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CBSE: डिजिलाकर से छात्रों को मिलेगा अंकपत्र व प्रमाणपत्र, चालीस हजार छात्र होंगे लाभान्वित Gorakhpur News

वर्तमान में जनपद में 117 स्कूलों को सीबीएसई से मान्यता मिली है। जिनके लगभग 40 हजार छात्र इससे सीधे लाभान्वित होंगे। इस तकनीक के जरिये छात्र अपना चेहरा दिखाएंगे। सिस्टम छात्र के चेहरे को एडमिट कार्ड के फोटो से मिलान कर लेगा।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Published: Wed, 19 May 2021 01:31 PM (IST)Updated: Wed, 19 May 2021 01:31 PM (IST)
CBSE: डिजिलाकर से छात्रों को मिलेगा अंकपत्र व प्रमाणपत्र, चालीस हजार छात्र होंगे लाभान्वित Gorakhpur News
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो, जेएनएन।

गोरखपुर, जेएनएन। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की ओर से इस बार भी अंकपत्र और प्रमाणपत्र डिजिटल फार्मेट में जारी किया जाएगा। यानि छात्र-छात्राएं डिजिलाकर के माध्यम से ही ये प्रमाणपत्र घर बैठे डाउनलोड कर सकेंगे। 10वीं व 12वीं के छात्रों को इसका लाभ मिलेगा। मोबाइल नंबर और फेस मैचिंग तकनीक के माध्यम से छात्रों को यह सुविधा मुहैया कराई जाएगी। कोरोना संक्रमण के कारण बोर्ड की ओर से यह निर्णय लिया गया है। छात्र इसका प्रिंटआउट निकाल इसी के आधार पर आगे की कक्षाओं में दाखिला भी ले सकेंगे। पूर्व छात्र भी मोबाइल नंबर और अन्य कुछ जानकारियां देकर कर अपना डिजिटल प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकेंगे। बोर्ड की इस नई व्यवस्था से छात्रों की यह परेशानी दूर हो गई है।

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कहीं से भी छात्र उठा सकते हैं लाभ

वर्तमान में जनपद में 117 स्कूलों को सीबीएसई से मान्यता मिली है। जिनके लगभग 40 हजार छात्र इससे सीधे लाभान्वित होंगे। इस तकनीक के जरिये छात्र अपना चेहरा दिखाएंगे। सिस्टम छात्र के चेहरे को एडमिट कार्ड के फोटो से मिलान कर लेगा, जिसके बाद छात्र आसानी से अपना डिजिटल लाकर खोल पाएंगे। सीबीएसई की यह सुविधा देश-विदेश में रहने वाला कोई भी छात्र उठा सकता है।

अगली कक्षाओं में प्रवेश भी ले सकते हैं छात्र

सीबीएसई के जिला समन्वयक अजीत दीक्षित  का कहना है कि कोरोना को देखते हुए सीबीएसई ने इस बार भी यह व्यवस्था लागू की है। छात्र इसी आधार पर अपना अंकपत्र व प्रमाण पत्र लेकर अगली कक्षाओं में प्रवेश ले सकेंगे। बोर्ड की इस व्यवस्था से जनपद के 40 हजार छात्रों को फायदा होगा। कई बार छात्र अपना पासवर्ड भूल जाते हैं और इसके कारण वे अपना डिजिटल लाकर का उपयोग करना छोड़ देते हैं। बोर्ड की पहल से उन्हें काफी मदद मिलेगी। स्कूलों को इसकी जानकारी दी जा रही है, ताकि वह छात्र-छात्राओं को इससे अवगत करा सकें।


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