और उत्तर क्षेत्र में रेलवे के विकास के चलते अवध-तिरहुत रेलवे का नाम पूर्वोत्तर रेलवे कर दिया गया। अभिलेखों के अनुसार अवध-तिरहुत रेलवे, असम रेलवे, बांबे बड़ौदा तथा सेंट्रल इंडिया रेलवे के फतेहगढ़ को मिलाकर पूर्वोत्तर रेलवे वजूद में आया था। तब असम से लगायत बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सहित देश के कई क्षेत्रों में इसका विस्तार था। हालांकि, इसका विस्तार अधिक दिनों तक कायम नहीं रह सका। 15 जनवरी 1958 को पूर्वोत्तर रेलवे से निकलकर पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे एक अलग जोन बन गया। जिसमें असम का क्षेत्र समाहित था। एक अक्टूबर 2002 को रेल मंत्रालय ने पूर्वोत्तर रेलवे से बिहार क्षेत्र को अलग कर पूर्व मध्य रेलवे नाम से नया जोन बना दिया। असम और बिहार सहित देश के कई बड़े क्षेत्र कट जाने के बाद भी पूर्वोत्तर रेलवे 3472 किमी में फैला है। जिसमें मुख्यालय गोरखपुर के अलावा लखनऊ, वाराणसी और इज्जतनगर मंडल शामिल हैं।

यह भी जानें

उद्भव के समय पूर्वोत्तर रेलवे में सिर्फ छोटी लाइन थी। आज 3141 किमी बड़ी रेल लाइन हो गई है। महज 331 किमी छोटी लाइन ही बची है।

पूर्वोत्तर रेलवे के 2287 रूट किमी रेल लाइन का विद्युतीकरण पूरा हो गया है। ट्रेनें इलेक्ट्रिक इंजनों से फर्राटा भर रही हैं।

यात्री सुविधाओं का तेजी से विकास हुआ है। स्टेशनों पर लिफ्ट, एस्केलेटर, एफओबी, उच्‍चीकृत प्लेटफार्म, वेटिंग हाल तथा ट्रेनों में लिंक हाफमैनबुश कोच की सुविधा मिल रही है।

पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह का कहना है कि कभी छोटी लाइन के नाम से प्रसिद्ध इस रेलवे का 90 फीसद से अधिक हिस्सा बड़ी लाइन में परिवॢतत हो चुका है। ज्यादातर मुख्य रेल लाइनों का दोहरीकरण हो चुका है। कुछ रेल खंडों में तीसरी लाइन बन रही है। 70 फीसद से अधिक रेल लाइनें विद्युतीकृत की जा चुकी हैं। स्टेशनों पर अत्याधुनिक सुख सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं।


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