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गोरखपुर में बड़ी मात्रा में तैयार हो रहीं स्‍वदेसी राखियां, चाइनीज उत्पादों का किया बहिष्कार Gorakhpur News

चायनीज राखियों से ज्‍यादा स्‍वदेसी राखियां तैयार की जा रही हैं ताकि ऐन मौके पर किसी तरह की कोई परेशानी न हो।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Fri, 03 Jul 2020 05:34 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2020 05:34 PM (IST)
गोरखपुर में बड़ी मात्रा में तैयार हो रहीं स्‍वदेसी राखियां, चाइनीज उत्पादों का किया बहिष्कार Gorakhpur News
गोरखपुर में बड़ी मात्रा में तैयार हो रहीं स्‍वदेसी राखियां, चाइनीज उत्पादों का किया बहिष्कार Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। रक्षा बंधन पर इस बार भाइयों के हाथों में चाइनीज राखियां नजर नहीं आएंगी। चीन से बढ़ती तल्खी को देखते हुए बहनों से पहले राखी से जुड़े कारोबारियों ने ही चाइनीज उत्पादों का पूर्ण रूप से बहिष्कार कर दिया है। जिन कारोबारियों के पास पुराना माल बचा है, वह भी उसे नहीं बेचेंगे। राखी बाजार पर एक तरह से चीन का कब्जा था और 60 फीसद वहीं की राखियां बिकती थीं। खासकर बच्‍चों में चाइनीज राखी का क्रेज था। बाजार में नईं राखियां बनने लगी हैं। चायनीज राखियों से ज्‍यादा स्‍वदेसी राखियां तैयार की जा रही हैं, ताकि ऐन मौके पर किसी तरह की कोई परेशानी न हो।

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अभी से सजने लगीं हैं दुकानें

रक्षाबंधन में अभी वक्त है, लेकिन राखियों का बाजार सजने लगा है। शहर के घंटाघर, पांडेयहाता और शाहमारुफ में 30 से ज्यादा राखी की थोक दुकानें हैं, जहां दौ सौ से ज्यादा किस्मों की राखियां एवं रक्षासूत्र मौजूद हैं। चीन के खिलाफ लोगों का रोष देखते हुए कारोबारी चाइनीज राखी से पूरी तरह परहेज कर रहे हैं। खरीदारी करने आ रहे दुकानदार भी स्पष्ट कर दे रहे हैं कि सिर्फ स्वदेशी सामान चलेगा। घंटाघर में राखी के थोक विक्रेता शिवम पटवा ने बताया कि माहौल चाइनीज राखियों के खिलाफ दिख रहा है। ऐसे में वहां की राखियां बेचकर अपनों की नाराजगी मोल नहीं ले सकते। हमलोगों ने संकल्प लिया है कि भविष्य में कोई ऐसा सामान नहीं बेचेंगे जो चाइना में बना हो। शाहमारुफ के थोक विक्रेता इसरार अहमद ने बताया कि कोलकाता के कुछ बड़े कारोबारियों ने चाइनीज राखियों के फोटो भेजे थे, जिसे नकार दिया गया। हमलोग सिर्फ स्वदेश निर्मित राखियां ही बेच रहे हैं।

पांच करोड़ का है राखी का कारोबार

गोरखपुर में राखी का कारोगार करीब पांच करोड़ का है। यहीं से आसपास के जिलों के अलावा बिहार के सिवान से लेकर मोतीहारी तक राखियों की आपूर्ति होती है। 80 फीसद राखियां कोलकाता और मुंबई से आती हैं। चाइनीज राखी सस्ती और देखने में आकर्षक होने के कारण महिलाएं खरीदती थीं। कारोबारियों के मुताबिक पिछले साल तक 60 फीसद चाइनीज राखियां बिकती थीं।

स्वदेशी राखियों में भी कार्टून कैरेक्टर

चीन ब'चों को ध्यान में रखकर राखियां तैयार करता था। टीवी के चर्चित कार्टून कैरेक्टरों डोरीमोन, छोटा भीम, मोटू पतलू और स्पाइडरमैन जैसी राखियां ब'चों को खूब भाती थीं। इस कारण चाइनीज राखियों की मांग बनी रहती थी। इस बार स्वदेशी राखियों में भी कार्टून कैरेक्टर देखने को मिलेंगे।

चीन की राखी न खरीदने की सोशल मीडिया पर अपील

सोशल मीडिया पर चीन निर्मित राखियों के बहिष्कार की अपील भी वायरल हो रही है। मैसेज के माध्यम से भाई की कलाई पर साधारण रोली धागा बांधने की अपील की जा रही है। यह भी कहा जा रहा है कि चीन निर्मित वस्तुओं को खरीदकर हम दुश्मन देश को आर्थिक तौर पर मजबूत कर रहे हैं।

राखियों की किस्में

इस समय बाजार में रुद्राक्ष वाली राखी, चंदन वाली, मोती राखी, स्टोन, रेशमी डोर, क्रिस्टल, स्टोन नग, प्लेन धागा, कार्टून राखी, लाइट वाली राखी, बुटिक राखी और मारवाड़ी राखियां दुकानों पर सजीं हुई मिल जाएंगी। इसके अलावा अन्‍य और भी राखियां भी तैयार की जा रही हैं। 


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