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ऐसी भी क्या जल्दी है, पहले बेटी को पढ़-लिख लेने दो Gorakhpur News

शोहरतगढ़ के शिवपति पीजी कालेज में पूर्व प्राचार्य ने पहली बार 1985 में बाल विवाह के खिलाफ अपनी मुहिम शुरू की। तब से अब तक वह बड़ी तादाद में बाल विवाह रुकवा चुके हैं।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Tue, 08 Sep 2020 06:53 PM (IST)Updated: Tue, 08 Sep 2020 06:53 PM (IST)
ऐसी भी क्या जल्दी है, पहले बेटी को पढ़-लिख लेने दो Gorakhpur News
ऐसी भी क्या जल्दी है, पहले बेटी को पढ़-लिख लेने दो Gorakhpur News

प्रशांत सिंह, सिद्धार्थनगर । बेहद जरूरी है कि बेटियां पढ़- लिख कर पहले खुद को काबिल बनाएं। इसके बाद अपने परिवार व देश को आगे बढ़ाएं। लेकिन यह तभी हो सकता है जब उन्हें खुद को तैयार करने के लिए पूरा वक्त मिले। बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई के रहते तो यह बिल्कुल संभव नहीं।

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बेटियों की इसी जरूरत व दर्द को महसूस किया डा. वीसी श्रीवास्तव ने। शोहरतगढ़ के शिवपति पीजी कालेज में प्राचार्य रहे डा. श्रीवास्तव ने पहली बार 1985 में बाल विवाह के खिलाफ अपनी मुहिम शुरू की। तब से अब तक वह बड़ी तादाद में बाल विवाह रुकवा चुके हैं। पहले नौकरी में रहते हुए, फिर सेवानिवृति के बाद कार्यशाला, गांवों में चौपाल के जरिए ग्रामीणों को जागरूक कर रहे हैं कि वह बाल विवाह न करें। उनके इस काम में पूर्व छात्रों की टीम भी साथ लगी है। 

दर्जा सात में पढ़ रही थी प्रियंका, पिता शादी की कर रहे थे तैयारी

गोरखपुर के मूल निवासी डॉ. श्रीवास्तव ने वर्ष 1972 में कालेज ज्वाइन किया था। वर्ष 2014 में सेवानिवृत्त होने के बाद वह 70 ग्राम पंचायत व 77 विद्यालयों में कार्यशालाएं कर चुके हैं। यह कार्यक्रम शोहरतगढ़, नौगढ़ व जोगिया ब्लाक में आयोजित हुए। शिवपति इंटर कालेज में कक्षा सात की छात्रा प्रियंका रोजाना पांच किमी साइकिल चलाकर पढऩे जाती थी। पिता खेती से घर का खर्च चलाते हैं। प्रियंका पढ़ाई के साथ घरेलू काम में भी निपुण है। आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण माता-पिता ने जल्द विवाह कर अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त होने की सोची। वहीं प्रियंका आगे पढ़ाई करना चाह रही थी। उसने मां से बात की लेकिन उन्होंने एक न सुनी। स्कूल जाने पर पाबंदी लगा दी। सिलाई-बुनाई सीखने के लिए कहा गया।

प्रियंका के लिए मौसी बनी मददगार

प्रियंका ने यह बात अपनी मौसी आशा कार्यकर्ता सविता को बताई। दोनों ने डॉ. बीसी श्रीवास्तव से बात की। इसके बाद पिता से बात हुई, उन्हें बालिका शिक्षा के महत्व को बताया।  पिता मान गए। शोहरतगढ़ तहसील के प्रतिमा ने वर्ष 2019 में हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की। डॉ. बीसी श्रीवास्तव से प्रेरित होकर वह गांव की किशोरियों को स्वास्थ्य, शिक्षा व अधिकारों के प्रति जागरूक करने लगी। पंजाब में दैनिक मजदूरी करने वाले पिता ने 28 अप्रैल 2019 को घर पहुंचने के बाद शादी का दवाब बनाया। इस पर प्रतिमा ने कहा पढ़ाने की जिम्मेदारी भी आपकी है। पिता निरुत्तर हो गए और पढ़ाई जारी रखने के लिए कहा। विवाह की तिथि भी स्थगित कर दी।


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