अंग्रेजी हुकूमत ने पड़ोसी मुल्क की निगहबानी के लिए चुनिंदा स्थानों पर बनाए थे बुर्ज Gorakhpur News
अंग्रेजों द्वारा जगह-जगह ऊंचे स्थानों पर बनवाए गए बुर्ज अब गुजरे जमाने की चीज बनते जा रहे हैं। ब्रिटिश गवर्नर वारेन हेस्टिंग्स के समय सुर्खी व चुने से निर्मित इन बुर्जों की हिफाजत व उचित देखभाल न होने से इनके अस्तित्व पर सवाल उठने लगे हैं।
अनूप कुमार श्रीवास्तव,गोरखपुर : महराजगंज के चिउटहां में साम्राज्य को सहेजने की नियत से अंग्रेजों द्वारा जगह-जगह ऊंचे स्थानों पर बनवाए गए बुर्ज अब गुजरे जमाने की चीज बनते जा रहे हैं। ब्रिटिश गवर्नर वारेन हेस्टिंग्स के समय सुर्खी व चुने से निर्मित इन बुर्जों की हिफाजत व उचित देखभाल न होने से इनके अस्तित्व पर सवाल उठने लगे हैं। रखरखाव के लिए किए जा रहे प्रयास वर्षों से ठंडे बस्ते में चले जाने से करीब ढाई शतक पूर्व बने ये बुर्ज परत दर परत उखड़ने शुरू हो गए हैं। यदि समय रहते इनपर ध्यान नहीं दिया गया तो यह इतिहास बनकर रह जाएंगे। अंग्रेजी हुकूमत के समय निर्मित बुर्ज उपेक्षा के शिकार हैं। नई पीढ़ी के लिए कौतूहल बने पुराने- प्राचीन ईटों से ऊंचाई पर स्थित इन बुर्ज पर शासन प्रशासन मेहरबान नहीं है।
दूर तक निरीक्षण करने के काम आता था बुर्ज:
इतिहास के पन्नों में ब्रिटिश गवर्नर वारेन हेस्टिंग्स के भारतीय कार्यकाल 1773-1785 के समय बुर्ज निर्माण की बात आई है। ऊंचाई पर बने इन बुर्जों की मदद से अंग्रेजी हुकूमत के समय अधिकारी बाढ़, सूखा अथवा किसी आपदा के समय इस पर चढ़कर जायजा लेते थे।
उपले पाथने के काम आ रहा बुर्ज
सिसवां ब्लाक क्षेत्र के ग्राम पंचायत पड़री उर्फ मीरगंज में बुर्ज का अब भी अस्तित्व है, लेकिन सरकारी उपेक्षा के चलते ग्रामीण इस पर अतिक्रमण कर कपड़ा सुखाने से लेकर उपले पाथने का कार्य करते हैं। क्षेत्रीय लोग इसे गुर्जी के नाम से पुकारते हैं। ग्रामीण बताते हैं कि अंग्रेजी हुकूमत के समय अधिकारी दैवीय आपदा के समय इस गुर्जी पर चढ़कर वस्तुस्थिति का जायजा लेते थे। उनका कहना है कि काफी ऊंचा होने के नाते तत्कालीन हुक्मरान इसका उपयोग पड़ोसी क्षेत्र की गतिविधियों या अन्य सुरक्षा के मद्देनजर भी करते थे।
कुछ कर्मचारी सफाई के नाम पर कर जाते हैं खानापूर्ति
पड़ोसी गांव के निवासी व अवकाश प्राप्त शिक्षक नर्वदा नारायण मिश्र तथा ग्राम प्रधान शंकराचार्य पटेल ने बताया कि केंद्र सरकार के निर्देश पर कुछ कर्मचारी ग्राम पड़री उर्फ मीरगंज स्थित बुर्ज पर आकर उसकी साफ-सफाई कर कभी-कभी खानापूर्ति कर जाते हैं। वर्षों से इसकी उपेक्षा के चलते बुर्ज के ऊपर व इर्द-गिर्द पेड़-पौधे उग आए हैं। 70 के दशक में तत्कालीन ग्राम प्रधान भागवत तिवारी व ग्रामवासियों ने ईंट से चुनाईं कराकर इसका जीर्णोद्धार कराया था।