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Lockdown 3: क्‍वारंटाइन सेंटरों में चार पूड़ी और दोना भर तहरी से भर रहे पेट Gorakhpur News

Lockdown 3 गोरखपुर के क्‍वारंटाइन सेंटरों में रह रहे लोगों को भर पेट भोजन तक नहीं मिल पा रहा है। दैनिक जागरण की रिपोर्ट..

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Sun, 17 May 2020 12:48 PM (IST)Updated: Mon, 18 May 2020 08:36 AM (IST)
Lockdown 3: क्‍वारंटाइन सेंटरों में चार पूड़ी और दोना भर तहरी से भर रहे पेट Gorakhpur News
Lockdown 3: क्‍वारंटाइन सेंटरों में चार पूड़ी और दोना भर तहरी से भर रहे पेट Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना भले न मारे, यहां की अव्यवस्थाएं जरूर मार डालेंगी। हम मेहनतकश हैं साहब, 24 घंटे में चार पूड़ी और एक दोना तहरी से पेट नहीं भरता। 14 दिन कैसे कटेंगे, यह सोचकर दिल बैठा जा रहा है। यह पीड़ा है परदेस से लौटे भटहट क्षेत्र के जैनपुर, जंगल मोहम्मद बरवां व बजहां के प्राथमिक विद्यालय में क्वारंटाइन लोरिक यादव, प्रेमचंद, राममूरत, चंदन गुप्ता व सुनील निषाद की। केंद्रों पर गंदगी भी मिली। एक तरफ प्रवासियों की पीड़ा तो दूसरी तरफ प्रशासनिक दावे को लेकर दैनिक जागरण की टीम ने जिले के कई क्‍वारंटाइन सेंटरों की पड़ताल की। इक्का-दुक्का छोड़ दें तो अधिकतर स्थानों पर स्थितियां बदतर नजर आईं। कहीं प्रवासियों ने पर्याप्त भोजन न मिलने की बात कही, तो कई केंद्रों पर भोजन का इंतजाम ही नहीं था। कई केंद्रों पर प्रवासी जमीन पर सोते मिले तो कुछ सेंटरों पर शौचालय की व्यवस्था नहीं दिखी। पेयजल और स्वास्थ्य जांच की शिकायतें तो आम रहीं।

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ऐसा है क्‍वारंटाइन सेंटरों का हाल

भटहट क्षेत्र के जैनपुर, जंगल मोहम्मद बरवां व बजहां के प्राथमिक विद्यालयों में क्वारंटाइन प्रवासियों ने बताया कि गंदगी के कारण मच्छर सोने नहीं देते। सफाई कर्मी भोजन लेकर आता है और गेट पर ही रखकर चला जाता है। तहसील सदर के कम्युनिटी किचन से भोजन पहुंचता जरूर है, लेकिन वह भूख मिटाने के लिए पर्याप्त नहीं होता। हमें जमीन पर ही चादर बिछाकर सोना पड़ता है। सहजनवां क्षेत्र के पिपरौली प्राथमिक विद्यालय में गंदगी का अंबार दिखा। यहां रह रहे 10 लोग स्कूल की मेज को ही तख्त के रूप में इस्तेमाल करते देखे गए। क्वारंटाइन प्रवासियों को भोजन अपने घर से मंगाना पड़ता है। स्वास्थ्य जांच के लिए कोई टीम भी नहीं पहुंची है। पाली ब्लॉक के भरपही में क्वारंटाइन सेंटर पर प्रवासी जमीन पर सोते हैं। अन्य सुविधाएं भी मयस्सर नहीं हैं। चरगांवा क्षेत्र के हरसेवकपुर नंबर दो ग्राम पंचायत में क्वारंटाइन सेंटर में पंखा नहीं होने से लोग परेशान हैं। शौचालय का दरवाजा टूटा है और गंदगी से मच्छरों का प्रकोप है। धर्मवीर, दिलीप, शैलेष, सुनील, मोहित, नीरज ने बताया कि शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है।  कैंपियरगंज क्षेत्र की ग्राम पंचायत शिवलहिया के क्वारंटाइन सेंटर में मुन्ना, ओमप्रकाश गुप्ता, मनोज साहनी, दूधनाथ साहनी मिले। उन्होंने बताया कि वे सात दिन से हैं, लेकिन  कोई पूछने वाला नहीं हैं। सारी व्यवस्थाएं खुद करनी पड़ रही हैं। इसी तरह पिपराइच क्षेत्र के क्वारंटाइन सेंटरों में भी प्रशासन की ओर से कोई व्यवस्था नहीं दिखी। चौरीचौरा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय पंसरही में बेंगलूरु से आए मनोज व इद्रीश, महाराष्ट्र से आए रामलखन सहित 11 लोग मिले। उनका कहना था कि दो दिन से प्रशासन की ओर से कोई पूछने नहीं आया। शौचालय में ताला बंद है। उन्हें शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है। 

