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Coronavirus: संक्रमण के बाद मानसिक रोगों की महामारी की आशंका

अनेक परिवारों में केवल बूढ़े माता-पिता रह गए हैं। एकाकीपन के चलते तनाव उन्हें मानसिक स्तर पर परेशान कर रहा है। जिन लोगों की मानसिक रोग की दवा चल रही थी कोरोना काल में छूट जाने से उनकी परेशानी बढ़ गई है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Sat, 10 Oct 2020 02:28 PM (IST)Updated: Sat, 10 Oct 2020 02:28 PM (IST)
Coronavirus: संक्रमण के बाद मानसिक रोगों की महामारी की आशंका
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना ने लोगों को मानसिक स्तर पर भी प्रभावित किया है। विशेषज्ञ मान रहे हैं मानसिक महामारी का बीजारोपण हो चुका है। इससे बचाव के उपाय भी तलाशे जा रहे हैं। इसका मुख्य कारण तनाव व अवसाद है। जागरूकता ही इससे बचाव का सर्वोत्तम उपाय है।

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एकाकीपन से परेशान हैं बूढ़े मां-बाप

अनेक परिवारों में केवल बूढ़े माता-पिता रह गए हैं। एकाकीपन के चलते तनाव उन्हें मानसिक स्तर पर परेशान कर रहा है। जिन लोगों की मानसिक रोग की दवा चल रही थी, कोरोना काल में छूट जाने से उनकी परेशानी बढ़ गई है। अनेक लोग नौकरी जाने, घर में रहने की वजह से तनाव के शिकार हो गए हैं। जिला अस्पताल की ओपीडी में 70-80 मरीज और बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में टेली मेडिसिन के जरिए रोज दो लेकर 10 मरीज परामर्श ले रहे हैं। मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र के अनुसार बच्चों में भी तनाव व अवसाद की दिक्कतें बढ़ रही हैं।

क्या है मानसिक रोग

जब एक व्यक्ति ठीक से सोच नहीं पाता, उसका अपनी भावनाओं और व्यवहार पर काबू नहीं रहता, तो ऐसी स्थिति को मानसिक रोग कहते हैं। ऐसा रोगी आसानी से दूसरों को समझ नहीं पाता और उसे रोजमर्रा के काम ठीक से करने में मुश्किल होती है।

मानसिक रोग क्‍या है कारण

मानसिक रोग के कई हैं। इसमें अपमान, भय, आत्मविश्वास की कमी। ईर्ष्‍या, प्यार का अभाव, नुकसान, प्रियजन की मृत्यु आदि। बीमारी या किसी चीज को लेकर चिंता। अशांति, पारिवारिक कलह, धन की कमी आदि। छोटी-छोटी समस्याओं पर अत्यधिक विचार करना। अकेला, प्रेम में धोखा, बेरोजगारी और अनुवांशिक इसके प्रमुख कारण हैं।

ये है मानसिक रोग के लक्षण

मानसिक रोग के लक्षण भी कई प्रकार के हैं। इनमें तनाव, सिरदर्द, नींद न आना। किसी काम में मन नहीं लगना। गुस्सा व चिड़चिड़ापन। हमेशा उदास रहना। दोस्तों या घर से सदस्यों से मिलने में झिझक। मूड का बार-बार बदलना। असामान्य बर्ताव करना और घबराहट या डर लगना के प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं।

क्‍या है इसके बचाव

इसके बचाव के तमाम उपाय हैं। जैसे नियमित आधा घंटे व्यायाम या योगासन- प्राणायाम करें। एक घंटे टहलें, ध्यान करें या कुछ देर संगीत सुने। तनाव भरी बातें दिमाग से निकाल दें। अकेलेपन से बचें, अखबार या पुस्तक पढ़ें अथवा किसी से बातचीत करें। देर तक सोने से भी तनाव, थकान व उदासीनता हो सकती है। लगातर बहुत देर तक टीबी न देखें। धूमपान या किसी तरह का नशा बिल्कुल न करें। अच्छे दोस्त बनाएं। संतुलित पौष्टिक आहार लें।

क्यों मनाया जाता है विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस

कई कारणों से लोग अवसाद या अन्य मानसिक बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। पहली बार 1992 में यह संयुक्त राष्ट्र में मनाया गया था।

मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र के अनुसार बच्चों में बीमारी का फीसद

अवसाद: लड़कियों में 1.93 व लड़कों में 1.84 फीसद।

तनाव : लड़कियों में 4.26 व लड़कों में 2.03 फीसद।

गंभीर बीमारी: लड़कियों में .023 व लड़कों में .45 फीसद।

मेडिकल कॉलेज में सितंबर में देखे गए मरीज

बीमारी     महिला     पुरुष    बच्चे

झटका       01         06      01

अवसाद      22        26      01

अति उत्साह  03        01      00

घबराहट      04        04      00

हेडेक        12        05      01

पागलपन     04        10      02

अन्य         01        09      01

संभलने के उपाय पर चल रहा है काम

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मानसिक रोग विभाग के अध्‍यक्ष डॉ. तपस कुमार आइच का कहना है कि विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि कोविड के बाद मानसिक रोगों की महामारी आ सकती है। इसे संभालने के उपायों पर काम चल रहा है। अभी तक स्वास्थ्य के मद में जो भी धन खर्च होता है, उसका मात्र दो फीसद मानसिक रोगों की रोकथाम पर खर्च किया जा रहा है। इसे बढ़ाने की जरूरत है। जबकि मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र के प्रवक्‍ता डा. हिमांशु पांडेय का कहना है कि बच्चों में तनाव व अवसाद का मुख्य कारण माता-पिता से दूरी है। यही आगे चलकर गंभीर बीमारी के रूप में तब्दील हो जाता है। इसलिए बच्चों पर विशेष ध्यान दें। उनसे बातचीत करें। सोशल मीडिया से दूर रखें। उनकी रुचि के अनुसार उनसे उम्मीद करें। कुछ भी जबरदस्ती न थोपें।


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