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इन्होंने कोरोना संक्रमण काल में भी बंद नहीं होने दी पढ़ाई Gorakhpur News

आनलाइन शिक्षा एक ऐसी चुनौती के तौर पर आई जिसके लिए अधिकांश शिक्षक तैयार नहीं थे। कई ऐसे भी थे जिनका कंप्यूटर व गुगल जूम से दूर-दूर तक नाता नहीं था पर छात्रों के भविष्य के लिए शिक्षकों ने इस चुनौती स्‍वीकार की।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Sun, 21 Mar 2021 02:30 AM (IST)Updated: Sun, 21 Mar 2021 02:30 AM (IST)
इन्होंने कोरोना संक्रमण काल में भी बंद नहीं होने दी पढ़ाई Gorakhpur News
कोरोना संक्रमण काल में कराई आनलाइन पढ़ाई। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जेएनएन : कोरोना महामारी में कुशीनगर जिले में आनलाइन शिक्षा एक ऐसी चुनौती के तौर पर आई, जिसके लिए अधिकांश शिक्षक तैयार नहीं थे। कई ऐसे भी थे, जिनका कंप्यूटर व गुगल जूम से दूर-दूर तक नाता नहीं था, पर छात्रों के भविष्य के लिए शिक्षकों ने इस चुनौती को स्वीकार किया और नई तकनीक से जुड़ने के लिए मेहनत की। इसका नतीजा यह रहा कि कंप्‍यूटर व एंड्रायड फोन से दूर रहने वाले शिक्षक इतने प्रशिक्षित हो गए कि आनलाइन माध्यम से छात्रों को पढ़ाने लगे। लाकडाउन के एक साल पूरे होने पर जब शिक्षकों से आनलाइन पढ़ाई पर बात की गई तो इन लोगों ने अपनी राय कुछ यूं रखी।

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धीरे-धीरे सबकुछ सामान्य हो गया

सेंट थ्रेसेस स्कूल के फादर सोनी ने बताया कि कोरोना काल में पढ़ाई कम चुनौती नहीं थी, लेकिन इस चुनौती का आनलाइन व वीडियो क्लास का आसान विकल्प तैयार कर लिया गया। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का क्लासवार वाट्सएप ग्रुप बनवाया। क्लास टीचर की देख-रेख में नियमित रूप से सुबह नौ बजे से बच्चों की आनलाइन क्लास शुरू हो जाती थी। ब्लैक बोर्ड के सामने खड़े होकर पढ़ाने का दो दशक का अनुभव था पर वीडियो क्लास नया था। शुरुआत में कुछ दिक्कतें आईं पर धीरे-धीरे सबकुछ सामान्य हो गया। स्वयं प्रतिदिन 30 से 40 मिनट का क्लास लेता था।

नहीं बाधित होने दी गई बच्चों की पढ़ाई  

गीता इंटरनेशनल स्कूल के प्रबंधक ओपी गुप्ता ने कहा कि कोरोना संक्रमण के समय स्कूल, कालेज सब बंद कर दिए गए। बच्चों की पढ़ाई बंद हो गई। आनलाइन क्लास की परिकल्पना यहां नहीं थी। शिक्षकों के सहयोग से बच्चों की आनलाइन पढ़ाई का विकल्प तैयार कर वीडियो व गुगल जूम के जरिये पढ़ाई शुरू कराई। शुरुआत के दिनों में नेटवर्क की समस्या के चलते बाधाएं आईं फिर सबकुछ ठीक हो गया। बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं होने दी गई। शिक्षकों के पढ़ाने का वीडियो भी ग्रुप में भेजा जाता था, ताकि बच्चे आसानी से समझ सकें। बच्चों ने आनलाइन पढ़ाई की और परीक्षा में भी शामिल हुए।

ग्रामीण क्षेत्र में नई बात थी आनलाइन पढ़ाई

प्राथमिक विद्यालय रामपुर पोखरिया की रुचि सिंह ने कहा कि आनलाइन पढ़ाई ग्रामीण क्षेत्र में नई बात थी। ऊपर से विद्यालय में नामांकित 114 बच्चों में सिर्फ 72 बच्चों के परिवार में ही एंड्रायड फोन की सुविधा थी। इन अभिभावकों से संपर्क कर आनलाइन पढ़ाने के बारे में बताया। फिर स्कूल का एक वाट्सएप ग्रुप बना, जिसके जरिये इन बच्चों को हर रोज काम दिया जाता और अगले दिन दिए हुए काम को चेक किया जाता। ग्रुप से वंचित बच्चों के लिए मोहल्ला पाठशाला चलाया गया। शिक्षकों के प्रयास से बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं होने पाई।

वाट्सएप पर जारी रखी बच्‍चों की पढ़ाई

प्राथमिक विद्यालय बढ़या बुजुर्ग की सुप्रिया त्रिपाठी ने कहा कि शिक्षक बनने के बाद ब्लैकबोर्ड के सामने खड़े होकर पढ़ाना ही व्यवहार में था। कोरोना काल में स्कूल, कालेज बंद हो गए तो बच्चों की पढ़ाई पर संकट खड़ा हो गया। आनलाइन शिक्षा का न तो कोई अनुभव था और न ही कभी सोचा था। ग्रामीण क्षेत्र में नेटवर्क समस्या भी एक बड़ा कारण था। नामांकित 75 बच्चों में आधे से कम अभिभावकों के पास एंड्रायड फोन की सुविधा थी। वाट्सएप ग्रुप बनाकर बच्चों की पढ़ाई जारी रखी। प्रतिदिन दो से तीन घंटे पढ़ाई होती थी। मोबाइल पर जूम के जरिये बच्चों से संवाद कर उनकी समस्या भी पूछती रहती थी।


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