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Ayodhya Ram Mandir News : इनके लिए गर्व की कहानी बनी 6 दिसंबर की निशानी Gorakhpur News

Ayodhya Ram Mandir News अयोध्या में श्रीराम मंदिर आंदोलन में गोरखपुर के कई लोगों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 29 Jul 2020 01:32 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2020 02:23 PM (IST)
Ayodhya Ram Mandir News : इनके लिए गर्व की कहानी बनी 6 दिसंबर की निशानी Gorakhpur News
Ayodhya Ram Mandir News : इनके लिए गर्व की कहानी बनी 6 दिसंबर की निशानी Gorakhpur News

 गोरखपुर, जेएनएन। जन्मभूमि पर राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही, वैसे-वैसे उससे जुड़े तरह-तरह के संस्मरण सामने आ रहे हैं। संस्मरणों के क्रम में ही कुछ कारसेवकों ने बताया कि 1992 के आंदोलन में जब उन्हें विवादित ढांचा ढहाने में सफलता मिल गई तो शौर्य की निशानी के तौर पर कोई न कोई अवशेष लेकर वह अपने घरों को लौटे। आज वह अवशेष उन्हें एक बार फिर अपने किए पर फक्र का अवसर दे रहे हैं। बृजेश राम त्रिपाठी, चंद्रेश्वर, डाॅ. सत्येंद्र सिन्हा जैसे दर्जनों कारसेवकों ने आज भी अपनी शौर्य की निशानी को सहेज कर रखा हुआ है।

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ढांचे की छड़ लेकर गोरखपुर लौटे थे डाॅ. सत्येंद्र

वर्तमान में भाजपा क्षेत्रीय उपाध्यक्ष डाॅ. सत्येंद्र सिन्हा को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से आंदोलन में हिस्सा लेने का सौभाग्य मिला। उन्होंने बताया कि पिछले आंदोलनों के किसी निर्णय तक न पहुंच पाने से लोग ऊब चुके थे, जिसका नतीजा छह दिसंबर को दिखा। हर कोई आरपार की लड़ाई के मूड में था। डा. सिन्हा ढांचे से निकली छड़ लेकर गोरखपुर पहुंचे, जिसे देखने के लिए बहुत दिन तक उनके घर लोगोंके पहुंचने का सिलसिला चलता रहा।

गंगाजल में है ब्रजेश का लाया अवशेष

बृजेश उस पल को याद कर रोमांचित हो जाते हैं, जब उन्हें ढांचा गिराने में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने का मौका मिला था। बकौल बृजेश शीर्ष नेताओं के संबोधन के दौरान कब उनके पांव ढांचे की ओर बढ़ चले पता ही नहीं चला। सब अपनी पूरी ताकत से लगे हुए थे। लक्ष्य को अंजाम मिल गया तो सभी कुछ न कुछ निशानी लेकर वहां से निकले। बृजेश भी एक छोटी सी शिला लेकर आए, जिसे उन्होंने गंगा जल में आज भी सुरक्षित रखा हुआ है।

चुनाव में हुआ था चंद्रेश्वर की लाई ईंट का इस्तेमाल

हाटा के रहने वाले कारसेवक चंद्रेश्वर सिंह तो जिस ईंट को लेकर अपने घर लौटे, उसका इस्तेमाल चुनाव में वोट हासिल करने के लिए भी किया गया। चंद्रेश्वर के मुताबिक जिसके हाथ में जो आया, उसने उसे ही प्रहार का माध्यम बना लिया। पूरे जीवन में उन्हें कभी भी उन्हें अपनी उतनी ताकत का कभी अहसास नहीं हुआ, जितना कि ढांचा ढहाने के दौरान हुआ था। निशानी के तौर पर जब वह ईंट लेकर अपने गांव पहुंचे तो विजेता की तरह उनका स्वागत हुआ।

कमलेश की लाई ईंट देखने को उमड़े थे गांव वाले

जमौली उनवल के कमलेश सिंह ने बताया बताया कि आंदोलन के नेताओं का भाषण चल रहा था और वह उसे सुनने में लीन थे। तभी उनकी नजर जय श्रीराम के नारे के साथ ढांचे की ओर दौड़ते लोगों पर पड़ी। फिर तो वह भी टूट पड़े और ढांचा पूरी तरह गिरने तक लगे रहे। वीरता की निशानी के तौर पर कमलेश एक टूटी हुई ईंट लेकर अपने घर पहुंचे। बताते हैं उस ईंट को देखने के लिए गांव वाले उमड़ पड़े थे उनके दरवाजे पर।

भूमि पूजन के लिए आयोजन को सौंपी गई जिम्मेदारी

अयोध्या में पांच अगस्त को जन्मभूमि पर श्रीराम मंदिर भूमि पूजन को लेकर शहर में होने वाले आयोजनों की रूपरेखा विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने तैयार कर ली है। तीन से पांच अगस्त तक होने वाले आयोजनों को लेकर कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी भी तय कर दी गई है।

महानगर अध्यक्ष विजय खेमका को पांच अगस्त के कार्यक्रम का व्यवस्था प्रमुख बनाया गया है। मंत्री मुकुंद शुक्ल प्रचार-प्रसार का जिम्मा संभालेंगे। महानगर संयोजक अशोक गुप्ता को आवागमन व्यवस्था और फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्रखंड के कार्यकर्ता लोगों से तीन व चार अगस्त को घर में भजन-कीर्तन करने और पांच अगस्त की शाम दीप जलाने का आग्रह करेंगे। हर कार्यकर्ता इसके लिए कम से कम 100 परिवार तक पहुंचेगा। परिषद का मानना है कि यह राष्ट्र के पुनर्जागरण का महापर्व है, इसलिए इसमें हर देशवासी की भागीदारी होनी चाहिए।


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