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बेटियों को आत्मनिर्भर बना रही तारा, सिखा रही सिलाई-कढ़ाई

तारा मोदनवाल ने अपने घर में सिलाई-कढ़ाई का केंद्र खोला। गांव की महिलाओं के कपड़े सिलने लगीं। अब निश्शुल्क प्रशिक्षण दे रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Jan 2019 06:10 AM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2019 06:10 AM (IST)
बेटियों को आत्मनिर्भर बना रही तारा, सिखा रही सिलाई-कढ़ाई
बेटियों को आत्मनिर्भर बना रही तारा, सिखा रही सिलाई-कढ़ाई

गोरखपुर, जेएनएन। यह तारा मोदनवाल हैं। यह वह कार्य कर रही हैं जो जल्दी कोई नहीं कर सकता है। जी हां, तारा मोदनवाल गरीब घरों की लड़कियों और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का काम कर रही हैं।

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महराजगंज जिले के लक्ष्मीपुर कस्बे की तारा मोदनवाल द्वारा निश्शुल्क शिक्षा व सिलाई, कढ़ाई एवं पें¨टग के प्रशिक्षण के माध्यम से बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में किए जा रहे प्रयास की अनदेखी नहीं की जा सकती। वह क्षेत्र की महिलाओं को सबल बनाने के प्रयासों में जुटी हैं। अब तक उन्होंने पांच सौ से अधिक युवतियों और महिलाओं को ब्यूटीशियन, सिलाई-कढ़ाई, पें¨टग समेत विभिन्न कोर्स में पारंगत करके आत्मनिर्भर बनाया है।

तारा कहती हैं कि घर बैठी बेटी के रूप में मैं मां-बाप पर बोझ नहीं बनना चाहती थी, इसलिए आत्मनिर्भर बनने की ठान ली। वर्ष 2003 में शादी हुई तो लगा कि अब सारे सपने एक चौकठ के अंदर ही सिमट कर रह जाएंगे। लेकिन पति व सास-ससुर के सामने जब अपना प्रस्ताव रखा तो काफी प्रयास के बाद सभी का समर्थन मिला और प्रशिक्षण केंद्र खुला। तारा ने घर पर ही लोगों के कपड़े सिलने का काम शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि इस नेक कार्य से अजीब सा सुकून मिलता है।

इन लड़कियों ने प्रशिक्षण लेकर खुद को स्वावलंबी बनाया

लक्ष्मीपुर कस्बे में जब तारा ने प्रशिक्षण केंद्र खोला तो उन्हें तमाम दुश्वारियों का सामना करना पड़ा। इसी बीच ग्रामीण क्षेत्र की कुछ युवतियों ने प्रशिक्षण लेने के लिए तारा से संपर्क किया। तारा बताती हैं कि कैसरजहां, ¨पकी, सरोज, अनिता, क्षमा पाठक, अनिता, साहिना, हसीना, शबाना, रेशमा, कमला, गुंजा, गुड़िया, पूजा आदि लड़कियों ने सिलाई, कढ़ाई एवं पें¨टग का प्रशिक्षण लेकर आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। इतना ही नहीं, अब तो आत्मनिर्भर बन चुकीं लड़कियां और महिलाएं भी गरीब घरों की बेटियों को निश्शुल्क प्रशिक्षण दे रही हैं। तारा का कहना है कि यदि इसी तरह सभी एक दूसरे का ख्याल रखें तो वह दिन दूर नहीं जब सभी घरों की महिलाएं आत्मनिर्भर बनकर समाज में अपना स्थान कायम कर सकें।


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