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बैंक से ऋण लेकर शुरू किया उपक्रम, तय किया आटा चक्की से आदित्य भोग तक का सफर

देश और प्रदेश में जबसे भाजपा की सरकार आई है लघु उद्योगों को बढ़ावा मिला है। सिद्धार्थनगर जिले में छह माह पहले तक नगर पंचायत के शाहपुर बाजार में छोटी सी आटा चक्की चलाने वाले ने आदित्य भोग नाम से आटे का एक ब्रांड बाजार में उतार दिया है।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Published: Fri, 07 Jan 2022 05:36 PM (IST)Updated: Fri, 07 Jan 2022 05:36 PM (IST)
बैंक से ऋण लेकर शुरू किया उपक्रम, तय किया आटा चक्की से आदित्य भोग तक का सफर
गोदाम में आटा, बेसन और पशु आहार का स्टाक। जागरण

गोरखपुर, नीलोत्पल दुबे। देश और प्रदेश में जबसे भाजपा की सरकार आई है, लघु उद्योगों को बढ़ावा मिला है। सिद्धार्थनगर जिले में छह माह पहले तक नगर पंचायत के शाहपुर बाजार में छोटी सी आटा चक्की चलाने वाले एक व्यक्ति ने आदित्य भोग नाम से आटे का एक ब्रांड बाजार में उतार दिया है। जो देखते- देखते सिद्धार्थनगर ही नहीं बलरामपुर और गोंडा के बाजारों में भी अपनी पैठ मजबूत कर रहा है। अब तक पैकेट बंद आटा स्थानीय बाजार में बड़े शहरों से आता था। लेकिन आटा अपनी क्वालिटी और कम कीमत के चलते तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। आज प्रति माह इस ब्रांड का पैकेटबंद आटा आठ सौ से 1000 क्विंटल तक बिक रहा है।

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ऐसे मिली प्ररेणा

नगर पंचायत में छोटी आटा चक्की चलाने वाले नंदलाल अग्रहरि जब बाजार में महंगे पैकेट बंद आटा जैसे आशीर्वाद, माखन भोग, कुमार और राजधानी के ब्रांड देखते थे तो उनकी भी इच्छा थी, कि वह एक ऐसा ही ब्रांड बाजार में उतारें जो आम लोगों के बजट में हो। उन्हें जब यह जानकारी प्राप्त हुई कि सरकार ने लघु उद्योग डालने की प्रक्रिया को काफी सरल किया है तो उन्होंने प्रोजेक्ट फाइल बनवाकर बैंक से संपर्क किया। बैंक से ऋण मिला तो जीएसटी और टिन नंबर लेकर अपने ब्रांड का पंजीयन कराया और बाजार में अपना ब्रांड उतार दिया। उन्होंने न सिर्फ पैकेट बंद आटा बाजार में उतारा है, बल्कि बेसन और पशु आहार बनाकर तरक्की की सीढ़ियां भी चढ़ रहे हैं। अबतक स्थानीय बाजार में खुला आटा 25 रुपया किलो बिकता था। उन्होंने इतने ही दर पर पैकेट बंद आटा उपलब्ध कराया तो देखते ही देखते तेजी से आगे बढ़े। उनके यहां निर्मित बेसन की क्वालिटी भी उम्दा होने के कारण लोगों की जुबान पर चढ़ रही है। 40 रुपये में आधा किग्रा चना बेसन का पैकेट उनके यहां से बिकता है। जिसकी खुले बाजार में कीमत 50 रुपये है। पशु आहार भी कम कीमत का होने के कारण तेजी से बाजार में पैठ जमा रहा है। दस लाख रुपये के ऋण से शुरू इस कारोबार से प्रति माह 15 लाख रुपये से अधिक की बिक्री कर रहे हैं।

सीधे किसानों से खरीदते हैं गेहूं

आदित्य भोग आटा मिल में गेहूं सीधे किसानों से खरीदा जाता है। संचालक ने बताया कि मौजूदा समय में 19 रुपया प्रति किग्रा की दर से गेहूं मिल खरीदते हैं। गेहूं की सफाई के लिए पांच महिलाओं को लगाया गया है। साफ करने के बाद ही इससे आटा तैयार करके पैकिंग का काम किया जाता है। बेसन निर्माण में भी सफाई का ध्यान रखा जाता है।

कई को दिया रोजगार

पांच महिलाओं के अलावा यहां दस पुरुषों को भी पांच हजार रुपया महीने पर रोजगार मिला हुआ है। काम करने वाले भोला, यमुना, विक्रम, शिवशंकर, संदीप, बीरेंद्र, विक्रम और रोहित ने बताया कि उनका काम आटा और बेसन मशीन से तैयार करने के बाद पैक करने का है। इससे पहले वह लोग मजदूरी करके जीवन यापन करते थे, लेकिन अब सम्मानजनक काम मिला है।


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