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संस्कृत डिग्रीधारक शिक्षकों की नियुक्ति में भी धांधली, होगी एसआइटी जांच Gorakhpur News

बेसिक शिक्षा विभाग के असहयोग के कारण एसआइटी के हाथ फर्जी शिक्षकों का पुख्ता साक्ष्य नहीं लग रहा है। एसआइटी ने 15 नवंबर 2019 तक ही विभाग से विवरण मांगा था।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Sun, 26 Jan 2020 02:00 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jan 2020 02:00 PM (IST)
संस्कृत डिग्रीधारक शिक्षकों की नियुक्ति में भी धांधली, होगी एसआइटी जांच Gorakhpur News
संस्कृत डिग्रीधारक शिक्षकों की नियुक्ति में भी धांधली, होगी एसआइटी जांच Gorakhpur News

गोरखपुर,जेएनएन। संस्कृत विषय से पढ़ाई कर अध्यापक की नौकरी करने वाले परिषदीय शिक्षकों के नियुक्ति की जांच विशेष अनुसंधान दल एसआइटी से कराई जाएगी। इसको लेकर बेसिक शिक्षा महकमा सकते में आ गया है। वर्ष 2004 से 2014 के बीच नियुक्त उन शिक्षकों की जांच होगी जिनके शैक्षिक प्रमाणपत्रों में संस्कृत विश्वविद्यालय की डिग्रियां लगी हुई है। प्रदेश मुख्यालय ने ऐसे शिक्षकों का ब्योरा तलब किया है। बेसिक शिक्षा परिषद के उप सचिव स्तर से जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी या इससे संबद्ध महाविद्यालयों से डिग्री लेकर नौकरी हथियाने वाले शिक्षक जांच के दायरे में हैं।

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नवंबर 2019 में नहीं दी गई थी सूचना

बेसिक शिक्षा विभाग के असहयोग के कारण एसआइटी के हाथ फर्जी शिक्षकों का पुख्ता साक्ष्य नहीं लग रहा है। एसआइटी ने 15 नवंबर 2019 तक ही विभाग से संस्कृत विषय की डिग्री लगाने वाले शिक्षकों का विवरण मांगा था। सूबे के किसी जनपद से यह उपलब्ध नहीं कराया जा सका। जिससे जांच को गति नहीं मिल सकी। एसआइटी के दोबारा पत्राचार करने पर फिर से महकमे में हलचल मच गई है। विभागीय उच्चाधिकारियों ने सूबे के सभी बीएसए से एक सप्ताह के भीतर संबंधित सूचनाओं को उपलब्ध कराने को कहा है।

देना होगा यह ब्योरा

चयनित अभ्यर्थी का नाम, पिता का नाम और संबंधित विद्यालय का नाम। शैक्षिक प्रमाणपत्र पर अंकित नाम, जन्म तिथि, पूर्व मध्यमा, उत्तर मध्यमा, शास्त्री एवं शिक्षा शास्त्री (बीएड) का विवरण, इन डिग्रियों की सत्यापन रिपोर्ट के अलावा सत्यापन के दौरान यदि किसी के प्रमाणपत्र फर्जी मिले हैं तो संबंधित पर हुई कार्रवाई का ब्योरा भी देना होगा।

तब मेरिट के आधार पर होता था चयन

वर्ष 2004 से 2014 के दौर में सहायक अध्यापकों की नियुक्ति मेरिट के आधार पर होती थी। संस्कृति विषय में डिग्री हासिल करने वालों का अंक अमूमन अधिक होता था। ऐसे डिग्री धारक शिक्षकों की लंबी फेहरिस्त है।

संकलित किया जा रहा विवरण

इस संबंध में बस्‍ती के बीएसए अरुण कुमार का कहना है कि संस्कृत विषय के प्रमाणपत्र लगाने वाले शिक्षकों का विवरण संकलित किया जा रहा है। शीघ्र ही पूरी सूचना उच्चाधिकारियों को प्रेषित कर दी जाएगी।


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