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नशे की लत व लापरवाही देती है कैंसर को आमंत्रण, बचाव ही उत्तम उपचार

कैंसर के कारणों में कई हैं। इनमें तंबाकू गुटका आदि का सेवन करना पहले स्‍थान पर है। इसके अलावा शराब का सेवन जंक फूड व फास्ट फूड अनुवांशिक दोष शरीर में गांठें बनना बार-बार एक्स-रे करवाना और मोटापा कैंसर के कारण हैं।

By Satish chand shuklaEdited By: Published: Sat, 27 Feb 2021 06:30 AM (IST)Updated: Sat, 27 Feb 2021 11:34 AM (IST)
नशे की लत व लापरवाही देती है कैंसर को आमंत्रण, बचाव ही उत्तम उपचार
कैंसर रोग के संबंध में प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। नशे की लत कैंसर को आमंत्रित करती है और लापरवाही उसे चौथे चरण में पहुंचा देती है। हालांकि तकनीक विकसित हो जाने से अब चौथे चरण के कैंसर के मरीजों की भी जान बच रही है लेकिन इलाज बहुत महंगा है। सावधानी व बचाव इसका सबसे उत्तम व सस्ता इलाज है। सबसे ज्यादा मुंह व गले के कैंसर के रोगियों की संख्या सामने आ रही है। विशेषज्ञ बताते हैं कि तंबाकू व गुटका इसका प्रमुख कारण है।

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विश्व कैंसर डे प्रतिवर्ष चार फरवरी को मनाया जाता है। पहली बार अंतरराष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण संघ ने 1933 में जिनेवा में यह दिवस मनाया था। फरवरी का पूरा माह कैंसर के प्रति जागरूकता लाने के लिए जाना जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि चौथे चरण के कैंसर भी अब ठीक होने लगे हैंं। कैंसर अब लाइलाज नहीं रहा लेकिन इलाज बहुत खर्चीला है। आम आदमी के लिए इलाज कराना मुश्किल हो जाता है। सावधानी व बचाव से इस बीमारी से बचा जा सकता है। इसकी रोकथाम के लिए खान-पान व जीवन शैली में बदलाव बहुत जरूरी है।

कैंसर के ये हैं कारण

कैंसर के कारणों में कई हैं। इनमें तंबाकू, गुटका आदि का सेवन करना पहले स्‍थान पर है। इसके अलावा शराब का सेवन, जंक फूड व फास्ट फूड, अनुवांशिक दोष, शरीर में गांठें बनना, बार-बार एक्स-रे करवाना और मोटापा कैंसर के कारण हैं।

कैंसर के प्रमुख लक्षण

अचानक शरीर का वजन बढऩा या कम होना। कमजोरी व थकान महसूस होना। त्वचा के नीचे गांठ बनना। बोलने में दिक्कत महसूस होना। बार-बार बुखार आना। भूख कम लगना इसके प्रमुख लक्षण हैं। इसके बचाव के लिए पान, गुटका, पान मशाला, सिगरेट का सेवन न करें। शराब से परहेज करें। अधिक वसायुक्त भोजन न करें। जंक फूड व फास्ट फूड के प्रयोग से बचें। नियमित रूप से व्यायाम करें। दिक्कत महसूस होने पर डाक्टर से संपर्क करें।

मेडिकल कालेज में आने वाले रोगियों की संख्या फीसद में

21.4 फीसद मुंह व गले के कैंसर से पीडि़त मरीज आ रहे हैं। इसके अलावा 16.3 फीसद बच्‍चेदानी के मुंह के कैंसर के रोगी भी आ रहे हैं। 12.6 फीसद स्तन कैंसर के रोगी,  09.6 फीसद पित्ताशय के कैंसर के मरीज और 02 से 04 फीसद अन्य अंगों के कैंसर के मरीज बीआरडी मेडिकल कालेज में आते रहते हैं। कैंसर सर्जन डा. विनायक अग्रवाल का कहना है कि थोड़ा भी संदेह होने पर डाक्टर को दिखा लेना चाहिए। क्योंकि प्रथम चरण में कैंसर पता चल जाने पर इलाज सस्ता व आसान हो जाता है। ज्यादा फैलने पर इलाज मुश्किल भी होता है और खर्चीला भी। सबसे बेहतर तो यह है कि खान-पान व जीवन शैली में सुधार करके कैंसर से बचाव किया जाए। यही उत्तम उपचार है।

हिम्मत व हौसले से जीत ली जंग

हिम्मत व हौसला हो तो कैंसर जैसी भयानक बीमारी से भी जंग जीती जा सकती है। इसे साबित कर दिखाया है चार ऐसे मरीजों ने जिनका कैंसर चौथे चरण में पहुंच चुका था। बावजूद इसके उन्होंने डाक्टर की हर सलाह मानी और कैंसर से जंग जीत गए। हालांकि समय-समय पर डाक्टर के पास जाकर अभी जांच कराते रहते हैं। देवरिया के रहने वाले राजकिशोर रुंगटा तो मान ही चुके थे कि उनका कैंसर ठीक नहीं होगा। मुंबई के ङ्क्षप्रसली खान हास्पिटल के कैंसर विशेषज्ञों ने उन्हें यह कहकर वापस कर दिया था कि अब घर जाओ, ठीक नहीं हो सकता। उन्होंने गोरखपुर के एक निजी अस्पताल में डाक्टर को दिखाया। डाक्टर ने हिम्मत की और उनका आपरेशन किया। एक साल से वह पूरी तरह ठीक हैं। हालांकि दवा अभी चल रही है। 55 वर्षीय राजकिशोर रुंगटा को करीब डेढ़ साल पहले गाल में सूजन महसूस हुई। देवरिया में डाक्टर को उन्होंने दिखाया तो पता चला जबड़े का कैंसर है। आनन-फानन में पैसे का बंदोबस्त कर वह मुंबई के प्रिंसली खान हास्पिटल चले गए। वहां पता चला कि कैंसर चौथे चरण में पहुंच चुका है। डाक्टरों ने जवाब दे दिया। उनके आगे अंधेरा छा गया। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।

गोरखपुर में कैंसर सर्जन से उन्होंने संपर्क किया। 24 जून 2020 को उनका आपरेशन हुआ। चेहरे को जो हिस्सा काटा गया, उसे प्रत्यारोपण से पुन: ठीक कर दिया गया। आज वह खुश हैं। कहते हैं कि डाक्टर ने जैसा कहा, मैंने वही किया। अब ठीक हूं। फालोअप के लिए हर दो माह पर डाक्टर के पास जाना पड़ता है। बेलवाडाड़ी की 65 वर्षीय इसरावती के गले में सूजन आ गई थी, आवाज भारी हो गई थी। सितंबर 2020 में उन्होंने डाक्टर को दिखाया तो पता चला कि उन्हें गले में थायरायड का कैंसर है। वह बाबा राघव दास मेडिकल कालेज इलाज कराने गईं, लेकिन एक मरीज के कहने पर उन्होंने शहर के निजी चिकित्सक से संपर्क किया।  19 दिसंबर 2020 को उनका आपरेशन हुआ। अब उनकी समस्या खत्म हो गई है लेकिन दवा चल रही है। इसी तरह संतकबीर नगर की 25 वर्षीय बबिता व 40 वर्षीय वर्षीय सोनी ने भी आपरेशन व दवाओं के बल पर कैंसर से जंग जीत ली है।


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