गोरखपुर में सफाई कर्मचारियों ने संभाला था मोर्चा, तब जाकर पूरी हो पाई तीसरे शिफ्ट में मतगणना Gorakhpur News
प्रशासन का अनुमान था कि दो शिफ्टों में मतगणना पूरी हो जाएगी। पर कोरोना संक्रमण से बचने के लिए कई कर्मचारी ड्यूटी पर नहीं आए। पहली शिफ्ट में मतगणना करने वाले कर्मियों को जरूरत पडऩे पर तीसरे शिफ्ट में भी ड्यूटी करनी थी।
गोरखपुर, जेएनएन। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में मतदान की तरह मतगणना भी निर्धारित समय में पूरी नहीं हो पाई। उम्मीद थी कि दो शिफ्टों में मतगणना का काम पूरा हो जाएगा लेकिन तीसरे शिफ्ट में भी पूरे समय तक गणना होती रही। कर्मचारियों की कमी के कारण कई ब्लाकों में सफाई कर्मियों को मोर्चा संभालना पड़ा। खोराबार ब्लाक में सोमवार को दोपहर बाद आनन-फानन में एकीकृत कोविड कमांड कंट्रोल रूम के करीब आधा दर्जन कर्मचारियों की ड्यूटी मतगणना में लगानी पड़ी। समाचार लिखे जाने तक जिले में 1294 में से 1220 ग्राम पंचायतों में प्रधान पद के नतीजे आ चुके थे। इसी तरह 1700 बीडीसी सदस्यों में से 1518 के परिणाम आ चुके थे। 7110 ग्राम पंचायत सदस्य पद के नतीजे भी घोषित हो गए थे। जंगल कौडिय़ा, पिपराइच, खोराबार में गणना जारी थी। जिला पंचायत सदस्य के 68 वार्डों में से किसी का परिणाम आधिकारिक तौर पर घोषित नहीं हो सका था।
प्रशासन का अनुमान था कि दो शिफ्टों में मतगणना पूरी हो जाएगी। पर, कोरोना संक्रमण से बचने के लिए कई कर्मचारी ड्यूटी पर नहीं आए। पहली शिफ्ट में मतगणना करने वाले कर्मियों को जरूरत पडऩे पर तीसरे शिफ्ट में भी ड्यूटी करनी थी। यही कारण था कि उनका मानदेय रोक दिया गया था। पर, कर्मचारियों के हंगामा करने के बाद मानदेय दिया गया। कैंपियरगंज, खोराबार एवं कुछ अन्य ब्लाकों पर स्थिति काफी खराब हो गई थी। सुबह अपनी ड्यूटी पूरी कर दूसरी शिफ्ट के कर्मचारी भी चले गए। पहली शिफ्ट में काम करने वाले कर्मचारी नहीं आए। स्थिति यह हो गई कि मतगणना पर्यवेक्षक भी नहीं थे। सफाई कर्मियों की ड्यूटी लगाकर मतगणना कराने की कोशिश की गई लेकिन कई स्थानों पर प्रत्याशियों ने यह कहते हुए विरोध कर दिया कि सफाई कर्मी स्थानीय हैं, इसलिए उनसे गिनती न कराई जाए। यही कारण है कि मतों की गिनती काफी सुस्त रही। खोराबार में मतपत्रों की गिनती के लिए कोविड कंट्रोल रूम से कर्मचारियों को भेजना पड़ा।
पर्चे पर नहीं अंकित थी वार्ड संख्या
खोराबार ब्लाक में बीडीसी के दो वार्डों के पर्चों में अंतर कर पाना मुश्किल था। दोनों वार्ड में चार-चार प्रत्याशी थे लेकिन मतदान के समय पीठासीन अधिकारी ने मतपत्रों पर वार्ड संख्या नहीं लिखी थी। जिसके कारण कई मतपत्र समझ ही नहीं आ रहे थे कि किस वार्ड के हैं। दोनों वार्डों के प्रत्याशी वोट बांटने पर राजी नहीं थे। इसकी सूचना उच्चाधिकारियों को दे दी गई।