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तपसी आश्रम में मंद हुई पर्यटन विकास की रफ्तार

मुख्यमंत्री की प्राथमिकताओं में जुड़ा है आश्रम ठीकेदार की सुस्ती सब पर भारी

By JagranEdited By: Published: Fri, 12 Feb 2021 05:59 AM (IST)Updated: Fri, 12 Feb 2021 05:59 AM (IST)
तपसी आश्रम में मंद हुई पर्यटन विकास की रफ्तार
तपसी आश्रम में मंद हुई पर्यटन विकास की रफ्तार

एसके सिंह,बस्ती : पर्यटन विकास को बढ़ावा देने में जुटी सरकार की मंशा पर जिम्मेदार अफसर ही पानी फेर रहे हैं। मख क्षेत्र विशेषकर तपसी आश्रम में पर्यटन विकास की चल रही योजनाएं मुख्यमंत्री की प्राथमिकता में शामिल हैं। यहां पर्यटन से जुड़ी योजनाओं के निर्माण की गति काफी धीमी है। तपसी आश्रम के महंत ने भी इसको लेकर नाराजगी जताई है। गुरुवार को जागरण टीम ने बस्ती जिले के कसैला तपसी आश्रम में चल रही पर्यटन विभाग की योजनाओं की पड़ताल की। यहां छह करोड़ 30 लाख 49 हजार की परियोजनाएं चल रही हैं। प्रोजेक्ट रिपोर्ट में महंगी और बड़े नाम वाली सीमेंट की दरें समाहित की गई है जबकि मौके पर सस्ती सीमेंट प्रयुक्त की जा रही है। बालू और ईंट को लेकर भी सवाल खड़े किए गए हैं। कार्यदायी संस्था यूपीपीसीएल के प्रोजेक्ट मैनेजर अनिल कुमार ने इसको लेकर सफाई दी। कहा 43 ग्रेड का कोई सीमेंट प्रयोग किया जा सकता है। रही बात अन्य सामग्री की तो मानक के अनुरूप ही गुणवत्तापरक कार्य कराए जा रहे हैं।

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तपसी आश्रम में 2018-19 में चार करोड़ 38 लाख 63 हजार रुपये पर्यटन विभाग को स्वीकृत किए गए। इंटरलाकिग, सोलर लाइट, धर्मशाला, यात्री निवास, शौचालय, बाउंड्रीवाल, गेट, स्टील रेलिग, पेयजल, बेंचेज और ट्री गार्ड बनाए जाने थे। कार्यदायी संस्था उप्र.प्रोजेक्ट कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) को इसके लिए तीन करोड़ 87 लाख 79 हजार रुपये दिए जा चुके हैं। मौके पर बाउंड्रीवाल, शौचालय, धर्मशाला और यात्री शेड का ही निर्माण हो पाया है। इस तरह बमुश्किल 50 फीसद ही कार्य कराए गए हैं। जबकि परियोजना के समग्र कार्य 31 दिसंबर 20 को ही पूरा करने थे। आश्रम में दूसरे चरण में वर्ष 2019-20 में नदी किनारे नवीन घाट, पार्क, हाईमास्ट और गोदाम का निर्माण कराने के लिए एक करोड़ 91 करोड़ 86 लाख रुपये स्वीकृत किए गए। कार्यदायी संस्था ने अब तक 76 लाख 74 हजार रुपये खर्च कर दिए हैं। गोदाम का कार्य छत स्तर तक कराया गया है। पार्क, घाट और सीढ़ी का कार्य चल रहा है। मौके पर 40 फीसद ही कार्य अब तक हो पाए हैं। जबकि इसे 31 मार्च 21 तक ही पूरा करना है। यह है मंदिर का इतिहास

कसैला का तपसी आश्रम आस्था का प्रमुख केंद्र हैं। दूरदराज से लोग यहां मनौती लेकर आते हैं। मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर महाकाल का मंदिर है। जहां 17 अगस्त 2019 को शिवलिग की स्थापना की गई थी। जनश्रुति के अनुसार श्री तपसी सरकार 1940 में यहां तपस्या करने आए थे। 20 साल यहां साधना में लीन रहने के बाद भ्रमण पर निकल गए। 2008 में यहां लौटकर आए और इसके एक साल बाद यहीं पर समाधि ले ली। यह स्थान उनकी तपोस्थली है। दूरदराज से साधु संत यहां तपस्या के लिए आते हैं। श्रद्धालु तपसी महाराज को भगवान शिव का अवतार भी मानते हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि श्री तपसी सरकार हजारों वर्षों से विभिन्न अवतार लेकर यहां तपस्यारत रहे। श्री तपसी आश्रम हर्रैया तहसील क्षेत्र में ही नहीं बल्कि समूचे जनपद का एक विशिष्ट धार्मिक स्थल है। यहां वर्षभर तपसी सरकार के अनुयायी और साधु संत आते रहते हैं। आश्रम और मंदिर परिसर के विकास और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पर्यटन विकास की तमाम योजनाएं चल रही है। तेजी से कार्य पूरा कराए जाने की जरूरत है। इससे श्रद्धालुओं को काफी सुविधा होगी। निर्माण कार्य पूर्ण होने के पश्चात मनोरमा नदी के तट पर स्थित यह धार्मिक स्थल पर्यटन की दृष्टि से जनपद की अनमोल धरोहर साबित होगा।

जय बख्श सिंह, महंत

श्री तपसी आश्रम कसैला


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