ये है पूर्वांचल की मेधा, आइआइटी प्रवेश परीक्षा में मिली कामयाबी Gorakhpur News
हालांकि कोविड संक्रमण के चलते सफल अभ्यर्थी आपस में मिलकर तो खुशी साझा नहीं कर सके लेकिन फोन से एक-दूसरे को बधाई देने में नहीं चूके। मिठाई खिलाकर खुशी जाहिर करने का दौर भी खूब चला। बातचीत में उन्होंने अपनी खुशी साझा की।
गोरखपुर, जेएनएन। आइआइटी प्रवेश परीक्षा का (जेईई एडवांस-2020) का घोषित परिणाम में पूर्वांचल खासकर गोरखपुर के अभ्यर्थियों ने जोरदार उपस्थिति दर्ज कराई। गोरखपुर के यशराज सिंह को 1024वीं रैंक मिली है। देर रात तक प्राप्त जानकारी के मुताबिक यशराज जिले में सर्वाधिक अच्छी रैंक हासिल करने वाले अभ्यर्थी हैं। सफल अभ्यर्थियों के घरों पर जश्न का माहौल रहा। बधाइयों का जो सिलसिला परिणाम आने के बाद से देर रात तक चलता रहा। हालांकि कोविड संक्रमण के चलते सफल अभ्यर्थी आपस में मिलकर तो खुशी साझा नहीं कर सके, लेकिन फोन से एक-दूसरे को बधाई देने में नहीं चूके। मिठाई खिलाकर खुशी जाहिर करने का दौर भी खूब चला। कुछ सफल छात्रों से जब जागरण ने बातचीत की तो उन्होंने अपनी खुशी कुछ यूं साझा की।
मेहनत की तो भाग्य ने भी साथ दिया
यशराज सिंह को 1024वीं रैंक मिली है। उनका कहना है कि आइआइटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने का सपना पूरा होने जा रहा है। मेहनत की थी तो भाग्य ने भी खूब साथ दिया। परिजनों का आशीर्वाद भी सफलता के लिए महत्वपूर्ण पहलू है।
नियमित अध्ययन से मिली सफलता
वहीं 1024वीं रैंक पाने वाले आर्यन मोदनवाल का कहना है कि इंजीनियर बनना चाहता था और वह भी उच्चतम संस्थान से पढ़कर। यह ख्वाहिश पूरी होने का वक्त आ गया है। सफलता के लिए नियमित अध्ययन बहुत जरूरी है। जबक 2003वीं रैंक पाने वाले आशुतोष द्विवेदी का कहना है कि गणित के हर विद्यार्थी का सपना आइआइटी में पढऩा होता है। मुझे खुशी है कि मैं उस सपने को साकार कर सका। जेईई एडवांस क्वालिफाई करना पहला पड़ाव है। खुद को श्रेष्ठ इंजीनियर भी सिद्ध करना है। 1619वीं रैंक पाने वाले शाहिद रजा का कहना है कि पढऩे में शुरू से मेधावी था, सो परिवार के लोगों को भी काफी उम्मीदें थीं। खुशी है कि उनकी उम्मीदों पर खरा उतर सका। मैं खुद भी कॅरियर सुरक्षित करने के लिए आइआइटी में पढऩा चाहता था।
अभी और मेहनत करनी है
शुभम राय को 4128वीं रैंक मिली है। उनका कहना है कि जैसी रैंक की उम्मीद थी, वह नहीं मिली। अगर बेहतर संस्थान नहीं मिला तो अगले वर्ष फिर परीक्षा में शामिल होने का विचार है। अभी और मेहनत करनी है। यह सफलता महज पड़ाव है। 4938वीं रैक पाने वाले सागनिक रवि का कहना है कि जितनी उम्मीद की थी, उतनी तो रैंक नहीं आई लेकिन अब इसी पर पहले बेहतर संस्थान और फिर मनमाफिक ट्रेड हासिल करना है। आइआइटी में पढऩे की तमन्ना पूरी हुई, इसलिए मैं और मेरे माता-पिता काफी खुश हैं। 2132वीं रैंक पाने वाले वैभव गुप्ता का कहना है कि हर गणित की विद्यार्थी की तरह मेरी भी तमन्ना आइआइटी से बीटेक करने की थी। खुशी है कि वह पूरी होने जा रही है। अपने अनुभव से कह सकता है नियमित मेहनत ही सफलता की कुंजी है।