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यूपी चुनाव 2022 : ऐसा विधानसभा क्षेत्र जहां से एक साथ चुने गए थे दो विधायक

देवरिया जनपद के विधानसभा क्षेत्रों का इतिहास व भूगोल कई बार बना और बिगड़ा। कइयों ने अपने इतिहास को बरकरार रखा तो कई गुमनाम हो गए। इन्हीं गुमनामी में शुमार है देवरिया जनपद का सिलहट सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र संख्या 232 है।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 08:15 AM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 08:15 AM (IST)
यूपी चुनाव 2022 : ऐसा विधानसभा क्षेत्र जहां से एक साथ चुने गए थे दो विधायक
ऐसा विधानसभा क्षेत्र जहां से एक साथ चुने गए थे दो विधायक। प्रतीकात्‍मक फोटो

गोरखपुर, पवन कुमार मिश्र। देवरिया जनपद के विधानसभा क्षेत्रों का इतिहास व भूगोल कई बार बना और बिगड़ा। कइयों ने अपने इतिहास को बरकरार रखा तो कई गुमनाम हो गए। इन्हीं गुमनामी में शुमार है देवरिया जनपद का सिलहट सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र संख्या 232 है। 1957 में इसे महज एक बार ही विधानसभा क्षेत्र बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इस विस सीट से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। यह ऐसा विधानसभा क्षेत्र है, जहां से एक साथ दो विधायक चुने गए थे।

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1956 में चुने गए थे दो विधायक

सियासी इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो 1956 में यहां से एक साथ दो विधायक चुने गए। सुरक्षित सीट होने के कारण अनुसूचित जाति के डा.सीताराम व दूसरे रामजी सहाय। दोनों कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार थे। निर्वाचन आयोग के रिकार्ड बताते हैं कि अनुसूचित जाति के डा. सीताराम अकेले उम्मीदवार थे। जिसके चलते वह विजयी घोषित किए गए। इसी सीट पर कांग्रेस के रामजी सहाय 30777 मत पाकर चुनाव जीत गए। निर्दल प्रत्याशी चंद्रबली सिंह को 19946, पीएसपी के त्रिबेनी को 5190, सीपीआइ के राना प्रताप को 4808 मत मिले थे।

पहले देवरिया साउथ कम हाटा विधानसभा के नाम से थी पहचान

इसके पहले 1952 में इस विधानसभा क्षेत्र को देवरिया साउथ वेस्ट कम हाटा के नाम से जाना जाता था। डा.सीताराम गौरीबाजार के हरिरामपुर गांव के रहने वाले थे। वह प्रदेश सरकार में मंत्री भी बनाए गए थे। जबकि रामजी सहाय रुद्रपुर नगर के रहने वाले थे। उनके नाम से रामजी सहाय महाविद्यालय की स्थापना की गई है।

राजस्व अभिलेखों में परगना के रूप में दर्ज है सिलहट

राजस्व अभिलेखों में सिलहट कोई गांव नहीं, बल्कि परगना है। वर्तमान में राजस्व विभाग की खतौनी में देवरिया, भाटपाररानी, बरहज, रुद्रपुर, सलेमपुर तहसील के कई गांवों का यह परगना है। परगना को दिल्ली सल्तनत की तरफ से पेश किया गया था, और यह मूल फारसी का शब्द है। एक राजस्व इकाई के रूप में एक परगना में कई मौजा होते हैं, जो एक या अधिक गांवों और आसपास के ग्रामीण इलाकों से मिलकर सबसे छोटी राजस्व इकाइयां होती हैं। परगनों के उपखंडों को मौजा (क्षेत्र, बस्ती) कहा जाता था। हालांकि रुद्रपुर विधानसभा क्षेत्र में सिलहटा गांव गोर्रा नदी के निकट है। बाढ़ से बचाव के लिए सिलहटा तटबंध बनाया गया है।

पहले चुनाव में आरोप-प्रत्‍यारोप नहीं विचार होता था महत्‍वपूर्ण

पूर्व विधायक रामजी सहाय के दत्‍तक पुत्र राजेश श्रीवास्‍तव बताते हैं कि 1957 में सिलहट सुरक्षित एक बार ही विधानसभा क्षेत्र बनाया गया था। इस सीट से मेरे पिताजी रामजी सहाय के साथ ही डा.सीताराम दूसरी बार विधायक चुने गए थे। इस चुनाव की चर्चा पिताजी अक्सर करते थे। उस समय दो अलग-अलग बक्से रखकर चुनाव हुआ था। बताते थे पहले चुनाव में धन का कोई मायने नहीं था। उस वक्त प्रचार बैलगाड़ी या पैदल होता था। चुनाव में दिन लोग सजधज कर मतदान केंद्र पर जाते थे। तैयारी ऐसी होती थी कि जैसे किसी मेले में जा रहे हों। सभी लोगों में चुनाव को लेकर उत्साह रहता था। चुनाव में नेता भाषण देते थे। लेकिन किसी के व्यक्तिगत जीवन के बारे में आरोप-प्रत्यारोप नहीं लगाते थे। विचार महत्वपूर्ण था। नेता को इमानदार होने की सीख देते थे।


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