पूर्व राज्यमंत्री का न्यायालय में समर्पण, जारी हुआ था गिरफ्तारी वारंट
पूर्व राज्यमंत्री राधेश्याम सिंह ने शुक्रवार को न्यायालय में समर्पण कर दिया। 10 साल पहले उन्होंने आंदोलन किया था। तभी मुकदमा दर्ज हुआ था।
By Edited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 12:57 PM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 05:13 PM (IST)
गोरखपुर, (जेएनएन)। पूर्व राज्यमंत्री राधेश्याम सिंह ने शुक्रवार को कुशीनगर जिले के कसया एसीजेएम न्यायालय में समर्पण कर दिया। दस वर्ष पूर्व कुशीनगर जिले के हाटा कोतवाली के गाव सिकटिया से चोरी हुई प्रतिमा की बरामदगी को लेकर किए गए आदोलन में पूर्व राज्यमंत्री पर मुकदमा दर्ज था। इस संबंध में कोर्ट सें गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ था। बता दें कि वर्ष 2010 में हाटा कोतवाली के गाव सिकटिया के रामजानकी मंदिर से करोड़ों रुपये की बेशकीमती प्रतिमा चोरी हो गई थी। इस मामले में मुकदमा दर्ज नहीं किए जाने पर तब ग्रामीणों के साथ राधेश्याम सिंह ने आदोलन किया था।
इस पर पुलिस ने पूर्व राज्यमंत्री सहित 21 लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर लिया। मामला कसया न्यायालय में पहुंचा तो किसी ने जमानत नहीं कराई। इसी बीच प्रदेश में सपा की सरकार बनी और राधेश्याम सिंह राज्यमंत्री बन गए। मंत्री बनने के बाद सरकार ने मुकदमे वापस लेने का आदेश दे दिया, लेकिन न्यायालय ने उस आदेश को खारिज कर दिया।
हालांकि इस आदेश के विरुद्ध राधेश्याम सिंह हाईकोर्ट गए तभी से यह मामला लंबित था। दूसरी तरफ इसी बीच हाटा में घटित एक दैवीय आपदा व किशोरी के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर भाजपा विधायक व उनके बीच विवाद हो गया। न्यायालय द्वारा बीते गुरुवार को जारी गिरफ्तारी वारंट को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। ठंडे बस्ते में पड़े मामले में अचानक न्यायालय की सक्रियता और जारी किए गए ताजा आदेश की भनक लगते ही पूर्व राज्यमंत्री राधेश्याम सिंह ने आदेश के अगले ही दिन न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया।
पूर्व मंत्री ने कहा कि सत्तारूढ़ दल के नेताओं के पास मेरे विरुद्ध कोई मुद्दा नहीं था तो उन्होंने पुराने मामले को जिंदा कर मुझे गिरफ्तार कराने का कुचक्र रचा था। संघर्ष हमारी पूजी है। जनांदोलन को लेकर दर्जनों बार जेल जा चुका हूं। इस बार भी कोई भय नहीं है। आगे भी जनता के लिए संघर्ष और आदोलन करने में पीछे नही हटेगें।
इस पर पुलिस ने पूर्व राज्यमंत्री सहित 21 लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर लिया। मामला कसया न्यायालय में पहुंचा तो किसी ने जमानत नहीं कराई। इसी बीच प्रदेश में सपा की सरकार बनी और राधेश्याम सिंह राज्यमंत्री बन गए। मंत्री बनने के बाद सरकार ने मुकदमे वापस लेने का आदेश दे दिया, लेकिन न्यायालय ने उस आदेश को खारिज कर दिया।
हालांकि इस आदेश के विरुद्ध राधेश्याम सिंह हाईकोर्ट गए तभी से यह मामला लंबित था। दूसरी तरफ इसी बीच हाटा में घटित एक दैवीय आपदा व किशोरी के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर भाजपा विधायक व उनके बीच विवाद हो गया। न्यायालय द्वारा बीते गुरुवार को जारी गिरफ्तारी वारंट को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। ठंडे बस्ते में पड़े मामले में अचानक न्यायालय की सक्रियता और जारी किए गए ताजा आदेश की भनक लगते ही पूर्व राज्यमंत्री राधेश्याम सिंह ने आदेश के अगले ही दिन न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया।
पूर्व मंत्री ने कहा कि सत्तारूढ़ दल के नेताओं के पास मेरे विरुद्ध कोई मुद्दा नहीं था तो उन्होंने पुराने मामले को जिंदा कर मुझे गिरफ्तार कराने का कुचक्र रचा था। संघर्ष हमारी पूजी है। जनांदोलन को लेकर दर्जनों बार जेल जा चुका हूं। इस बार भी कोई भय नहीं है। आगे भी जनता के लिए संघर्ष और आदोलन करने में पीछे नही हटेगें।
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