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जब तक है जान हर सांस हैै तेरे नाम Gorakhpur News

शहर में बहुत सी ऐसी महिलाएं हैं जिन्हें करवा चौथ को पूरे विधि-विधान से मानते हुए पांच दशक या उससे भी ज्यादा वक्त बीत गया लेकिन वह आज भी उतना ही उत्साहित रहती हैं जितना शादी के बाद पहले वर्ष थीं।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Tue, 03 Nov 2020 05:20 PM (IST)Updated: Tue, 03 Nov 2020 05:20 PM (IST)
जब तक है जान हर सांस हैै तेरे नाम Gorakhpur News
साहित्‍यकार रविन्द्र श्रीवास्तव उर्फ जुगानी और कामिनी श्रीवास्तव।

 गोरखपुर, जेएनएन। अखंड सुहाग व पति-पत्नी के प्यार-विश्वास का प्रतीक है करवा चौथ। विवाहित स्त्रियों को इस पर्व का पूरे साल इंतजार रहता है।

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शहर में बहुत सी ऐसी महिलाएं हैं, जिन्हें पर्व को पूरे विधि-विधान से मानते हुए पांच दशक या उससे भी ज्यादा वक्त बीत गया, लेकिन वह आज भी उतना ही उत्साहित रहती हैं, जितना शादी के बाद पहले वर्ष थीं। जागरण से बातचीत में उन्होंने अपने उत्साह भरे प्रसंगों को साझा किया।  

ससुराल में मुझसे ही शुरू हुआ करवाचौथ

बीते पांच दशक से पति चौधरी प्रमोद कुमार के लिए करवाचौथ का व्रत रख रहीं पूर्व महापौर और राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष अंजू चौधरी बताती हैं कि ससुराल में इस पर्व की परंपरा उन्होंने ही शुरू की। बकौल अंजू उनके मायके में करवाचौथ को लेकर इतना उत्साह था कि एक बार उन्होंने बचपन में शौकवश मां से जिद करके करवाचौथ रखा था। बताती हैं कि पति हमेशा कहते हैं कि अब व्रत छोड़ दो, लेकिन मैं साफ कह देती हूं कि जब तक सांस है, व्रत चलता रहेगा।

62 वर्ष से उपवास रख रहीं विमला दास

शहर के जाने-माने उद्यमी रेवती रमण दास के विवाह को 62 वर्ष हो गए। उनकी पत्नी विमला दास को करवाचौथ का उपवास रखते भी इतने ही वर्ष हुए, लेकिन पर्व को लेकर उनके उत्साह में कोई कमी नहीं आई। आज भी उन्हें हर वर्ष करवा चौथ का इंतजार रहता है। उपवास में पति की भूमिका के सवाल पर विमला दास बताती हैं कि पहले करवाचौथ से ही चांद निकलने की सूचना देने की जिम्मेदारी वह बखूबी निभाते रहे हैं। उम्र के चलते कई बार उपवास के दौरान स्वास्थ्य को लेकर दिक्कत आती है, लेकिन पति का चेहरा देख ऊर्जा आ जाती है।

55 वर्ष से बरकार है पर्व का उत्साह

55 वर्ष से करवाचौथ की परंपरा को पूरी आस्था के साथ निभा रहीं अलीनगर के स्वर्ण व्यापारी ओमप्रकाश अग्रवाल की पत्नी पुष्पारानी अग्रवाल इस पर्व को लेकर आज भी उतनी ही संजीदा हैं, जितना 55 वर्ष पहले थीं। कहती हैं कि यह पर्व उनके परिवार की परंपरा है और इसके निर्वाह के लिए वह और उनके पति दोनों ही प्रतिबद्ध हैं। बकौल पुष्पा करवाचौथ की पंरपरा को निभाने में उन्होंने कभी कोई कमी नहीं होने दी। अब उम्र को देखते हुए उपवास के दौरान स्वास्थ्य को लेकर पति हमेशा सचेत करते रहते हैं। 

मायके और ससुराल दोनों की परंपरा निभा रहीं कामिनी

मशहूर साहित्यकार रवींद्र श्रीवास्तव 'जुगानी की पत्नी कामिनी श्रीवास्तव को करवाचौथ रखते 52 वर्ष हो गए। बताती हैं कि उनके मायके में तीज व्रत की परंपरा थी। जब ब्याह कर ससुराल आईं तो सास और सास की सास ने उन्हें बताया कि उनके यहां करवाचौथ की परंपरा है। फिर तो ठान लिया कि तीज तो रहेंगी ही, करवाचैथ को भी पूरे विधि-विधान से मनाएंगी। सिलसिला शुरू हुआ तो वह पांच दशक बाद भी बदस्तूर जारी है। कामिनी कहती हैं कि जब तक शरीर में जान है, करवाचौथ का व्रत रखूंगी।

हाथों पर मेंहदी से बनवाऊंगी पति की फोटो

बेतियाहाता निवासी वर्षा अग्रवाल का कहना है कि यह मेरा पहला करवाचौथ व्रत है। इसे लेकर मैं बहुत उत्साहित हूं। पहली बार पति की लंबी उम्र के लिए निर्जल व्रत रहना है। भगवान से प्रार्थना कर रही हूं कि मुझे अपने उद्देश्य में सफल करें। मैं हाथों पर मेंहदी रचाऊंगी और उसके बीच में पति की फोटो भी बनवाऊंगी। चंद्रमा को अघ्र्य देकर पति का दर्शन करूंगी और आदि देव भगवान गणेश से पति देव की लंबी उम्र की प्रार्थना करूंगी। इसमें पूरा परिवार मेरा सहयोग कर रहा है।

प्रेम की डोर में बंधे हैं हम दोनों

वहीं रेल विहार कालोनी निवासी अनिता श्रीवास्‍तव का कहना है कि रेल विहार की अनिता श्रीवास्तव का यह 25वां करवाचौथ व्रत है। इसे यादगार बनाने के लिए उन्होंने गरीबों को भोजन कराने का निर्णय लिया है। व्रत, पूजा परंपरागत रूप से आस्था व श्रद्धा के साथ करेंगी। मेंहदी रचाएंगी। आभूषणों व नए वस्त्रों से सुसज्जित होकर पूरा दिन भगवान गणेश की आराधना में बिताएंगी और पति की लंबी आयु की प्रार्थना करेंगी। शाम को चंद्रमा को अघ्र्य देकर पति का दर्शन करेंगी और उनका तथा परिवार के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेंगी। कहती हैं कि प्रेम की डोर में हम बंधे हैं। 24 साल कैसे बीत गए, पता ही नहीं चला।


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