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अपना ही दिल नहीं संभाल पा रहे युवा, दूसरों को क्या देंगे सहारा Gorakhpur News

हृदय रोग की शुरुआत एथरोस्केयरेसिस की समस्या से होती है। इससे हृदय को रक्त ले जाने वाली नलिकाएं धीरे-धीरे कोलेस्ट्राल जमने से संकरी होने लगती है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Sat, 28 Sep 2019 07:18 PM (IST)Updated: Sun, 29 Sep 2019 08:00 AM (IST)
अपना ही दिल नहीं संभाल पा रहे युवा, दूसरों को क्या देंगे सहारा Gorakhpur News
अपना ही दिल नहीं संभाल पा रहे युवा, दूसरों को क्या देंगे सहारा Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। एक समय था जब हृदय रोग की चर्चा छिड़ते ही किसी बुजुर्ग का चेहरा खुद-ब-खुद सामने आ जाता था। सभी को इसका विश्वास था कि 50 से पहले तो यह रोग हो ही नहीं सकता। लेकिन अब यह विश्वास पूरी तरह टूट चुका है। भागदौड़ भरी जिंदगी, मानसिक तनाव, आराम तलब जीवन शैली, फास्ट फूड के बढ़ते चलन से हृदय रोग के लिए उम्र का मानक दरकिनार हो गया है। हृदय रोग विशेषज्ञ के दर पर युवा भी खड़े नजर आ रहे हैं। पूर्वांचल के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञों की मानें तो इस समय उनके क्लीनिक या अस्पताल में आने वाले रोगियों में 15 से 20 फीसद युवा होते हैं। दुखद यह है कि युवा हृदय रोगियों की तादाद दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है।

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ऐसे होती है हृदय रोग की शुरुआत

हृदय रोग की शुरुआत एथरोस्केयरेसिस की समस्या से होती है। इससे हृदय को रक्त ले जाने वाली नलिकाएं धीरे-धीरे कोलेस्ट्राल जमने से संकरी होने लगती है। नलिकाओं में करीब पैसठ प्रतिशत या अधिक वसा का जमाव होने के बाद हृदय में पर्याप्त मात्रा में रक्त की आपूर्ति नहीं हो पाती और बीमारी के लक्षण सामने आने लगते हैं।

सलिए युवा बन रहे हृदय रोगी

हृदय रोग पीडि़त युवाओं में आधे तो खराब जीवनशैली, गलत खान-पान, अत्यधिक धूमपान, तनाव आदि के चलते हृदय रोगी बन रहे हैं जबकि अन्य दिल में जन्मजात गड़बड़ी व बाद में संक्रमण के चलते वाल्व संबंधी रोगों के शिकार होते हैं। पतली धमनियों के साथ जन्म व हृदय रोगों के लिए आनुवांशिक जोखिम तो भारतीयों में पहले से है। इसके साथ ही अपर्याप्त शारीरिक मेहनत, अधिक वसा वाला भोजन, फल-सब्जियों की लगातार अनदेखी के चलते यह खतरा बढ़ता रहा है। पूर्वांचल में भी इसी वजह से युवा मरीज बढ़ रहे हैं। अब कार्डियोवैस्कुलर रोग के लिए लिंग या उम्र की कोई सीमा नहीं है।

सांस फूलना है हृदय रोग का पहला लक्षण

हृदय रोग का शुरुआती लक्षण सांस फूलना है। इसी क्रम में सीने में दर्द और एंजाइना की शिकायत शुरू हो जाती है। कई बार काम करने के दौरान रोगी के सीने के बीच में दर्द होने लगता है। दिक्कत बढ़ती है तो यह दर्द गले से लेकर बांह तक फैल जाता है। समय पर इलाज न मिलने पर यह दर्द हार्ट अटैक की वजह बन जाता है।

ये है असली कारण

अनियमित दिनचर्या, मानसिक तनाव, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा, रक्त में वसा का बढ़ता स्तर धूमपान तथा व्यायाम व शारीरिक मेहनत की कमी ही इसके मुख्‍य कारण हैं।

ये हैं हृदयरोग के मुख्‍य लक्षण

सांस फूलना, सीने में दर्द की शिकायत, काम करने के बाद सीने में दर्द, सीने से दर्द का गले और बाहों की ओर बढऩा इसके मुख्‍य लक्षण हैं

बचाव ही इसके उपाय

नियमित व्यायाम, न्यूनतम मानसिक तनाव, फल और हरी सब्जियों का सेवन, चिकनाई वाले खाद्य पदार्थों से दूरी, नमक का संतुलित सेवन, धूमपान से परहेज, ब्लड प्रेशर, शुगर, कोलेस्ट्रॉल की नियमित जांच कराना ही बचाव है।

क्‍या कहते हैं विशेषज्ञ

वरिष्‍ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डा. अखिलेश पटेल का कहना है कि युवाओं में हृदय रोग के बढ़ते प्रभाव की बड़ी वजह तनाव है। खानपान को लेकर लापरवाही और धूमपान और शराब के बढ़ते चलन से भी समस्या आ रही है। इसी का नतीजा है कि इस समय क्लीनिक पर आने वाले हृदय रोगियों में 20 से 25 फीसद युवा हैं। वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सुधीर कुमार का कहना है कि देश में हृदय रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इनमें युवाओं का बढ़ता प्रतिशत चिंता का विषय है। युवाओं की अनियमित दिनचर्या और तनाव इसकी बड़ी वजह है। युवाओं में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति भी उनमें हृदय रोग का कारण बन रही है। 


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