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सिद्धार्थनगर जिले में किस्से-कहानी 30 प्रशिक्षु आइएएस, चखेंगे बाटी-चोखा व कालानमक का स्वाद

सिद्धार्थनगर जिले में प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए 30 प्रशिक्षु आइएएस आए हैं। यह सभी विभिन्‍नों प्रांतों के साथ ही पड़ोसी देश भुटान के रहने वाले हैं। इन्हें गांव में 11 दिन रहना है। यहां के संस्कृति को भी जानेंगे। इससे भारत की विविधता में एकता को बल मिलेगा।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Published: Tue, 28 Dec 2021 04:45 PM (IST)Updated: Tue, 28 Dec 2021 05:46 PM (IST)
सिद्धार्थनगर जिले में किस्से-कहानी 30 प्रशिक्षु आइएएस, चखेंगे बाटी-चोखा व कालानमक का स्वाद
सिद्धार्थनगर जिले में किस्से-कहानी 30 प्रशिक्षु आइएएस, चखेंगे बाटी-चोखा व कालानमक का स्वाद। प्रतीकात्‍मक फोटो

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। सिद्धार्थनगर जिले में प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए 30 प्रशिक्षु आइएएस आए हैं। यह सभी विभिन्‍नों प्रांतों के साथ ही पड़ोसी देश भुटान के रहने वाले हैं। इन्हें गांव में 11 दिन रहना है। यहां के संस्कृति को भी जानेंगे। इससे भारत की विविधता में एकता को बल मिलेगा। रात को इनके सोने के लिए प्रशासन ने व्यवस्था किया है। पंचायत भवन में एलईडी टीवी लगाया गया है। ठंडक से बचाव के लिए रजाई व कंबल भी रहेगा। ग्रामीणों से यह यहां पर वार्ता भी करेंगे। यहां की लोकसंस्कृति पर आधारित किस्से व कहानी भी सुनेंगे। भोजन में यहां की पहचान बन चुके काला नमक चावल परोसा जाएगा। बाटी-चोखा व मिट्टी के बर्तन में पकाया गया दाल भी दिया जाएगा। इसकी विशेषता भी बताई जाएगी।

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लाल बहादुर शास्‍त्री प्रशासन अकादमी, मंसूरी से आए हैं प्रशिक्षु अधिकारी

मंसूरी में स्थित लाल बहादुर शास्त्री प्रशासन अकादमी से प्रशिक्षु अधिकारी जनपद के भ्रमण पर आए हैं। दल के सभी सदस्यों ने जिलाधिकारी दीपक मीणा व सीडीओ पुलकित गर्ग से मुलाकात की थी। अधिकारीद्वय ने इन्हें बताया कि नीति आयोग ने सिद्धार्थनगर को अति पिछड़ा जनपद की श्रेणी में रखा है। यह महात्मा गौतम बुद्ध की क्रीड़ा स्थली रही है। कपिलवस्तु नेपाल बार्डर के निकट स्थित है। जापान, थाईलैंड, श्रीलंका व अन्य देशों से महात्मा गौतम बुद्ध के अनुयायी यहां स्तूप दर्शन के लिए आते हैं।

एक जिला एक उत्‍पाद में चयनित है काला नमक चावल

काला नमक चावल को एक जनपद एक उत्पाद में चयनित किया गया है। मानसून के समय नेपाल से होकर आने वाली राप्ती, बूढ़ी राप्ती, बानगंगा नदी व अन्य छोटे पाहाड़ी नाला में अधिक पानी आने के कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। शासन की ओर से बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों को दवाएं और खाद्यान्न सामग्री उपलब्ध कराई जाती है। यहां के निवासी मूलतः सरल भाषा में हिंदी बोलते हैं।

प्रशिक्षण दल में शामिल हैं इन प्रदेशों के अधिकारी

प्रशिक्षण दल में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, भूटान, केरल, तमिलनाडु के अधिकारी हैं। जनपद में बेसिक शिक्षा के क्षेत्र में हुए काम को भी बताया। मनरेगा की ओर से किए गए कार्य, केंद्रीय वित्त योजना, राज्य वित्त योजना, प्रधानमंत्री आवास, मुख्यमंत्री आवास योजना, स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत शौचालय निर्माण, पंचायत भवन, सफाई कर्मियों का दायित्व, स्वयं सहायता समूह, आंगनबाड़ी केंद्र, पोषण मिशन, खाद्य एवं रसद के साथ अन्य योजनाओं की भी जानकारी दी गई थी।

आज से यहां ठहरेंगे आइएएस प्रशिक्षु

डुमरियागंज ब्लाक क्षेत्र के भटगवां, मिठवल ब्लाक के तिलौली, इटवा ब्लाक के परसा देवाइचपार, बढ़नी के ग्राम पंचायत धनौरा बुजुर्ग, भनवापुर ब्लाक के हसुडी औसानपुर के पंचायत भवन में ठहरने की व्यवस्था हुई है।

कई चरण में होता है आइएएस अधिकारियों का प्रशिक्षण

जिलाधिकारी दीपक मीणा ने बताया कि अकादमी में प्रशिक्षु अधिकारियों को प्रशिक्षण के दौरान कई चरणों में प्रशिक्षित किया जाता है। इन्हें सरकारी कामकाज संपादित करने की विधि बताई जाती है। सरकारी योजनाओं के स्थलीय सत्यापन के लिए इनका गांव में रात्रि निवास करना अनिवार्य है। गांव में निवास करने के दौरान यहां की संस्कृति को भी जानेंगे। भाषा व भोजन के संबंध में भी जानकारी प्राप्त करेंगे। प्रशिक्षु अधिकारियों को जनपद की विशेषताओं की जानकारी दी गई है।


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