Deepawali 2020: चीन से मुकाबले को तैयार हैं टेराकोटा की सस्ती है कलाकृतियां
दीपावली के दिन घर को रोशन करने व लक्ष्मी-गणेश के पूजन अर्चन के लिए इस बार स्वदेशी की मांग को देखते हुए जिले के कारीगरों ने देसी के साथ टेराकोटा की मूर्तियों का मार्केट सजा लिया है। चीनी मूर्तियों के बदले टेराकोटा की इस बार काफी डिमांड भी है।
गोरखपुर, जेएनएन। इस दीपावली पर चीन की मूर्तियों के मुकाबले टेराकोटा की मूर्तिया बाजार में काफी सस्ते कीमतों पर उपलब्ध हैं। जिन मूर्तियों की कीमत टेराकोटा की दुकानों पर 100 रुपये है, चीन निर्मित उसी तरह की मूर्तियां 200 से 250 रुपये में बेंची जा रही हैं। टेराकोटा की मूर्ति बनाने वाले रामाश्रय बताते हैं कि वह बचपन से ही टेराकोटा कला से मूर्तियां बनाते व बेचने का कार्य करते हैं, लेकिन कोरोना काल के बाद से लोगों का जो मन चीन से खिन्न हुआ है, ऐसा कभी नहीं हुआ था। इसका सीधा प्रभाव इस दीपावली टेराकोटा व मिट्टी की मूर्तियों की बिक्री पर निर्भर कर रहा है।
बाजार में भी टेराकोटा की मूर्तियों की धूम
दीपावली के दिन घर को रोशन करने व लक्ष्मी-गणेश के पूजन अर्चन के लिए इस बार स्वदेशी की मांग को देखते हुए जिले के कारीगरों ने देसी के साथ टेराकोटा की मूर्तियों का मार्केट सजा लिया है। चीनी मूर्तियों के बदले टेराकोटा की इस बार काफी डिमांड भी है। चीन के प्रति सीमा विवाद से उपजे विवाद में लोगों ने भी दीपावली में मुंहतोड़ जबाव देने की ठानी है। लोगों की मांग को देखते हुए लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों के साथ विभिन्न प्रकार के दीयों के रेंज का भी प्रबंधन दुकानदारों ने किया है। इसमें थाली दीया, नारियल दीया, रतनदीप दीया, जाली दीया, सादा दीया, डिजाइन दिया शामिल है।
सीएम ने की थी घोषणा
बता दें कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की थी कि इस दीपावली पर चीन में बने दीये और मूर्तियों की जगह स्वदेशी बने उत्पादों को महत्व दिया जाएगा। इसके बाद से सरकारी मशीनरी भी टेराकोटा को बढ़ावा देने में लग गई थी। सरकार ने मिट्टी से मूर्ति बनाने वाले कलाकारों को आवश्यक संसाधन भी मुहैया कराया था। मूर्तिकारों को डिजाइनर दीये और मूर्तियां बनाने के लिए डाई, कलर स्प्रे मशीन, मिट्टी और इलेक्टिक चाक भी दिया गया था। इसका असर यह हुआ कि गोरखपुर के दो सौ से अधिक मूर्तिकार प्रतिदिन 14 हजार दीये और लक्ष्मी-गणोश की 1000 मूर्तियां बनाना शुरू कर दिया। उनकी मेहनत अब बाजार में दिख रही है। उन मूर्तिकारों की मूर्तियां व अन्य सामान अब बाजार में दिखने लगे हैं।