एक नवंबर 1875 को खुली थी दरभंगा से दलसिंगसराय के बीच पहली रेल लाइन Gorakhpur News
वर्ष 1874 में इंग्लैंड में बना लार्ड लारेंस इंजन आज भी गोरखपुर के रेल म्यूजियम की शोभा बढ़ा रहा है। दरभंगा से दलसिंगसराय के बीच निर्मित रेल लाइन के माध्यम से 46 हजार टन खाद्य सामग्री लोगों तक पहुंचाई गई थी।
प्रेम नारायण द्विवेदी, गोरखपुर। पूर्वोत्तर रेलवे का जो वर्तमान दायरा है, उसकी बुनियाद 01 नवंबर 1875 को पड़ी थी। अकाल के दौरान उत्तरी बिहार में खाद्यान्न और पशुओं का चारा पहुंचाने के लिए समस्तीपुर के रास्ते दरभंगा से दलसिंगसराय के बीच 61 किमी रेल लाइन आज ही के दिन खुली थी। लगभग छह माह में बनकर तैयार हुई इस रेल लाइन पर पहली बार लार्ड लारेंस इंजन खाद्यान्न लेकर दरभंगा से दलसिंगसराय तक पहुंचा था।
वर्ष 1874 में इंग्लैंड में बना लार्ड लारेंस इंजन आज भी गोरखपुर के रेल म्यूजियम की शोभा बढ़ा रहा है। दरभंगा से दलसिंगसराय के बीच निर्मित रेल लाइन के माध्यम से 46 हजार टन खाद्य सामग्री लोगों तक पहुंचाई गई थी। हालांकि, यह रेल लाइन जुगाड़ से ही बनाई गई थी। 1876 तक यह स्थाई और पक्की हो गई। 1890 तक इस रेल लाइन का विस्तार 491 किमी तक हो गया। जिसपर 10 इंजनों के माध्यम से 230 वैगनों का आवागमन शुरू हो गया। उस समय रेल लाइनों और ट्रेनों का उपयोग सिर्फ खाद्य सामग्री और पशु चारा की ढुलाई के लिए होता था। इस रेल लाइन का धीरे-धीरे विस्तार होता गया और इसका नाम तिरहुत रेलवे पड़ गया। इसी दौरान बहराइच, मनकापुर और गोंडा क्षेत्र में भी रेल लाइनों का निर्माण शुरू हो गया। 1906 तक कासगंज से काठगोदाम तक रेल लाइन बिछ गई।
रेल लाइनों के विस्तार के साथ धीरे-धीरे उत्तर प्रदेश, बिहार और असम क्षेत्र आपस में जुड़ते गए। 1 जनवरी 1943 से यह रेलवे अवध-तिरहुत के नाम से जाना जाने लगा। इस रेलवे में बंगाल एवं नाथ वेस्टर्न तथा रोहिलखंड एवं कुमायूं रेलवे को भी शामिल कर लिया गया। वर्ष 1974 तक इस रेलवे में इस्टर्न बंगाल रेलवे तथा बंगाल असम रेलवे के मुरलीगंज-पुर्णिया और वनमंखी-बिहारीगंज रेल खंड को भी मिला दिया गया। 14 अप्रैल 1952 को तिरहुत रेलवे, असम रेलवे, बांबे बड़ोदरा तथा सेंट्रल इंडिया रेलवे को मिलाकर पूर्वोत्तर रेलवे अस्तित्व में आया। जिसका उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने दिल्ली में ही किया था। आज कई जोन में बंटने के बाद भी पूर्वोत्तर रेलवे 35 सौ रूट किमी में फैला है, जो लाखों लोगों के आवागमन का प्रमुख साधन बन गया है।