एसपी ट्रैफिक ने की आरटीओ दफ्तार में छापेमारी, भागे प्रदूषण जांच केंद्र संचालक, जानें-क्या है असलियत Gorakhpur News
एसपी ट्रैफिक के छापा मारते ही प्रदूषण प्रमाण पत्र बनाने वाले जांच प्रदूषण जांच केंद्रों के संचालक सिस्टम बंद कर भाग गए।
गोरखपुर, जेएनएन। प्रदूषण प्रमाण पत्र बनाने के नाम पर धांधली की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए एसपी ट्रैफिक आदित्य प्रकाश वर्मा ने बुधवार को दोपहर आरटीओ दफ्तर परिसर में छापेमारी की। इस दौरान परिसर में अफरातफरी मच गई। प्रदूषण प्रमाण पत्र बनाने वाले जांच केंद्रों के संचालक सिस्टम बंद कर भाग खड़े हुए। एक तो सुबह से वैसे ही सर्वर डाउन होने से प्रदूषण प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा था। प्रदूषण जांच केंद्रों के संचालकों के भाग जाने से वाहन स्वामियों और चालकों की परेशानी और बढ़ गई है। लोग प्रदूषण प्रमाण पत्र बनवाने के लिए विभाग में भटक रहे हैं।
इसलिए भागे संचालक
दरअसल, प्रदूषण प्रमाण पत्र की अनिवार्यता ने वाहन स्वामियों और चालकों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। परिवहन विभाग ने अभी तक सिर्फ तीन जांच केंद्र ही अधिकृत किए हैं। जांच केंद्र के संचालक भी आरटीओ दफ्तर में बैठे रह रहे हैं और मनमाना शुल्क वसूल रहे हैं। मोटर साइकिल के प्रदूषण जांच के लिए 30 रुपये, पेट्रोल गाडिय़ों के लिए 40 और सभी तरह के चार पहिया डीजल वाहनों के लिए 50 रुपये शुल्क निर्धारित हैं। लेकिन जांच केंद्र पर एक प्रमाण पत्र के नाम पर कम से कम सौ रुपये वसूले जा रहे हैं। दैनिक जागरण ने दस सितंबर के अंक में इस समस्या को प्रमुख से उठाया था।
सर्वर डाउन, बायोमीट्रिक के लिए सुबह से लंबी लाइन
आरटीओ दफ्तर का सर्वर सुबह से डाउन है। इसके चलते कोई भी आनलाइन कार्य नहीं हो पा रहा है। न प्रदूषण प्रमाण पत्र बन रहा और न लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस की प्रक्रिया पूरी हो पा रही। लर्निंग लाइसेंस के तहत बायोमीट्रिक कराने के लिए अभ्यर्थियों की लंबी लाइन लगी है। दूर-दराज गांवों से आए अभ्यर्थी परेशान हैं।
अक्टूबर तक नहीं मिल रहा लर्निंग के लिए टेस्ट का डेट
यातायात नियमों का अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए चलाए जा रहे सघन अभियान और बढ़े हुए जुर्माना के डर से ड्राइविंग लाइसेंस बनवान वालों की संख्या बढ़ गई है। रोजाना औसत 150 की जगह लगभग ढाई सौ लोगों का बायोमीट्रिक हो रहा है। लर्निंग के लिए आवेदन भी बढ़ गया है। आनलाइन आवेदन करने पर अक्टूबर में टेस्ट का डेट नहीं मिल रहा है।
नौ लाख 72 हजार वाहनों के लिए सिर्फ तीन जांच केंद्र
शासन के निर्देश पर एक अगस्त से ही सभी वाहनों के लिए प्रदूषण प्रमाण पत्र अनिवार्य है। जनपद में कुल नौ लाख 72 हजार पंजीकृत वाहन हैं। इन वाहनों का प्रदूषण प्रमाण पत्र बनवाने के लिए शहर में सिर्फ तीन प्रदूषण जांच केंद्र खुले हैं। एक सितंबर से हेलमेट, लाइसेंस व प्रदूषण प्रमाण पत्रों की जांच तेज हो गई है। सिर्फ प्रदूषण प्रमाण पत्र नहीं होने पर ढाई हजार जुर्माना लग रहा है। डरे- सहमे लोग प्रदूषण प्रमाण पत्र बनवाने के लिए भागकर आरटीओ दफ्तर पहुंच रहे हैं लेकिन वहां भी निराशा ही हाथ लग रही है।
प्रदूषण जांच केंद्र हटाने के लिए एसपी ट्रैफिक को लिखा पत्र
प्रदूषण जांच केंद्रों को आरटीओ दफ्तर से हटाने के लिए सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी प्रशासन श्याम लाल ने एसपी ट्रैफिक को पत्र लिखा है। उनका कहना है कि जांच केंद्र अलग-अलग स्थलों के लिए अधिकृत हैं लेकिन वे सभी आरटीओ दफ्तर में ही वाहनों की जांच कर रहे हैं। यहां जान लें कि शिवमूर्ति सेवा संस्थान जगन्नाथपुर, ममता वेलफेयर सोसाइटी, हुमायूपुर दक्षिणी और अपर्णा प्रदूषण जांच केंद्र सिविल लाइंस के लिए अधिकृत हैं।
एआरटीओ ने प्रदूषण केंद्र संचालकों से मांगा स्पष्टीकरण, नोटिस
सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी प्रशासन श्याम लाल ने जांच के नाम पर मनमाना वसूली की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए तीनों प्रदूषण जांच केंद्रों को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। एआरटीओ ने कहा है कि अधिक वसूली करने की शिकायत मिली है। जांच कराई जाएगी। दोषी पाए जाने पर मान्यता रद करने की कार्रवाई होगी।