गोरखपुर में सैनिटाइजर का उत्पादन शुरू कर दूसरों को भी दिखाया रास्ता Gorakhpur News
लाकडाउन में जहां अधिकतर औद्योगिक इकाइयां बंद थीं वहीं आवश्यक सेवाओं से जुड़ी इकाइयों को उत्पादन की अनुमति दी गई थी। इसी दौरान उन्होंने सैनिटाइजर बनाना शुरू कर दिया और इसकी खूब मांग रही। उनका यह नया उत्पाद नई ऊर्जा लेकर आया।
गोरखपुर, जेएनएन। लाकडाउन के दौरान जहां औद्योगिक जगत समस्याओं से जूझ रहा था, वहीं जिले के उद्यमी प्रवीण मोदी ने इस दौरान अपना कारोबार बढ़ाकर रोजगार के नए अवसर पैदा किए। सामान्य दिनों में चली आ रहे आक्सीजन सिलेंडर के उत्पादन को बरकरार रखने के साथ ही उन्होंने नया प्लांट लगाकर इसका उत्पादन और बढ़ा दिया। उत्पादन बढऩे से पूर्वांचल के कई जिलों में मेडिकल आक्सीजन की कमी भी पूरी हो गई।
नई ऊर्जा लेकर आया नया उत्पाद
लाकडाउन में जहां अधिकतर औद्योगिक इकाइयां बंद थीं, वहीं आवश्यक सेवाओं से जुड़ी इकाइयों को उत्पादन की अनुमति दी गई थी। प्रवीण मोदी का उत्पाद यानी आक्सीजन भी इसी श्रेणी में आता है। इकाई भले चल रही थी लेकिन लाकडाउन का प्रभाव उनपर भी पड़ा था। अधिकतर अस्पताल व औद्योगिक इकाइयां बंद होने से उनके उत्पाद की मांग भी उस दौरान कम हुई थी। अस्पतालों में मेडिकल आक्सीजन जबकि इकाइयों में इंडस्ट्रियल आक्सीजन की आपूर्ति की जाती थी। इसलिए वह भी इस उहापोह में थे कि आगे क्या करना है। इसी दौरान उन्होंने सैनिटाइजर बनाना शुरू कर दिया और इसकी खूब मांग रही। उनका यह नया उत्पाद नई ऊर्जा लेकर आया।
पूरी हुई आक्सीजन की कमी, खुल गए रोजगार के द्वार
इसी बीच कोरोना के मरीज बढऩे से आक्सीजन सिलेंडर की मांग भी बढऩे लगी। इसके लिए उन्होंने दूसरे प्लांट का लाइसेंस प्राप्त किया। 700 सिलेंडर प्रतिदिन से बढ़ाकर उन्होंने उत्पादन क्षमता 2200 सिलेंडर प्रतिदिन तक कर ली है। उत्पादन बढऩे से उनके यहां कई लोगों को रोजगार भी मिला। प्रवीण मोदी कहते हैं कि लाकडाउन एक अनुभव देकर गया है। कुछ समय के लिए निराशा हुई थी लेकिन इस विपरीत परिस्थिति से लडऩे का फैसला किया और उसका सुखद परिणाम आया। इस समय इसी इकाई से पूर्वांचल के कई जिलों को मेडिकल एवं इंडस्ट्रियल आक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति हो रही है।