आठ साल से अपनी मां को ढूढ रहा था सुजीत, मिता तो सिर्फ रोता रहा Gorakhpur News
आठ साल पहले लापता हुई दुलारी सिलीगुड़ी कोलकाता व मुंबई होते हुए 30 अगस्त को गोरखपुर बस स्टेशन पहुंची थीं। मानसिक मंदिर महिला आश्रय गृह मातृछाया में उसे शेल्टर मिला था। मां को खोजते हुए बेटा सुजीत रविवार को गोरखपुर पहुंचा था।
गोरखपुर, जेएनएन। आठ साल का सफर दुलारी दो दिन में पूरा करेगी। सुजीत मंडल के साथ घर के लिए रवाना हुई दुलारी मंगलार को अपने गृह जनपद पहुंचेगीं। आठ साल पहले लापता हुई दुलारी सिलीगुड़ी, कोलकाता व मुंबई होते हुए 30 अगस्त को गोरखपुर बस स्टेशन पहुंची थीं। मानसिक मंदिर महिला आश्रय गृह मातृछाया में उसे शेल्टर मिला था। मां को खोजते हुए बेटा सुजीत रविवार को गोरखपुर पहुंचा था। एक दूसरे को देख दोनों की आंखें छलक उठी थीं।
ऐसे बिगड़ी मानसिक स्थिति
मालदा की रहने वाली दुलारी के पति का अच्छा कारोबार था। दो बेटे व एक बेटी के साथ उनका जीवन अच्छे से बीत रहा था। अचानक हुए एक के बाद एक हादसों से उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया। 2008 में पति चल बसे। इसके कुछ समय बाद पानीपत में नौकरी कर रहो बड़े बेटे की मौत हो गई। अभी दुलारी पति एवं बेटे की मौत से ऊबर नहीं पाई थी कि 2013 में शादी के कुछ दिन पहले ही बेटी की अचानक मौत हो गई। इसके बाद से दुलारी का मानसिक संतुलन बिगड़ गया। छोटा बेटा सुजीत परिजनों के साथ बहन का अंतिम संस्कार कर घर लौटा तो मां नहीं मिली।
आठ साल से मां को तलाश रहा था सुजीत
इसके बाद सुजीत देशभर में मां को तलाश करता रहा। बकौल सुजीत, पंश्चिम बंगाल के अलावा बिहार, महाराष्ट्र, आसाम एवं छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में आठ साल तक मां को तलाश करता रहा, लेकिन मां नहीं मिली। सुजीत ने बताया कि सोमवार को दोपहर एक बजे सिवान से मालदा के लिए बस पर सवार हुए हैं। मंगलवार को दोपहर तक घर पहुंचेंगे। वहां रिश्तेदार और दोस्त हमलोगों का इंतजार कर रहे हैं।
संस्था की कोशिश आई काम
30 अगस्त को रोडवेज बस स्टेशन के पास पुलिस को एक बुजुर्ग महिला मानसिक रूप से विक्षिप्त हालत में मिली। प्रशासन ने उसकी देखरेख की जिम्मेदारी मातृछाया संस्था को दे दी। संस्था ने उनका मनोचिकित्सक से इलाज कराया। दो महीने के इलाज के बाद की हालत में काफी हद तक सुधार हो गया। पूछने पर महिला ने अपने घर का पता बताया। फिर संस्था ने संबंधित थाने को सूचित किया। पुलिस ने सुजीत को इस बारे में जानकारी दी।