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समाज की तरक्की में शिक्षा का योगदान अहम

ज्ञान वही अच्छा है जो समाज के उत्थान के काम आए।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 10:50 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 10:50 PM (IST)
समाज की तरक्की में शिक्षा का योगदान अहम
समाज की तरक्की में शिक्षा का योगदान अहम

संतकबीर नगर: लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक कन्या इंटरमीडिएट कालेज झुड़िया के प्रधानाचार्य संदीप कुमार ने कहा कि इंसान पढ़-लिखकर ही समाज में अपना स्थान बना सकता है। समाज में यदि आपको तरक्की करनी है तो शिक्षा को हथियार बनाना होगा। ज्ञान वही अच्छा है जो समाज के उत्थान के काम आए।

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संदीप बुधवार को कालेज में आयोजित शिक्षा जागरूकता गोष्ठी कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शिक्षा के प्रसार के लिए समाज का जागरूक होना बहुत आवश्यक है। शिक्षा से मनुष्यता का जन्म होता है तथा समाज को तरक्की के रास्ते पर ले जाया जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा की स्थिति पहले से बेहतर हुई है, लेकिन अभी भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए लोगों को दूरदराज जाना पड़ रहा है। अब समय है कि ग्रामीण क्षेत्र में भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाए। जिससे शिक्षा का बेहतर प्रसार हो सके। रुद्रनाथ चतुर्वेदी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले समय में स्थिति बेहतर नहीं थी लेकिन अब जागरूकता और शिक्षा के प्रसार के द्वारा सुधार आया है। इस अवसर पर सोनू चौबे, मोहम्मद शाकिब, हरीश द्विवेदी, राधेश्याम, अनुज त्रिपाठी, उमेश चंद्र मिश्र, चतुर्भुजी नाथ, मोबस्सिर, जमील अहमद, विनोद दूबे, अनिल कुमार सिंह, गंगा प्रसाद, सुभाषचंद्र विश्वकर्मा, संतोष चतुर्वेदी समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। भागवत कथा सुनने से जीवन का कल्याण संभव : वाचस्पति

संतकबीर नगर : भागवत कथा में जीवन का सार तत्व मौजूद है। आवश्यकता है निर्मल मन और स्थिर चित्त के साथ कथा श्रवण करने की। भागवत श्रवण से मनुष्य को परमानंद की प्राप्ति होती है। पावन कथा सुख-समृद्धि बढ़ाकर बाधाओं से मुक्ति दिलाती है। प्राणियों को भक्ति की ओर अग्रसर करके जीवन का कल्याण करती है।

यह बातें बुधवार को महुली कस्बा में भागवत कथा के शुभारंभ पर कथा व्यास पंडित वाचस्पति द्विवेदी ने कहीं। उन्होंने कहा कि भगवान की लीला अपरंपार है। वह लीलाओं के माध्यम से मनुष्य व देवताओं के धर्मानुसार आचरण करने के लिए प्रेरित करते हैं। कथा व्यास ने कहा कि भगवत भजन यदि मनुष्य आत्मसात कर ले तो जीवन से सारी उलझने समाप्त हो जाएगी। मनुष्य जब अच्छे कर्मों के लिए आगे बढ़ता है तो संपूर्ण सृष्टि की शक्ति समाहित होकर मनुष्य के पीछे लग जाती है। बुरे कर्म करने व साथ होने पर बुरी शक्तियां हमारे साथ हो जाती है। छल और छलावा ज्यादा दिन नहीं चलता। निर्मल मन को ही प्रभु स्वीकार्य करते हैं। संगीतमय भजनों के बीच प्रभु की झांकी निकाली गई। कथा से पूर्व विधिविधान से पूजन किया गया। अंत में आरती हुई। मौके पर कुसुम देवी, योगेंद्र मिश्र, गोविद, नरसिंह, प्रसिद्ध, पुरुषोत्तम, श्रवण, सौरभ, सूरज, आकाश, अंशुमान, आयुष, इंद्रदेव, मानस, शांति देवी, गोमती, सुमित्रा, अंजनी, रीता, संगीता, सुमन, खुशबू, अनन्या सहित अनेक श्रोता मौजूद रहे।


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