गोरखपुर विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्तियां जल्द, लिपिकों की भी होगी भर्ती
कुलपति प्रो. राजेश सिंह की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में कार्य परिषद ने कई और महत्वपूर्ण विषय पर अपनी मंजूरी प्रदान की। विवि में खाली चल रहे शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक पद जल्द ही भरे जाएंगे। पदों पर भर्ती के दौरान रोस्टर सिस्टम को भी लागू किया जाएगा।
गोरखपुर, जेएनएन। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विवि में खाली चल रहे शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक पद जल्द ही भरे जाएंगे। इन पदों के लिए अतिशीघ्र विज्ञापन जारी किया जाएगा। पदों पर भर्ती के दौरान रोस्टर सिस्टम को भी लागू किया जाएगा। यह निर्णय विवि के प्रशासनिक भवन के कमेटी हाल में आयोजित बैठक के दौरान कार्य परिषद सदस्यों ने लिया।
कुलपति प्रो. राजेश सिंह के मार्गदर्शन में आयोजित बैठक में कार्य परिषद ने कई और महत्वपूर्ण विषय पर अपनी मंजूरी प्रदान की। परिषद के सदस्यों ने नए सत्र से विवि में सेंटर फार जेनोमिक्स एंड बायो इन्फार्मेटिक्स और इंस्टीटूट आफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोट्र्स साइंस को शुरू करने स्वीकृति दे दी। फिलहाल इन दोनों सेंटर 4-4 अस्थाई शैक्षिक पदों के साथ शुरू किए जाएंगे। स्थायी पदों पर नियुक्ति के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। एक अन्य अहम फैसले में गैर शैक्षणिक पदों के तहत विवि में रिक्त चल रहे 2 चिकित्सकों, एक ग्रंथालयी और एक प्रोग्रामर की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी करने पर भी सहमति बनी है। तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों की सूची बनाकर शासन को भेजा जाएगा। इन पदों पर शासन स्तर से कमीशन द्वारा नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
मनोविज्ञान विभाग में तैयार होंगे दो काउंसलर
मनोविज्ञान विभाग में महिलाओं के लिए साइकोलाजिकल काउंसङ्क्षलग सेंटर खुलने की राह भी आसान हो गई है। वहां दो काउंसलर तैनात किए जाएंगे। कार्य परिषद से इसकी मंजूरी मिल गई।
स्थापित की जाएगी नान-प्राफिट कंपनी
विश्वविद्यालय की ओर से स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए एंटरप्रेन्योरशिप एवं इनक्यूबेशन सेंटर की एक नान-प्राफिट कंपनी स्थापित की जाएगी। कार्यपरिषद सदस्यों ने शुक्रवार को इस पर मुहर लगा दी।
11 शिक्षकों के स्थायीकरण को मिली मंजूरी
कार्यपरिषद ने विश्वविद्यालय में कार्यरत 11 शिक्षकों के स्थायीकरण को भी मंजूरी दे दी है। इनमें ङ्क्षहदी विभाग से तीन आचार्य, सात सहायक आचार्य हैं। इनके साथ ही एक आचार्य बायोटेक्नोलाजी से हैं।
इन्हें भी मिली कार्य परिषद की मंजूरी
शोध कार्यों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सीबीसीएस प्रणाली पर आधारित प्री-पीएचडी कोर्स।
विश्वविद्यालय में बीएससी (एजी) और एमएससी (एजी) की पढ़ाई।
नाथ पंथ पर आधारित डिप्लोमा, सर्टिफिकेट और डिग्री कोर्स।