स्पोर्ट्स स्टेडियम के लिए बनेगा रिवाइज बजट, फिर होगा काम
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में निर्माणाधीन स्पोर्ट्स स्टेडियम में अनियमितता की जा रही है। इसकी तकनीकी स्वीकृति तक नहीं ली गई।
गोरखपुर, जेएनएन। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में अर्से से निर्माणाधीन स्पोर्ट्स स्टेडियम के लिए एक बार फिर बजट तैयार होगा। निर्माण में हुई देरी पर शासन द्वारा तलब किए जाने पर सोमवार को कुलसचिव की मौजूदगी में शासन के समक्ष राजकीय निर्माण निगम ने अपना पक्ष रखा। कार्यदायी संस्था का कहना है कि अभी काफी भुगतान होना शेष है, खर्च भी बढ़ गया है, ऐसे में पुराने इस्टीमेट से निर्माण संभव नहीं है। समीक्षा बैठक में निगम को एक सप्ताह में इस्टीमेट प्रस्तुत करने को कहा गया है।
विश्वविद्यालय में छह वर्ष पूर्व तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने स्टेडियम निर्माण के लिए करीब साढ़े 4 करोड़ रुपये दिए थे। लेटलतीफी के चलते काम समय पर खत्म नहीं हो सका। इस बीच निर्माण में तमाम अनियमितताओं की बात भी सामने आई। लेटलतीफी को लेकर शासन ने सख्ती की तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्यदायी संस्था को दोषी बताया। इस बीच तीन करोड़ से अधिक का बजट निर्माण निगम को जारी भी कर दिया गया, लेकिन काम पूरा नहीं हो सका।
शासन ने इस अधूरे प्रोजेक्ट में लेटलतीफी और बढ़ते खर्च की समीक्षा के लिए दोनों पक्षों को बुलाया गया था। तय हुआ कि राजकीय निर्माण निगम के अधिकारी एक सप्ताह में रिवाइज स्टीमेट आदि के साथ अपना पक्ष रखेंगे। इसके बाद ही स्टेडियम के अधूरे निर्माण पर कोई निर्णय होगा।
शुरू से ही हो रही हैं अनियमितताएं
स्पोर्ट्स स्टेडियम में अनियमितताओं की बात बीते अप्रैल में वरिष्ठ लेखा परीक्षा अधिकारी, प्रधान महालेखाकार कार्यालय, इलाहाबाद की आडिट रिपोर्ट में भी सामने आई थी। रिपोर्ट के मुताबिक निर्माणाधीन स्टेडियम में गुणवत्ता का भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सक्षम प्राधिकारी से तकनीकी सलाह और नक्शा पास कराए बगैर चार साल में तीन करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए। आडिटर के मुताबिक स्पोर्ट्स स्टेडियम का काम शुरू किए जाने से पूर्व कार्यदायी संस्था द्वारा न तो विस्तृत आगणन तैयार कराया गया, न ही तकनीकी स्वीकृति प्राप्त की गई। यही नहीं जुलाई 2014 में काम शुरू भी हो गया, लेकिन अप्रैल 2017 तक सक्षम प्राधिकारी से स्टेडियम का नक्शा तक पास कराए जाने की जरूरत नहीं समझी गई। इतना ही नहीं स्टेडियम का निर्माण गुणवत्तापरक हो, इसे सुनिश्चित करने के लिए गुणवत्ता जाच तकनीकी समिति का गठन तक नहीं किया गया। जुलाई 2014 में काम शुरू होने से लेकर नवंबर 2016 तक के करीब ढाई वर्ष में खर्च तो 286.77 लाख रुपये हो गए, लेकिन काम महज 59 फीसद ही पूरा हुआ। यही नहीं नवंबर 2016 में जब आडिट की गई तब विश्वविद्यालय के पास स्टेडियम निर्माण कार्य की कोई अद्यतन प्रगति रिपोर्ट भी नहीं थी।