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न्यायालय की टिप्पणी से बेनकाब हुआ पुलिस का चेहरा, पुलिस कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई का आदेश

कोर्ट ने पुलिस के प्रथम सूचना रिपोर्ट की ऐसा कहा है कि गिरफ्तारी प्रपत्र में घटना होटल में 15 दिसंबर को रात नौ बजे दर्शायी गई है। गिरफ्तारी भी उसी तारीख को दर्शित है लेकिन मेडिकल जांच आख्या 16 दिसंबर की दिखाई गई है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Sun, 20 Dec 2020 02:10 AM (IST)Updated: Sun, 20 Dec 2020 07:19 PM (IST)
न्यायालय ने पुलिस पर सख्‍त टिप्पणी की है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जेएनएन। कुशीनगर जिले के कसया थाना के पुलिस कर्मियों व पर्यटकों के बीच बीते मंगलवार को हुई मारपीट के मामले में न्यायालय की टिप्पणी ने पुलिस को कटघरे में खड़ा कर दिया है। कोर्ट ने पुलिस पर न केवल तल्‍ख टिप्पणी की है, बल्कि जांच कर दोषी पुलिस कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई का आदेश एसपी को दिया है।

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न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में कुशीनगर में सरकार व प्रशासन के स्तर पर चल रही पर्यटन व पर्यटकों को प्रोत्साहित करने वाली योजनाओं की भी बखिया उधेड़ कर रख दी है। उनके चेहरे से नकाब नोच बपेर्द कर दिया है। पुलिस गाइड, पुलिस मित्र, पर्यटक पुलिस, पर्यटक थाना जैसी अवधारणाओं पर चल रहे सरकार के कार्यों को लेकर भी लोगों के विश्वास को धक्का पहुंचा है।

कुशीनगर बौद्ध सर्किट का प्रमुख पर्यटन केंद्र है। यहां पर विशेष रूप से प्रशिक्षित पर्यटक पुलिस का एक दस्ता भी तैनात है। पुलिस चौकी भी खोली गई है। थाना की पुलिस को भी पर्यटकों को लेकर खास हिदायत है कि किसी भी देशी विदेशी पर्यटकों को किसी प्रकार की असुविधा न होने दी जाए। उनके साथ शिष्ट, विनम्र व शालीन व्यवहार की अपेक्षा सरकार व विशेषकर पर्यटन विभाग करता है। ऐसे में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय कसया के पीठासीन मजिस्ट्रेट शोभित राय की टिप्पणी ने सरकार की मंशा पर सवाल लगाया ही है। 

कोर्ट ने कहा, किस आधार पर दर्ज हुआ मुकदमा

कोर्ट ने पुलिस के प्रथम सूचना रिपोर्ट की ऐसा कहा है कि गिरफ्तारी प्रपत्र में घटना होटल में 15 दिसंबर को रात नौ बजे दर्शायी गई है। गिरफ्तारी भी उसी तारीख को दर्शित है, लेकिन मेडिकल जांच आख्या 16 दिसंबर की दिखाई गई है। उसमें युवकों को आई हुई चोटों की ड्यूरेशन फ्रेस अंकित है। न्यायालय के समक्ष युवकों ने थाने के अंदर बुरी तरह मारने-पीटने की बात कही है। मेडिकल प्रपत्र और युवकों के शरीर पर चोटों के देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि थाने में पुलिस कर्मियों द्वारा उच्च और उच्चत्तम न्यायालय के निर्देशों और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए अभिरक्षा में युवकों पर बल प्रयोग किया गया है।

न्यायालय ने विवेचक सहित दोषी पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई के लिए पुलिस अधीक्षक को न्यायालय के आदेश की एक प्रति प्रेषित करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने विवेचक द्वारा प्रस्तुत रिमांड में धारा 198 पर भी टिप्पणी की है। कहा है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट व केस डायरी में कहीं भी यह उल्लेखित नहीं है कि युवक किसी भी प्रकार के घातक हथियार से लैस होकर लूट या डकैती का प्रयास कर रहे थे। न्यायालय ने सवाल खड़ा किया है कि आखिर किस आधार पर पुलिस ने लूट के प्रयास का मुकदमा दर्ज किया। कोर्ट ने लूट के प्रयास के मुकदमे को भी निरस्त कर दिया है। 

होटल संचालक की दावत में पहुंचे थे पुलिसकर्मी, डीआइजी ने शुरू की जांच

पुलिसकर्मियों के मारपीट करने की बात सामने आने पर डीआइजी रेंज ने मामले की जांच शुरू कर दी है। गुरुवार को कसया जाकर उन्‍होंने पुलिसकर्मियों के साथ ही पीडि़त परिवार व होटल मालिक का बयान लिया। जिसमें पता चला कि होटल मालिक ने पुलिसकर्मियों को मछली की दावत में बुलाया था। डीआइजी के निर्देश पर एसपी कुशीनगर ने घटना में शामिल दो सिपाहियों को निलंबित करने के साथ ही चौकी प्रभारी कसया को लाइन हाजिर कर दिया। डीआइजी रेंज राजेश मोदक ने कसया पहुंकर एसपी, सीओ व थानेदार से होटल में हुई घटना की जानकारी ली। अब तक हुई कार्रवाई को जानने के बाद कसया चौकी प्रभारी व सिपाहियों का बयान लिया। इसके बाद उन्‍होंने पीडि़त परिवार से बात की तो उन्‍होंने पुलिस पर मनगढ़ंत कहानी तैयार कर झूठा एफआइआर दर्ज कराने का आरोप लगाया। परिवार के लोगों ने बताया पुलिसकर्मियों ने परिवार के लोगों से पहले दुर्व्‍यवहार किया। प्रतिकार करने पर पिटाई कर दी। होटल मालिक से डीआइजी ने बातचीत की तो पता चला कि उसने पुलिसकर्मियों को मछली की दावत दी थी, जिसमें वह पहुंचे थे। डीआइजी राजेश मोदक ने बताया कि घटना की जानकारी लेने कसया गए थे। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।


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