मछली पकड़ने के लिए करोड़ों रुपये जमा करने को तैयार हो गई समिति Gorakhpur News
जीडीए के सचिव राम सिंह गौतम के अनुसार मछली पकडऩे का अधिकार पाने वाली फर्म की ओर से बकाये धनराशि का भुगतान नहीं किया गया था। इसके लिए कई बार नोटिस दिया गया। बावजूद इसके बकाया राशि जमा नहीं की गई।
गोरखपुर, जेएनएन। रामगढ़ताल में मछली पकडऩे का अधिकार छिनने की सुगबुगाहट से समिति की बेचैनी बढ़ गई है। समिति के पदाधिकारियों ने कोरोना संक्रमण काल के कारण आमदनी न होने का हवाला दिया है। पर, गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) की ओर से बरती गई सख्ती के बाद समिति की ओर से बकाया किस्त जमा कराकर मछली पकडऩे का अधिकार सुरक्षित रखने की तैयारी की जा रही है।
जीडीए ने समय से किस्त न जमा करने पर दी थी चेतावनी
समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि कोरोना के कारण ताल में करीब साल भर तक मछली मारने का काम ठप था, जिससे आय नहीं हुई। पर, इसी सप्ताह करार के अनुसार जीडीए में बकाया धनराशि जमा कर दी जाएगी।
जीडीए के सचिव राम सिंह गौतम के अनुसार मछली पकडऩे का अधिकार पाने वाली फर्म की ओर से बकाये धनराशि का भुगतान नहीं किया गया था। इसके लिए कई बार नोटिस दिया गया। बावजूद इसके बकाया राशि जमा नहीं की गई। उसके बाद लाइसेंस निरस्त करने के लिए नोटिस दी गई थी। एक सप्ताह का समय दिया गया था, लेकिन समय पूरा होने के बाद भी धनराशि जमा नहीं की गई। करार के मुताबिक समय-समय पर किस्त जमा करना जरूरी है। नहीं जमा करने पर लाइसेंस निरस्त कर दिया जाता है। उसके बाद फिर से उसकी नीलामी की तैयारी की जाती है।
करीब दो साल पहले मिला था अधिकार
मत्स्यजीवी सहकारी समिति लिमिटेड रामगढ़ उर्फ महेरवा की बारी कूड़ाघाट को एक अप्रैल 2019 को मछली पकडऩे का अधिकार मिला था। करीब 22.79 करोड़ की बोली लगी थी। 28 जून 2024 तक मछली पकडऩे का अधिकार मिला है। इस समय करीब 14 करोड़ रुपया बकाया है। समिति के सचिव सुनील निषाद का कहना है कि मार्च से मई तक मछली का प्रजनन होता है। उस दौरान लाकडाउन होने से गाडिय़ों का संचलन बंद हो गया था। मछली पकडऩे का काम आठ महीने तक नहीं हुआ, जिससे नुकसान उठाना पड़ा। जल्द ही जीडीए में बकाया धनराशि जमा कर दी जाएगी।