घर में नहीं जगह, तो आ रहे क्वारंटाइन सेंटर

कई सेंटरों पर ऐसे भी लोग मिले, जिन्हें होम क्वारंटाइन किया गया है। घर में जगह न होने के कारण वे सेंटरों पर रह रहे हैं। क्वारंटाइन सेंटर में जब ये लोग पहुंच रहे हैं, तो उनकी सुधि कोई नहीं ले रहा। गोला तहसील के उरुवा क्षेत्र में परमेश्वरी दयाल इंटर कालेज कुरावल में बने सेंटर में 35 लोग मौजूद मिले। ये सभी घर में जगह न होने के कारण सेंटर पर रह रहे हैं। सेंटर पर लाइट, पंखा, पीने के पानी, शौचालय आदि की व्यवस्था ठीक है, लेकिन खाने की व्यवस्था घर से करनी पड़ती है। नेशनल पीजी कॉलेज बड़हलगंज में बने सेंटर में खाने की व्यवस्था भी की गई है।

अधिकारियों की राय जुदा

सेंटरों पर गड़बडिय़ों के बाबत अधिकारियों की राय जुदा है। कुछ का कहना है कि प्रशासन की ओर से क्वारंटाइन सेंटरों की व्यवस्था नहीं की गई है। वहां लोग अपने मन से रह रहे हैं, इसलिए प्रशासन ने कोई व्यवस्था नहीं की है। कुछ अधिकारी व्यवस्था की बात कहते हैं जबकि नियमानुसार प्रशासन की जानकारी में कोई घर में जगह के अभाव में क्वारंटाइन सेंटर में रखा जाएगा, तो उसे भी सारी व्यवस्थाएं देनी होंगी। 

क्वारंटाइन सेंटरों की वर्तमान व्यवस्था

बाहर से आने वाले लोगों को क्वारंटाइन सेंटरों में पहुंचाया जाएगा। स्क्रीनिंग में लक्षण न मिलने पर प्रवासियों को 21 दिन के लिए होम क्वारंटाइन में भेजने का नियम है। इसी में से कुछ लोगों के सैंपल लेकर पूल टेस्टिंग के जरिये जांच करानी है। घर भेजने से पहले खाद्य सामग्री का पैकेट भी देने का प्रावधान है। सेंटरों पर लाने के बाद श्रमिकों को पर्याप्त समय तक रखा जाना है। जिन प्रवासियों के घर में होम क्वारंटाइन की व्यवस्था नहीं है, उन्हें क्वारंटाइन सेंटरों में ही रखने को कहा गया है। इन सेंटरों पर सभी तरह की व्यवस्था दी जानी चाहिए।

अव्यवस्था को लेकर हंगामा कर चुके हैं प्रवासी

क्वारंटाइन सेंटरों में अव्यवस्था को लेकर प्रवासी कई बार हंगामा कर चुके हैं। सहजनवां तहसील के पाली ब्लाक के हड़हा उर्फ सोनबरसा में अव्यवस्था को लेकर वीडियो वायरल हुआ था। इस मामले में जांच करने पहुंची एसडीएम की गाड़ी पर ग्रामीणों ने पथराव भी किया था। सहजनवां ब्लाक के कटसहरा स्कूल में बने सेंटर में खराब गुणवत्ता को लेकर लोगों ने भोजन से इन्कार कर दिया था। एक मई को गुलरिहा क्षेत्र के टिकरिया गांव में क्वारंटाइन सेंटर पर सफाईकर्मी ने जब गेट पर भोजन रखा, तो वहां क्वारंटाइन 24 लोगों ने बहिष्कार कर सफाई कर्मी को पीट दिया था। इस मामले में 24 लोगों पर मुकदमा भी दर्ज हुआ था। भटहट के जंगल हरपुर स्थित प्राथमिक विद्यालय में सात मई को लोगों ने कम खाना देने व पंखा नहीं चलने पर हंगामा किया था। चरगांवा ब्लाक क्षेत्र के बेलवारायपुर में लोगों ने सुविधा न मिलने पर विरोध किया था।  

जिले में क्वारंटाइन सेंटरों की स्थिति

कुल क्वारंटाइन सेंटर 1417

वर्तमान में क्रियाशील सेंटर 220

रह रहे प्रवासियों की संख्या 1618

क्वारंटाइन सेंटरों में होनी चाहिए ये सुविधाएं

शौचालय, स्नानागार, स्वच्छ पेयजल, विद्युत आपूर्ति, पंखा, अस्थाई किचन, गुणवत्तायुक्त पर्याप्त भोजन, साफ-सफाई, डिग्निटी किट (बाल्टी, मग, मच्छरदानी आदि), सुरक्षा व्यवस्था, लाउड स्पीकर, फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन।

क्वारंटाइन सेंटरों में लोगों को रखा जा रहा है। उन्हें रहने, खाने से लेकर अन्य सारी सुविधाएं दी जा रही हैं। यदि कहीं कोई कमी है तो उसे दूर कराया जाएगा। - राजेश सिंह, एडीएम वित्त।


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