कहीं मिट न जाए ऐतिहासिक वटवृक्ष का अस्तित्व, चिंतित हैं लोग Gorakhpur News
बुद्ध पीजी कालेज कुशीनगर में सन 1956 में म्यांमार के तत्कालीन प्रधानमंत्री ऊ नू ने एक बरगद का पौधा (वट वृक्ष) लगाया था। वह आज विशाल वट वृक्ष बन चुका है। वृक्ष के संरक्षण का कोई उपाय न होने के कारण यह कमजोर होता जा रहा है।
गोरखपुर, जेएनएन : बुद्ध पीजी कालेज कुशीनगर में सन 1956 में म्यांमार के तत्कालीन प्रधानमंत्री ऊ नू ने एक बरगद का पौधा (वट वृक्ष) लगाया था। वह आज विशाल वट वृक्ष बन चुका है। वृक्ष के संरक्षण का कोई उपाय न होने के कारण यह कमजोर होता जा रहा है। न ही महाविद्यालय परिवार इसको लेकर गंभीर है और न वन विभाग। बुद्धनगरी के प्रबुद्ध लोग वटवृक्ष के संरक्षण को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने इसकी सुरक्षा की मांग की है।
नई दिशा ने वृक्ष के संरक्षण के लिए किया था प्रयास
पर्यावरण बचाने के लिए कार्य करने वाली संस्था नई दिशा ने इस ऐतिहासिक वृक्ष के संरक्षण की दिशा में बीते वर्ष कुछ प्रयास किया था, लेकिन प्रशासन का सहयोग न मिलने से वह मुकाम तक नहीं पहुंच सका। संस्था के सचिव डा. हरिओम मिश्र ने बताया कि जनसहयोग से वृक्ष के पास के गड्ढे में मिट्टी की भराई का कार्य कराया गया। विद्यालय प्रशासन एवं तहसील प्रशासन से भी सहयोग मांगा गया था। संस्था इस वृक्ष के संरक्षण को लेकर गंभीर है। अभी हमारा प्रयास चल रहा है।
वट वृक्ष के संरक्षण के लिए महाविद्यालय प्रशासन गंभीर
प्राचार्य डा. अमृतांशु कुमार शुक्ल ने कहा कि महाविद्यालय परिसर में रोपित वट वृक्ष के संरक्षण के लिए महाविद्यालय प्रशासन गंभीर है। इस ऐतिहासिक वृक्ष का संरक्षण किया जाएगा। नई दिशा पर्यावरण सेवा संस्थान द्वारा किया जा रहा कार्य इसी कड़ी का एक प्रयास है।
वट वृक्ष का होना ही चाहिए संरक्षण
अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, लखनऊ के पूर्व अध्यक्ष भंते महेंद्र ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण और भारत-म्यांमार के मध्य मैत्री का संदेश देने वाले 65 वर्ष पुराने ऐतिहासिक वट वृक्ष का संरक्षण होना ही चाहिए। वैसे भी वट वृक्षों की संख्या कम होती जा रही है।
धार्मिक व औषधीय महत्व है वट वृक्ष का
बिरला धर्मशाला के प्रबंधक वीरेंद्र नाथ त्रिपाठी ने कहा कि वट वृक्ष का धार्मिक व औषधीय महत्व है। वट वृक्ष लुप्त होते जा रहे हैं। ऊ नू द्वारा लगाए गए वृक्ष दोनों देशों के मध्य मैत्री संबंधों की याद ताजा करता है। इसका संरक्षण किया जाना आवश्यक है।
वट वृक्ष देता है भारत-म्यांमार के मध्य मैत्री का संदेश
गाइड व टूर प्रमोटर, कुशीनगर के टीके राय ने बताया कि वट वृक्ष भारत-म्यांमार के मध्य मैत्री के साथ-साथ शांति का संदेश देता है। इसका संरक्षण किया जाना आवश्यक है।
होना चाहिए वट वृक्ष का संरक्षण
कसया के क्षेत्रीय वन अधिकारी अखिलेश कुमार द्विवेदी ने बताया कि ऐतिहासिक वट वृक्ष है। इसका संरक्षण हर हाल में होना ही चाहिए। इसके संरक्षण में वन विभाग हर संभव सहयोग करेगा।