करतारपुर कारिडोर : प्रयास सराहनीय पर पाकिस्तान भरोस के काबिल नहीं, सजग रहने की जरूरत Gorakhpur News
पाकिस्तान की पूर्व की गतिविधियों को देखते हुए भारत को सजग रहने की जरूरत है। क्योंकि पाकिस्तान दहशतगर्द फैलाने में इस कारिडोर का सहारा ले सकता है।
गोरखपुर, जेएनएन। करतारपुर कारिडोर भारत व पाकिस्तान के बीच अच्छे संबंध कायम करने की दिशा में एक बेहतर पहल है। दोनों देशों के बीच इससे रिश्ते प्रगाढ़ होंगे, लेकिन पाकिस्तान की पूर्व की गतिविधियों को देखते हुए भारत को सजग रहने की जरूरत है। क्योंकि पाकिस्तान दहशतगर्द फैलाने में इस कारिडोर का सहारा ले सकता है।
पाक की तत्परता पर सवाल
यह बातें दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा.अमित कुमार उपाध्याय ने कहीं। वे सोमवार को दैनिक जागरण कार्यालय में 'जागरण विमर्श कार्यक्रम में करतारपुर कारिडोर : दोस्ती या खतरे का रास्ता? विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि सिर्फ दस माह में पाकिस्तान ने कारिडोर का निर्माण पूर्ण करा दिया, वह भी तब जबकि वहां आर्थिक मंदी है। पाक कि यह तत्परता हमें सोचने पर मजबूर करती है।
बाजपेयी जी ने की थी नवाज शरीफ से चर्चा
डा.उपाध्याय ने कहा कि भारतीय सिख तीर्थयात्रियों के लिए करतारपुर साहिब की ओर जाने वाले गलियारे को खोलने की मांग भारत द्वारा कई अवसरों पर उठाई जाती रही है। वर्ष-1999 में लाहौर की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ भी इस मुद्दे पर चर्चा की थी, लेकिन सफलता नहीं मिली। वर्ष 2000 में जनरल परवेज मुशर्रफ ने करतारपुर साहिब गुरुद्वारा में यात्रा को सुलभ बनाने के लिए एक गलियारे के निर्माण को मंजूरी दी, हालांकि 2018 तक इस मुद्दे पर कोई विशेष कार्य नहीं हो सका। इसके बाद नवंबर 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने 2019 में गुरुनानक देव जी की 550वीं जयंती मनाए जाने का प्रस्ताव पारित किया। साथ ही गुरुदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक से अंतरराष्ट्रीय सीमा चार किमी तक करतारपुर गलियारे के निर्माण व विकास को मंजूरी दी। 26 नवंबर 2018 को भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने भारतीय क्षेत्र में प्रस्तावित गलियारे की आधारशिला रखी। 28 नवंबर 2018 को पाक प्रधानमंत्री इमरान खान की तरफ से गलियारे की बुनियाद रखी गई।
सांस्कृति रिश्ते मजबूत करने के अवसर
उन्होंने कहा कि करतारपुर कारिडोर को भारत-पाक रिश्तों की नजर से देखें तो भारतीय पंजाब प्रांत को पाकिस्तानी पंजाब प्रांत से जोड़कर दोनों देशों के मध्य सांस्कृतिक रिश्ते मजबूत करने का एक अच्छा अवसर है। पाकिस्तान को लगता है कि इससे उसकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, क्योंकि जो यात्री इस रास्ते से जाएंगे वह 20 डालर यानी 14 सौ रुपये पाक को देंगे। एक वर्ष में न्यूनतम एक लाख यात्रियों के जाने की संभावना है। इस कारिडोर को खतरे का रास्ता कहने से भी इंकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि यात्रियों की सुरक्षा का मुद्दा इस गलियारे के लिए काफी चुनौतीपूर्ण है। पाक द्वारा भारत में आतंकी हमले की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। पाकिस्तानी सेना के एक पूर्व अधिकारी असलम बेग का कारिडोर के माध्यम से जेहादी भेजने की बात करना पाकिस्तान की मंशा को जाहिर करता है।
वीडियो से प्रदर्शित हो रही पाक की नीयत
इस नई शुरुआत के जश्न में पाक की ओर से जारी विडियो से पाक की मंशा स्पष्ट होती है। चार मिनट के विडियो में दिखाया गया है कि कुछ सिख एक गुरुद्वारे की तरफ जाते दिख रहे हैं। विडियो में खालिस्तानी अलगाववादी जरनैल सिंह भिंडरावाले, मेजर जनरल शाबेग सिंह और अमरीक सिंह खालसा को दिखाया गया है। ये तीनों आपरेशन ब्लू स्टार में मारे जा चुके हैं। पाकिस्तान कारिडोर के माध्यम से फिर उस खालिस्तान आंदोलन को खड़ा करने की साजिश रच रहा है।