Move to Jagran APP

फिर बढऩे लगा सरयू का जलस्‍तर, बस्‍ती में बाढ़ का खतरा गहराया

दो दिन तक स्थित रहने के बाद बस्‍ती में सरयू का जलस्‍तर बढ़ने लगा है। इससे तटबंधों पर दबाव बढ़ गया है। कई तटबंधों के टूटने का खतरा पैदा हो गया है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 03:39 PM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 04:30 PM (IST)
फिर बढऩे लगा सरयू का जलस्‍तर, बस्‍ती में बाढ़ का खतरा गहराया
फिर बढऩे लगा सरयू का जलस्‍तर, बस्‍ती में बाढ़ का खतरा गहराया

गोरखपुर, (जेएनएन)। बस्‍ती जिले में सरयू नदी का जलस्तर एक सप्ताह तक लगातार घटने के बाद फिर से बढऩे लगा। बुधवार तक खतरे के निशान 92.73 मीटर से 50 सेमी नीचे 92.20 मीटर पर प्रवाहित होने वाली नदी गुरुवार को 13 सेमी बढ़ कर 92.33 मीटर पर पहुंच गई। शुक्रवार को भी नदी में पानी का बढ़ना जारी रहा। नदी के रुख में बढ़त जारी है। इस बीच तटवर्ती इलाकों में बिना बारिश के नदी के जलस्तर में वृद्धि से एक बार फिर दहशत बढ़ गई है। तटबंध पर बाढ़ खंड ने चौकसी बढ़ा दी है।

loksabha election banner

तटबंधों के कटने का खतरा बढ़ा

जानकारों का कहना है कि जलस्तर में इस तरह से हो रही वृद्धि किसी गंभीर संकट का सूचक है। यदि नदी ऐसे ही बढ़ती रही तो एक बार फिर उन क्षेत्रों में कटान शुरू हो जाएगी जो अब तक सुरक्षित थे। उन गांवों में फिर पानी भर जाएगा जहां से बाढ़ का पानी हट गया था। कटरिया चांदपुर तटबंध पर संकट के बादल मडऱाने लगे हैं। कहीं कोई कटान तो नहीं हुई लेकिन ठोकर संख्या पांच पर दबाव बढ़ गया है। बोल्डर का पांच मीटर बेस नदी में बैठ गया है। खाजांचीपुर गांव के पास खेती योग्य जमीन नदी की धारा में समा रही है। गौरा-सैफाबाद तटबंध पर एक बार फिर दबाव बढने से पारा, दिलासपुरा,  टकटवा, देवारागंगबरार आदि गांवों की कृषि योग्य भूमि लगातार कट रही है।

शुरू हुआ कटान

विक्रमजोत क्षेत्र में नदी का जलस्तर बढ़ते ही एक बार फिर माझा इलाके में दहशत बढ़ गई है। कल्यानपुर, सहजौरा पाठक, पड़ाव, रानीपुर कठवनिया, केशवपुर आदि गांवों में एक बार फिर तेजी से कटान होने लगी है। चूंकि इन गांवों को बचाने के लिए कोई तटबंध नहीं है इसलिए जो भी क्षति हो रही है वह किसानों की ही हो रही है। उनकी खेती व आबादी की जमीन कट रही है। कुदरहा संवाददाता के अनुसार नदी का जलस्तर बढऩे के साथ ही तटबंधों पर दबाव बढ़ गया है। पूर्व में हुए कटान स्थलों पर मरम्मत कार्य किया जा रहा है।

सेना की सौ बीघा भूमि बहा ले गई नदी

सरयू नदी की कटान का कहर आम किसानों ने ही नहीं सेना भी झेल रही है। नदी की कटान से जहां किसानों की खेती योग्य जमीन धारा में समा गयी है, वहीं सेना की जमीन भी नदी काट ले गई। सेना की यह जमीन किसी जमाने में निशानेबाजी के अभ्यास के लिए निर्धारित की गई थी। हालांकि अब यहां सेना के जवानों द्वारा कोई अभ्यास नहीं किया जाता है लेकिन मालिकाना हक अब भी सेना का ही है। विक्रमजोत ब्लाक के कल्यानपुर ग्राम सभा के पड़ाव गांव में सेना की 140 बीघा ( 14 हेक्टेयर) भूमि है। इस जमीन में से घाघरा नदी 100 बीघा ( 10 हेक्टेयर) जमीन काट ले गई। वर्तमान समय में यहां पर सेना की मात्र 40 बीघा ( 4 हेक्टेयर) जमीन बच गई है। इस जगह पर अब भी कटान हो रही है।  सेना द्वारा समय-समय पर इस जमीन की देखरेख की जाती है। अक्सर ऐसा होता है कि आसपास के खेत मालिक सेना की जमीन भी अपने खेत में मिला लेते हैं तथा उसपर खेती करने लगते हैं। इस वजह से सेना के अधिकारी यहां आते हैं तथा अपनी भूमि की पैमाइश कर जो भी अतिक्रमण होता है उसे हटा देते हैं।

जानकारों का कहना है कि सेना सहित आम किसानों की खेती योग्य जमीन बचाई जा सकती थी। जो जमीन नदी की धारा में समा गई वह तो अब मिलने से रही। इसका मूल कारण यह है कि नदी की मुख्य धारा बस्ती जनपद की तरफ हो गई है। इसलिए जो क्षति हुई है उसकी भरपाई अब फिलहाल होने वाली नहीं है। यदि यहां पर पूर्व में प्रस्तावित तटबंध बना दिया गया होता तो सरकार सहित आम जन की इतनी क्षति नहीं होती। अब स्थिति यह है कि यदि पूर्व में प्रस्तावित तटबंध बनाया भी जाए तो भी सेना की यह जमीन नदी और बांध के बीच में पड़ जाएगी।

ब्रिटिश हुकूमत से सेना के खाते में दर्ज है जमीन

जानकारों का कहना है कि ब्रिटिश काल से यह जमीन सेना के खाते में दर्ज है। आजादी से पूर्व यहां पर सैनिक अभ्यास करते थे। यहां सेना पड़ाव डालती थी। महीनों सैनिक अभ्यास होता था। इसी वजह से इस जगह का नाम पड़ाव हो गया। जो सरकारी अभिलेखों में इसी नाम से दर्ज है। वर्तमान में सेना ने यहां अपना बोर्ड लगा रखा है। समय-समय पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई होती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.